#स्वर्ग की करेंसी # 

मानव अपने जीवन में, कितने उपाय तलाशता ..

क्यों  इतना बेचैन है,  क्यों स्वर्ग का ढूंढें रास्ता ..

क्यों छोड़ दिया  हे मानव …दिन दुखियों से वास्ता ..

जिस दिन उनके मन को …तू  सुकून पहुँचाएगा  

इसी जन्म में आशीष से उनके..तुझे स्वर्ग मिल जाएगा  |

एक सेठ अपने बिज़नस में रात दिन मिहनत करते हुए बहुत सारे धन इकठ्ठा करने में लगा रहा |

कुछ दिनों के बाद  उसके पास बहुत बड़ा बैंक बैलेंस हो गया लेकिन वह निहायत ही कंजूस था | वह अपने लिए भी पैसे खर्च नहीं करता था |

एक दिन उसके  दरवाजे पर एक पहुँचे हुए महात्मा जी आए  और उन्होंने भोजन कराने को कहा |

सेठ जी  कंजूस तो थे ही, अतः टालने के ख्याल से कहा ….. अभी हमारे पास वक़्त नहीं है | मैं एक मीटिंग में जा रहा हूँ,  आप  कल आइएगा |

इतना  सुनना था कि वह  महात्मा जी ने उससे पूछा … . तुम इतना काम क्यों करते हो ?

सेठ ने कहा … मैं बहुत धन इकठ्ठा करना चाहता हूँ,  ताकि मेरा बुढ़ापा सुखमय हो |

लेकिन अगर तुम मर गए तो यह सारा धन यही रह जायेगा, तुम तो अपने साथ कुछ भी नहीं ले जा सकते हो |

सेठ को उस  महात्मा की कही बातें  मन में बैठ गयी | वह रात दिन यही सोचने लगा  कि कोई तो उपाय होगा जिससे इस धन को मेरे मरने के बाद भी अपने साथ लेकर जाया जा सके |

वह इस समस्या का हल जानना चाहता था |..

इसलिए एक दिन अपने फैक्ट्री के सभी कर्मचारियों की मीटिंग बुलाई और  सेठ ने उनलोगों से कहा… मेरे मन में एक प्रश्न है जिसका समाधान चाहता हूँ | आप लोगों  में से जो कोई भी इसका समाधान बता देगा,  मेरे तरफ से उसे उचित ईनाम दिया जायेगा |

 सेठ ने आगे कहा … मेरे पास बहुत सारा धन है, जिसे मैं मरने के बाद भी अपने साथ ले जाना चाहता हूँ | यह कैसे संभव हो सकता है ?

सेठ जी  के प्रश्न सुन कर मीटिंग में उपस्थित सभी कर्मचारी मन ही मन सोच रहे थे कि सेठ शायद पागल हो गया है… इसलिए ऐसी बहकी – बहकी बातें कर रहा है |

कोई भी कर्मचारी इसका उत्तर नहीं दे सका और मीटिंग ख़त्म हो गयी |

एक दिन सेठ अपने ऑफिस में बैठ कर काम कर रहा था तभी एक साधारण सा दिखने वाला व्यक्ति उसके  समक्ष उपस्थित हुआ और कहा … आपने  जो अपने कर्मचारियों  से प्रश्न किया था …मैं उसका समाधान दे सकता हूँ |

सेठ उसकी ओर गौर से देखा और कहा … हमारे बुद्धिमान कर्मचारी जब इसका समाधान नहीं दे पाए तो तुम कैसे दे सकते हो ?

फिर भी तुम्हे मैं एक मौका देता हूँ अपनी बात कहने के लिए |

वह व्यक्ति ऑफिस में ही सेठ के सामने कुर्सी पर बैठ गया |

उसने सेठ की तरफ देखते हुए पूछा … क्या आपने कभी विदेश यात्रा की है ?

सेठ ने उत्तर दिया … बिलकुल, मैंने  बहुत सारे देशो का भ्रमण किया है |

फिर उसने सेठ से  पूछा … विदेश जाने के लिए आप ने क्या क्या तैयारी  किया था ?

वीसा, पासपोर्ट, कुछ  मेरे कपडे और उस देश की करेंसी …..सेठ ने उत्तर दिया |

उस देश की करेंसी क्यों ?…. उस व्यक्ति ने सेठ जी से पुछा |

क्योकि वहाँ की करेंसी अलग है और हमारे देश की अलग  ….सेठ ने उसे समझाते हुए कहा |

बिलकुल ठीक |… मैं भी आप को यही कहना चाहता था, …. जिस तरह यहाँ की करेंसी वहाँ नहीं चलती, ठीक  उसी तरह स्वर्ग में यहाँ की करेंसी नहीं चलती है |

उसके लिए यहाँ की करेंसी से वहाँ की करेंसी में एक्सचेंज करना होगा …. उसने सेठ को समझाया |

क्या मतलब ? वहाँ की क्या करेंसी है ? और कैसे एक्सचेंज कर सकते है … ..सेठ ने पूछा |

आप बैंक में जमा अपने पैसों से ज़रूरतमंद इंसान की मदद करें | उनके दुःख भरी ज़िन्दगी में खुशियाँ लायें…..फिर देखिये .. इस सब से आपके धन एक्सचेंज होकर पुण्य में बदल जायेंगे और वहाँ आप जाकर अपने पुण्य को प्राप्त कर लेंगे. |

उस व्यक्ति की बातें सुन कर  सेठ की आँखे खुल गयी | उसे महसूस हुआ कि पैसे कमाना और उसका सदुपयोग नहीं करना मुर्खता ही है |

धन तो अवश्य कमाना चाहिए लेकिन ईमानदारी के साथ और कमाए गए धन से गरीबों – दुखियों और ज़रूरतमंदों की मदद करनी  चाहिए. |.

अब उस सेठ की सोच बिलकुल बदल चुकी थी |

वह सोचने लगा कि अपने पैसों को इस तरह से खर्च किया जाए कि उससे सार्वजनिक उपयोग की चीजों जैसे कुआँ, तालाब, धर्मशाला, स्कूल अस्पताल इत्यादि बनाने में खर्च करना चाहिए ताकि उसका फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगों को हो सके ….और उनकी  दुआओं और शुभकामनाओ से स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त  हो सके ….

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

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6 replies

  1. ❣️

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  2. Sundar lekha.Dhan Aisa hai log maranetak kamana chahate hai.Sabka soch alag hota hai.Dhan kamao jitna jarurat hai.Khusi sabse bada dhan hai.

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