मन में विचारों का चलते रहना अनिवार्य है, यह जागरुकता और क्रिया का सर्वोच्च रूप है। विविध विचारकों ने अपने विचारों से ही विभिन्न सभ्यताओं का निर्माण किया है। हमारे सारे संबंध उस उपयुक्त, अनोपुयुक्त विचारधारा पर ही आधारित हैं।
हम सब स्वीकार करते हैं कि जब हमारे मन में विचार नहीं चल रहे होते है तो हम सोते हैं, निष्क्रिय जीवन जीते हैं या दिवास्वप्न देखते हैं;
और जब हम जाग्रत होते हैं तो सोचते हैं, कार्य करते हैं, जीते हैं, लड़ते हैं—केवल इन्हीं दो अवस्थाओं को हम जानते हैं ।
आदर्श स्थिति तो यह है कि हम दोनों अवस्थाओं से परे हो जाएं, …विचार से भी खाली तथा सक्रियता से भी … .
यह .कैसा रहेगा ?……
कभी कभी सोचता हूँ
सोचता हूँ ज़िन्दगी को बस यूँ ही गुज़र जाने दूँ
इजहारे मुहब्बत को अपने होंठो पे न आने दूँ
कल शायद नई सुबह हो , और नए फूल खिले
आज तो बस आँसुओं को यूँ ही बिखर जाने दूँ
आज तक समझ नहीं पाया तुमसे क्या सम्बन्ध है
हंसने और रोने के बीच आज भी क्यों द्वंद है
प्यार के लिए उठाये है हमने लाखों जुल्मो-सितम
तड़प तड़प कर जीने का एक अलग ही आनंद है
जब भी चर्चा होती है तुम्हारी, कलम ठहर जाते है
मेरे प्यार के सपने मुझे अक्सर ही रुलाते है
तुम कहो ना कहो मुझसे अपने राज की बात
तुम्हारी ख़ामोशी , इशारों में बहुत कुछ कह जाते है
तुम्हारे भरोसे छोड़ा है जग .. मुझे मंजिल का पता नहीं
करना मुहब्बतों पर ऐतबार,.. होती कोई खता नहीं |
लाखो सवाल बाकी है अपनी रुसवाइयों को लेकर
तुम्हारे आँखों में मेरे लिए क्या प्यार है, पता नहीं |
लोग कहते है कि ज़िन्दगी की किताब पढना आसान नहीं है ….. सही है…
ज़िन्दगी कोई किताब नहीं है ज़नाब कि जो चाहे… जब चाहे… इसके पन्ने पलटे और इसे पढ़ ले / ज़िन्दगी के कुछ पल और कुछ एहसास ऐसे होते है जिसे आप बस महसूस कर सकते है, उसे कोई शब्द… कोई नाम… नहीं दे सकते है /
हाँ …ज़िन्दगी के कुछ ऐसे पल भी होते है जिसका वर्णन आप कर सकते है / जिसे आप अपने किस्से, कहानियों या फिर अपनी कविताओं का हिस्सा बना सकते है /
और यही किस्से और कहानियाँ जब किस्सागोई के दायरे से निकल कर जब एक विस्तृत फलक पाता है तो दुनिया को मंत्रमुग्ध भी कर देता है / किताब और लेखक दोनों को अमर कर देता है और लोग इन्हें बड़े चाव से पढ़ते हैं /
लेखक और कवि तो अपनी रचनाओं से प्यार करते ही हैं …तो गाहे –बेगाहे उनके हाथ सेल्फ में सजी अपनी पुस्तकों पर तो जाती ही है,,,,
तेरी कुछ यादें
जब भी तन्हा होता हूँ
तेरी याद आती है
तेरे साथ बिताये पल
मुझे बहुत तडपाती है /
