
कौन हूँ मैं ? यह एक कठिन प्रश्न है | लोगों को अपने बारे में जानने में सारी उम्र गुज़र जाती है | सच, ज़िंदगी में सबसे कठिन समय यह नहीं होता है जब कोई मुझे समझता नहीं है , बल्कि यह तब होता है जब हम अपने आप को ही नहीं समझ पाते.|
चलो , कुछ समय निकाल कर अपने बारे में पता करते है …कौन हूँ मैं ?

कौन हूँ मैं ?
दुनिया के भूल भुलैया में
खोया हुआ पहचान हूँ मैं ,
अपनो ने जो ज़ख्म दिए
उन ज़ख्मों के निशान हूँ मैं,
बार बार क्यों पूछते हो यारो,
कहाँ से आया, कौन हूँ मैं ?
अनजान चेहरों के जंगल में
अपना वजूद ढूंढता, इंसान हूँ मैं |
(विजय वर्मा)
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
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Categories: kavita
अच्छी कविता।
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Thank you dear.
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💜
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Thank you so much.
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Love the poem VKV
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Thank you so much, Dear.💕
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Acchi kavita.
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Thank you so much, dear.
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