
मन और मस्तिष्क…
हमारा मन मस्तिष्क की उस क्षमता को कहते है , जो हमें चिंतन-शक्ति, स्मरण –शक्ति , निर्णय शक्ति , बुद्धि भाव, एकाग्रता, व्यवहार कुशल, होने में मदद करती है |
लोग कहते है मन बड़ा चंचल होता है, अगर यह अपने वश में रहे तो आप ज़िन्दगी में जो चाहते हो उसे पा सकते है और इसके विपरीत अगर आप उसके वश में हो गए तो फिर यह ज़िन्दगी को रसातल में भी पहुँचा सकता है |
मैं तो बहुत दिनों से अपने मन को वश में रखने की कोशिश कर रहा हूँ |
इसके लिए मैं हमेशा दैनिक कार्यों में अपने को व्यस्त रखने की कोशिश करता हूँ | काम में इतना मन को डूबा देता हूँ कि मन को फ्री घुमने फिरने की फुर्सत ही नहीं मिलती |
क्योकि मेरा मानना है कि अगर मैं किसी काम में अपने को व्यस्त रखता हूँ तो मेरा मन इधर उधर भटकेगा ही नहीं बल्कि उसे वश में रखना आसान हो जाता है |
बस, जो हो रहा है उसे होने दे, परन्तु दिमाग कहता है …ऐसा क्यों होने दें | मैं जो चाहता हूँ वह कब होगा |
इसी उहा – पोह में मन फिर चंचल हो जाता है और वह अपना काम करने में लग जाता है |
मन यतार्थ को पहचानता है | इस कडवे सच के साथ वह स्वप्नलोक की सैर करना नहीं भूलता |
जब बुरा समय से गुजरता हूँ तो मन आशा के बीज बोता है और कहता है हिम्मत ना हार, एक प्रयास और कर | अच्छा समय अब आने वाला ही है |
और मैंने कहीं पढ़ा है …मन के हारे हार है …, मन के जीते जीत |
यह जो दो अक्षर से बना शब्द है “मन”, .. उसमे दुनिया जहान की सारी बातें समाहित होती है |

सच, मन बड़ा चंचल है …मन तो बिलकुल उस मोर के जैसा होता है …, जब खुश होता है तो अपने पंखों को फैला कर नाचता हुआ ख़ुशी का इज़हार करता है और दुसरे ही पल जब उसकी नज़रे स्वयं के कुरूप पैरों पर पड़ती है तो वह दुखी हो उठता है |
ऐसा ही हमारा मन विचारों के समंदर में डुबकी लगाता रहता है | समंदर के प्रत्येक लहर के साथ अपने अनुभव लेने को तैयार रहता है |
मन बड़ा कोमल भी होता है ….बिलकुल उस कोमल पंखुरी के समान जिसने अभी अभी बारिश की बूंदों का स्पर्श किया हो |
प्रत्येक व्यक्ति के सोच का अपना एक दायरा होता है ….मन कभी नकारात्मक तो कभी सकारात्मक दोनों तरह के विचार करता है | इसको समझ पाना कठिन है…..
वैसे वैज्ञानिकों के अनुसार मन को तीन भागों में बांटा जा सकता है…
- सचेतन…यह मन का दसवां हिस्सा होता है, जिसमे स्वयं और वातावरण के बारे में जानकारी होती है, अर्थात हम चेतन अवस्था में रहते है |
- अचेतन ….यह मन का ९०% हिस्सा होता है, जिसके कार्य के बारे में व्यक्ति को जानकारी नहीं रहती है | यह मन की स्वस्थ और अस्वस्थ क्रियाओं पर प्रभाव डालता है |
इसमें व्यक्ति की मूल प्रवृति से जुड़ी इच्छाएं जैसे भूख, प्यास यौन इच्छाएं दबी रहती है | यदि यह दबी इच्छाएं नियंत्रण शक्ति के बच कर प्रकट हो जाएँ तो कई तरह के लक्षण मनुष्य में दिखाई पड़ने लगते है, जो आगे चल कर मनोरोग का रूप ले लेते है |
- अर्धचेतन….यह सचेतन और अचेतन के बीच का हिस्सा है ..जिसे मनुष्य चाहने पर इन्तेमाल कर सकता है | जैसे स्मरण शक्ति का वह हिस्सा जिसे व्यक्ति प्रयास कर के किसी घटना को याद करने में प्रयोग कर सकता है |
वैसे मन की दो अवस्थाएं होती है ..एक क्षण में रुखा और कठोर बनाने की क्षमता रखता है दुसरे ही पल कोमल और सुन्दर विचार को जन्म देता है |
जब कोई हमें अच्छा लगता है तो उसके बारे में सुंदर और कोमल ख्याल आते रहते है और वह कोई गलती कर दे तो दुसरे ही पल मन में रुखा और कठोर विचार उसके प्रति उत्पन्न होने लगता है |

इसलिए ज़रूरी है कि मन को संतुलित रखा जाए | वैसे तो बहुत सारे उपाय है जिससे इसे संतुलित किया जा सकता है लेकिन “ध्यान योग” एक ऐसी क्रिया है जिसके उपयोग से मन को नियंत्रित कर सकते है |
जब भी मन में रूखे और कठोर विचार आये या गुस्सा आये तो उसी समय “ध्यान योग” का प्रयोग करना चाहिए | इससे कठोर विचार कोमल और अच्छे विचार में परिवर्तित कर सकते है |
आज की उत्पन्न परिस्थिति में जब आदमी के ज़िन्दगी में तनाव ज्यादा है |
ऐसी स्थिति में हम ध्यान योग से अपने मन मस्तिष्क को काबू में रख कर और उसे अच्छे सकारात्मक विचारो और कार्यों के तरफ प्रेरित कर सकते है |
आइये आज से ही हम सब इस दिशा में प्रयास शुरू कर दे , मन को नियंत्रण में रखे |
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Categories: infotainment
Nice blog.
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Thank you so much.
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🩷
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Thank you so much.
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सच कहा;जिसने मन को भटकने से रोक लिया।उसे फिर कहीं भटकना नहीं पड़ता।
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बिलकुल सही,
मन को भटकने से रोकना थोड़ा कठिन ज़रूर है परंतु असंभव नहीं |
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One needs to be proactive in judging the direction our mind is taking and stop it from going astray asap!
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Absolutely right,
It is a little difficult to stop the mind from wandering,
but it is not impossible. Thank for sharing your feelings.
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Nice Blog 😍
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Thank you so much.💕
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Nice sir !
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Thank you so much.
Stay connected and stay happy.
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