तुझे भूलने की कोशिश में
खुद को भूल जाता हूँ
लाख जतन किया मैंने
तुझे भूल नहीं पाता हूँ /
कुछ तो है अपने रिश्तों में
जो समझ नहीं आता है
क्या तुम भी कभी रोती हो
या यह मुझे ही रुलाता है /
पर तुम जैसी भी हो
मेरे ज़ीने का सहारा हो
डूबते इंसान के लिए
एक हसीन किनारा हो /
तुम आज भी हो मेरे करीब
तुझे कभी भूल नहीं पाउँगा
तेरे इंतज़ार में हरदम
मैं पलक पाँवड़े बिछाऊँगा …
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देश की आज़ादी एवं इसकी रक्षा के लिए शहीद होने वाले एवं अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों, राष्ट्र निर्माताओं एवं वीर सैनिको को शत शत नमन एवं आप सब बन्धुओं को ढेर सारी शुभकामनायें /
हम आजादी का जश्न मनाये
अपने घर को स्वर्ग बनाये
बाहर तो फैला अंधियारा
क्यों नही कोई दीप जलाये
न्याय तंत्र बना है बहरा
सूरज की किरणों पर पहरा
दुखो से घिरी आबादी है
यारो यह कैसी आजादी है।
सचमुच भैया रामराज्य है
मनमर्जी का साम्राज्य है
देश का दौलत लूटने वाले
देखो सर पे सजा ताज है
लोकतंत्र के ये रखवाले
उजड़े बिखरे चमन ये सारे
चोरों के तन पे खादी है
यारो यह कैसी आजादी है।
बात – बात पे दंगे होते
जाती धर्म के पंगे होते
पलक झपकते कुचले जाते
जैसे कीट पतंगे होते
जाने अब ये प्यार की भाषा
सत्य अहिंसा की परिभाषा
समझ नहीं क्यों आती है
यारों यह कैसी आजादी है।
देश भक्तों ने लहू बहाया
मॉ ओ ने सिन्दूर लुटाया
लहराया अपना ये तिरंगा
हम सबने आजादी पाया
करना है अब लाख जतन
आजादी अनमोल रतन
अब रोकना हमे बर्बादी है
यारो यह कैसी आजादी है।
किशोरी रमण
दैनिक आज ,पटना में 15 अगस्त 1999 को प्रकाशित।
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हम जब भी स्वप्न देखते है , और इसके अलग अलग मतलब निकालते रहते है / स्वप्न तो छोटे छोटे बच्चे को भी नहीं छोड़ते है | यदि अच्छा सा कोई स्वप्न देखते है तो हम खुश हो जाते है और अगर बुरा स्वप्न हो तो परेशान हो जाते है और आशंकाओ से घिर जाते है | ज्योतिषी के अनुसार नींद में दिखाई देने वाले हर स्वप्न का महत्व होता है | इन सपनो से जान सकते हैं कि निकट भविष्य में क्या होने वाला है … और किसी ने यह भी कहा है कि सपने तो सपने होते है , यह कब अपने होते है …..
एक दिन जब श्री कृष्ण स्वर्ग में विचरण कर रहे थे तो अचानक राधा सामने मिल गई / उसे देख कर विचलित सी कृष्णा और प्रसन्नचित सी राधा .., कृष्णा सकपकाए पर राधा मुस्कुराई /
इससे पहले कि कृष्णा कुछ कह पाते, राधा बोल उठी… कैसे हो द्वारिकाधीश ?
जो पहले राधा उन्हें कान्हा कान्हा कह कर बुलाती थी , उसके मुख से द्वारिकाधीश का संबोधन, कृष्णा को भीतर तक घायल कर गया / फिर भी किसी तरह अपने आप को संभाल लिया उन्होंने और बोले… राधा, मैं तुम्हारे लिए आज भी वही कान्हा हूँ, तुम तो मुझे द्वारिकाधीश मत कहो / आओ बैठते है …कुछ मैं अपनी कहता हूँ कुछ तुम अपनी सुनाओ /
सच कहूँ राधा , जब जब भी तुम्हारी याद आती थी इस आँखों से आँसुओं की बुँदे निकल आती थी /
राधा बोली …मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ / ना तुम्हारी याद आई और ना आँखों से आँसू बहा / क्योंकि हम तुम्हे कभी भूले ही कहाँ थे जो तुम याद आते / इस आँखों में तो सदा तुम्ही थे , कहीं आँसुओं के साथ निकल ना जाओ, इसलिए रोती भी नहीं थी / कान्हा , प्रेम से अलग होने पर तुमने क्या खोया इसका एक आइना दिखाऊँ तुम्हे ? कुछ कडवे सच, और प्रश्न सह पाओ तो सुनाऊं /
कभी सोचा है इस तरक्की में तुम कितने पिछड़ गए, यमुना के मीठे पानी से ज़िन्दगी की शुरुआत की और समुद्र के खारे पानी तक पहुँच गए / एक ऊँगली पर चलाने वाले सुदर्शन चक्र पर भरोसा कर लिया और दसों उँगलियों पे चलने वाली बांसुरी को भूल गए /
कान्हा…जब तुम प्रेम से जुड़े थे तो जो ऊँगली गोवर्धन पर्वत उठाकर लोगों को विनाश से बचाती थी .
प्रेम से अलग होने पर वही ऊँगली क्या क्या रंग दिखाने लगी / सुदर्शन चक्र उठाकर विनाश के काम आने लगी / कान्हा और द्वारिकाधीश में क्या अन्तेर होता है बताऊँ ? कान्हा होते तो तुम सुदामा के घर जाते , सुदामा तुम्हारे घर नहीं आता / युद्ध में और प्रेम में यही तो फर्क होता है युध्ह में आप मिटा कर जीतते है , और प्रेम में आप खुद मिट कर जीतते है /
कान्हा , प्रेम में डूबा हुआ इंसान दुखी तो रह सकता है पर किसी को दुखी नहीं कर सकता /आप तो कई कलाओं के स्वामी हो, स्वप्न दूर दृष्टा हो / गीता जैसे ग्रन्थ के दाता हो / पर आपने ये क्या निर्णय लिया… आपने अपनी पूरी नारायणी सेना कौरवो को सौप दी / और अपने आप को पांडवो के साथ कर लिया /
सेना तो आप की प्रजा थी / राजा तो पालक होता है , उसका रक्षक होता है / आप जैसे महाज्ञानी उस रथ को चला रहे थे .. जिस पर बैठा अर्जुन आप की प्रजा को ही मार रहा था / अपनी प्रजा को मरते देख आपको करुणा नहीं जगी / क्योंकि आप प्रेम से शुन्य हो चुके थे /
आज भी धरती पर जा कर देखो / आपकी द्वारिकाधीश वाली छवि को ढूंढते रह जाओगे / हर जगह हर मंदिर में मेरे ही साथ खड़े नज़र आओगे / मैं जानती हूँ कान्हा ..लोग गीता के ज्ञान की बात करते है उसके महत्व की बात करते है पर धरती के लोग युद्ध वाले द्वारिकाधीश पर नहीं प्रेम वाले कान्हा पर भरोसा करते है /
गीता में मेरा दूर दूर तक नाम नहीं है पर आज भी उसके समापन पर लोग “राधे राधे” कहते है ।
वैसे तो श्री कृष्णा के पास किसी प्रश्न का उत्तर ना हो, ऐसा हो ही नहीं सकता ..परन्तु राधा द्वारा लगाए गए प्रश्नचिन्हो पर कान्हा मौन रहे /
यही तो है प्रेम में समर्पण का भाव / पराक्रम में हमें हर किसी को हराना होता है तब भी हम जीत कर भी हार जाते है / परन्तु प्रेम में एक ही कईयों का दिल जीत लेता है / सही कहा है छोटी सी ऊँगली पर पूरा गोवर्धन पर्वत उठाने वाले भगवान् श्री कृष्णा छोटी सी बांसुरी को दोनों हांथो से पकड़ते थे …..
सोचता हूँ ज़िन्दगी को बस यूँ ही गुज़र जाने दूँ
इजहारे मुहब्बत को अपने होंठो पे न आने दूँ
कल शायद नई सुबह हो , और नए फूल खिले
आज तो बस आँसुओं को यूँ ही बिखर जाने दूँ
आज तक समझ नहीं पाया तुमसे क्या सम्बन्ध है
हंसने और रोने के बीच आज भी क्यों द्वंद है
प्यार के लिए उठाये है हमने लाखों जुल्मो-सितम
तड़प तड़प कर जीने का एक अलग ही आनंद है
जब भी चर्चा होती है तुम्हारी, कलम ठहर जाते है
मेरे प्यार के सपने मुझे अक्सर ही रुलाते है
तुम कहो ना कहो मुझसे अपने राज की बात
तुम्हारी ख़ामोशी ,इशारों में बहुत कुछ कह जाते है
तुम्हारे भरोसे छोड़ा है जग मुझे मंजिल का पता नहीं
करना मुहब्बतों पर ऐतबार, होती कोई खता नहीं /
लाखो सवाल बाकी है अपनी रुसवाइयों को लेकर
तुम्हारे आँखों में मेरे लिए क्या प्यार है, पता नहीं /..
मैं अपनी पहचान ढूंढ रहा हूँ, मेरी पह्चान क्या है … जब हम माँ की कोख में थे तो पूरी दुनिया हमें हमारी माँ के मध्यम से जान पाती थी / जब हम धरती पर पहला कदम रखते है तो उस क्षण एक नाम दिया गया / जिसके बाद पिता का नाम जुड़ जाता है /
हालाँकि बचपन से ही एक सपना थीं अपनी एक अलग पह्चान बनाने की / अपने को समृद्ध एवं प्रसिद्धि प्राप्त करते हुए देखना चाहता था / मेरी कोशिश कि हर कोई हमारे माँ-बाप से नहीं बल्कि माँ –बाप को हमारे नाम से जाने /
अब Janta Curfew के बाद total Lockdown in the country.. हम सब अपने घरों में कैद है / और “करोना” को कोस रहे है / हमारे प्रधान मंत्री जी ने कहा है कि यह lockdown २१ दिनों के लिए है और हमलोगों के दरवाजे पर एक लक्ष्मण रेखा खिची जा चुकी है / जिसके बाहर निकलने पर जान का खतरा है /
लेकिन यह समझ नहीं आ रहा है कि हमारे बच्चे घर से निकल कर रोज बैंक की सेवा करने को मजबूर है / इस ऐसी स्थिति में हम चिंतित ना हो, यह कैसे हो सकता है / हम घर में चैन से कैसे रह सकते है , कैसे सुरक्षित रह सकते है / ऐसे वक़्त में सिर्फ भगवन पर ही भरोसा है वरना भारत जैसा देश दुनिया के लिए कौतुहल बना है कि यहाँ casualty ना के बराबर कैसे है /
हम ने उन विकसित देश से अपने संस्कृति और संस्कार का लोहा मनवा ही लिया / अब वो भी हमारी तरह हाथ जोड़ कर अभिवादन करने को मजबूर है / खैर, हम अपनी बात करें तो ..
लेकिन कुछ भी हो जाए बैंक बंद नहीं होंगे क्योंकि यह आवश्यक सेवा है और हमारे बच्चे banking सेवा हेतु रोज अपनी जान जोखिम में डाल कर घर से बाहर निकलने को मजबूर है / ऐसा लगता है बैंक की सेवाए आज के दिन अत्यावश्यक हो गयी है / public को banking सेवा उपलब्ध कराना ही है / बस मुस्तैदी से काम करना है /
मैं भी तो एक banker हूँ, रिटायर हुआ तो क्या हुआ, फाइनेंसियल सोच अभी भी कूट कूट कर भरी है |
सोचता हूँ इस २१ दिन के वनवास को कैसे पूरा किया जाए / डर के माहौल में कुछ भी अच्छा नहीं लगता है, लेकिन मुझे एक मित्र ने सुझाया कि कोई ऐसा पुराना शौक जो दबी या दबाई गई है उसे फिर से जीवित किया जाए, उसे वक़्त देने में शायद यह बुरा वक़्त भी टल जायेगा /
मुझे भी अब धीरे धीरे यह एहसास हो रहा है कि मैं भी देश के लिए कुछ कर सकता हूँ / ऐसा ही सोच कर मैं अपने banking track को छोड़ अपना नया शौक अपनाया है / और उसी का परिणाम है कि stay at home के दौरान mental स्टेटस को दुरुस्त रखने के लिए कुछ कविता लिखने की कोशिश कर रहा हूँ /
शायद कविता की परिभाषा में कोई छेड़ छाड़ नहीं हुआ है / इस आफत की घडी में धेर्य बनाने की ज़रुरत है .अपने तो uplift रखने की ज़रुरत है और इस कविता को पढने की भी / शायद इस चिंता और घबडाहट भरे माहौल में आपके चेहरे पर कुछ मुस्कान बिखर जाए / अगर ऐसा होता है तो मैं समझूंगा कि मैं २१ दिन के सरकारी लॉक डाउन को हँसते हँसते झेल लेंगे /
कभी कभी इंसान न टूटता है ना बिखरता है… बस थक जाता है , कभी खुद से, कभी किस्मत से, और कभी अपनों से / एक वक़्त ऐसा भी आता है ,कि वक़्त ही उसका एहसास कराता है / उस वक़्त जो एक दर्द भीतर कहीं बाकी रह जाता है ,बस ज़िन्दगी भर वही दर्द हमें सही राह दिखाती है /
मैं भी कुछ दिनों पूर्व ऐसी ही स्तिथि से गुजर रहा था, वक़्त मेरा भी नासाज़ था। और रिटायरमेंट के बाद पहली बार अपनी भावनाओं को कागज़ पर अंकित किया….
चुप चुप रहते हो …अब कोई सवाल क्यों नहीं करते,
मेरे रूठने पर …अब बबाल क्यों नहीं करते …
माना कि रिटायरमेंट में खालीपन आ जाता है
अपनी अधूरी शौक का …इंतजाम क्यों नही करते
ज़िन्दगी में ना जाने कितने ही काम है अधूरे
उन्हें पूरा करने का …फरमान क्यों नहीं करते
यह सच है शरीर से तो कमजोर हो गए तुम
दिल में जो जूनून है …उसे इस्तेमाल क्यों नहीं करते
ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत है.. विजय ,
इस खूबसूरती का एहसास क्यों नहीं करते …
चुप चुप रहते हो …कोई सवाल क्यूँ नहीं करते…
मेरे रूठने पर ..अब बबाल क्यों नहीं करते ,,,
….विजय वर्मा ……
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मुहब्बत और दोस्ती ये दो चीज़ है जो हर तूफान का मुकाबला कर सकती है .पर एक चीज़ है जो इनको टुकड़े टुकड़े कर सकती है तो वह है ग़लतफ़हमी / सच्चा दोस्त अगर रूठ जाए तो उसे बार बार मनाओ / हीरे की माला टूट भी जाए तो वो हीरा ही रहता है उसकी कीमत कम नहीं होती /
अपने दोस्तों को अच्छी नसीहत करते रहो, चाहे उसे अच्छा लगे या बुरा / वक़्त की दोस्ती तो हर कोई करता है / पर मजा तो तब है जब वक़्त बदल जाए पर दोस्त ना बदले / सही दोस्त उस वक़्त आपके पास आता है जब सारी दुनिया आप को छोड़ चुकी होती है / दोस्त को तरक्की करते देखो तो फक्र से कहो कि वो मेरा दोस्त है और जब दोस्त को मुसीबत में देखो तो अपना सीना तान के कहो मैं इसका दोस्त हूँ /
दोस्त बनकर भी साथ नहीं निभाने वाला, वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला / दोस्त वह है जो दोस्ती का हक़ उसकी गैर मौजूदगी में भी अदा करे / और गैरो की महफ़िल में उसकी इज्जत और मक़ाम की हिफाजत करे / दोस्ती और मुहब्बत उससे करो जो निभाना जानते हो /
नफरत उनसे करो जो भुलाना जानते हो और गुस्सा उससे करो जो मनाना जानते हो / मुफलिस और अच्छे दोस्त फूलों की तरह होते है अगर हम अपनी मुहब्बत का पानी देते रहे तो सदा हरे भरे रहते है और उसकी खुशबु हम तक पहुँचते रहते है / जो शख्स तुम्हारा गुस्सा बर्दास्त कर ले और दोस्ती नहीं डगमगाए, तो वही तुम्हारा सच्चा दोस्त है /
दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो स्नेह और विश्वास पर खड़ा रहता है /इसे ग़लतफ़हमी का शिकार नहीं होने दे /आज कल सच्चा दोस्त या सच्चा प्यार करने वाला बड़ी मुश्किल से मिलता है / यह रिश्ता तो ऐसा होता है कि अजनबी होकर भी अपनों से भी ज्यादा प्यार और स्नेह की मिसाल पेश करता है /
एक दोस्त ने दोस्त से कहा कि दोस्त का मतलब क्या होता है, तो दोस्त ने मुस्कुरा कर कहा.. पागल एक दोस्त ही तो है जिसमे कोई मतलब नहीं होता, जहाँ मतलब हो वहाँ दोस्ती नहीं हो सकती / दोस्त हो या परिंदा दोनों को आजाद छोड़ दो/\ / लौट आया तो तुम्हारा और ना लौट कर आया तो समझो वो तुम्हारा कभी था ही नहीं / जो दिल को अच्छा लगता है उसी को दोस्त कहता हूँ /
दोस्तों के काम आते रहिये क्योंकि कुदरत का एक उसूल है कि जिस कुएं से लोग पानी पीते रहे वो कभी सूखता नहीं है …
दोस्तों को याद करते है …. चलो कुछ गुनगुनाते है ….
दूर भागती खुशियों को बाज की तरह झपट कर
अपने पंजे में समेट लेना ….चाहत हो जिसकी,
कौन भूल सकता है……..उस खुश मिजाज को…..
आंसुओं को हँस कर पी लेना… आदत हो जिसकी..
कौन भूल सकता है…..उस तेज़ जाबांज को ….
करता दिलों पे राज़.चुम्बकीये व्यक्तित्व जिसकी
कौन भूल सकता है …उस रंगबाज को
उस मीठे रसीले कंटीले मित्र को
क्यूँ ना कहे प्रेम से एकबार .
.तुम सदा खुश रहो मेरे यार ……,
सदा मुस्कुराते रहो मेरे यार….
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आज की सुबह कुछ अजीब महसूस कर रहा हूँ / रोज की तरह आज भी सुबह ठीक 5.०० बजे हमारी नींद खुली थी , लेकिन मेरे दिल और दिमाग के बीच एक जंग छिड़ी हुई थीं , दिमाग कह रहा था यह social media बहुत बुरी चीज़े है लेकिन दिल मानने को तैयार नहीं था /
दिमाग ने तो बहुत सारी दुष्परिणाम गिना भी दिए , कहा कि… सुबह सुबह मोबाइल ले कर बैठ जाते हो | , घर में कोई भी काम का ध्यान भी नहीं रखते, चलो यहाँ तक तो ठीक है, परन्तु तुम अपना भी ख्याल रखना भूल गए हो /
दिल मेरा थोडा सोच में पड़ गया, फिर कुछ संभल कर कहा…. यह बात तो तुम्हारी सही है | लेकिन social media में खराबी नहीं है बल्कि ज्यादा देर मोबाइल में अपने को engage रखना बुरी बात है |
social media के बहुत से फायदे भी है. सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप कभी अकेला महसूस नहीं करते हो | एक click से दुनिया की सैर कर आते है . अपनी health टिप्स से अपने को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है |
और तो और, फेसबुक पर भूले बिसरे फ्रेंड्स भी मिल जाते है, जिसे पा कर मन प्रसन्न हो जाता है | हमारा अल्टीमेट Goal तो अपने को खुश रखना ही है ना |
मेरी अलसाई शरीर दोनों की बाते बड़े गौड़ से सुन रहा था | वह सोचने लगा… दिल और दिमाग के अलावा भी बहुत सारे मित्र बना रखे है इस शारीर के अन्दर |
जी हाँ , मेरे बहुत दोस्त है इस शारीर में , दिमाग, दिल, सुख, दुःख, यादें, गुस्सा, प्यार, ये सभी मेरे मित्र ही तो है | लेकिन कभी कभी इन दोस्तों से ताल-मेल बिठाने में परेशानी हो जाती है |
जैसे, कल की बात है, मेरी ख़ुशी से अनबन हो गई |और उसी समय दुःख से दोस्ती हो गई | शाम तक फिर ख़ुशी आकर मुझसे चिपक गई .बस फिर दोस्ती हो गई | मैं बिलकुल बच्चो जैसी हरकत करता रहता हूँ न |
सच , एक पल में किसी से तो दुसरे पल में किसी से दोस्ती कर लेता हूँ, बिलकुल बच्चो की तरह |
लेकिन ठीक ही तो है…. बच्चा बन कर जीना | लोग कहते है कि बहुत समझदार बन कर देख लिया, लेकिन जो ज़िन्दगी का मज़ा बच्चा बनकर जीने में मिला वो समझदार बन कर नहीं मिला. |
.मेरी यह घटना आज मेरे दिल की बगिया में एक कविता को जन्म दे दिया है ….हाँ , मेरी कल्पना ही है …/
खुशियों से अनबन
कल रात ..अचानक मेरी “खुशी” से अनबन हो गई हालांकि जाते हुए मुड़ मुड़ कर देख रही थी, मैंने भी वापस बुलाना मुनासिब नही समझा.. क्योंकि उसी समय “उदासी” मेरे पास आकर बैठ गई.. कहने लगी मुझसे मुहब्बत कर ले मैं एक बार चिपक गई तो दूर तलक साथ चलूंगी.. मैं अपने वादे की सच्ची हूँ ..धुन की पक्की हूँ.. एक बार गले लगा कर तो देखो,..खोने का डर कभी ना होगा.. मैं इसी उधेड़ बुन में करवट बदलता रहा..कि, खुशी को दूर खड़ी मुस्कुराता हुआ देखा.. ना चाहते हुए भी इशारा से अपने पास बुलाया..और.. मैं अपनी गलतियों का इजहार कर डाला, उसने भी रुंधे गले से सीने से लग गई और साथ साथ जीने मरने की कसमें खाई, सिलसिला चल ही रहा था.. कि आँखे खुल गई.. सपनों की दुनिया से हकीकत तक का सफर यूँ था.. मैंने फिर अपनी आंखें बंद कर ली..मन अब शांत था.. नींद में ना सही.. हकीकत में बात कर ली मैं पास सोई हुई मेरी खुशी(पत्नी) को नींद से जगाया अपने इस घटना क्रम से अवगत कराया.. मैं ने साफ साफ दो टूक लहजे में कह दिया तुम “खुशी” हो, छोटी छोटी गलतियों में नाराज़ ना होना.. “उदासी” को अपनी सौत समझना.. उस की तरह ही लंबी साथ निभाना.. खुशी जब तक साथ है, तो फिक्र की क्या बात है…
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