# कौन हूँ मैं ?

कौन हूँ मैं ?  यह एक कठिन प्रश्न है | लोगों को अपने बारे में जानने में सारी उम्र गुज़र जाती है | सच, ज़िंदगी में सबसे कठिन समय यह नहीं होता है जब कोई मुझे  समझता नहीं है , बल्कि यह तब होता है जब हम  अपने आप को ही नहीं समझ पाते.|

चलो , कुछ समय निकाल कर अपने बारे में पता करते है …कौन हूँ मैं ?

कौन हूँ मैं ?

दुनिया के भूल भुलैया में

खोया हुआ पहचान हूँ मैं ,

अपनो  ने जो ज़ख्म दिए

उन ज़ख्मों के निशान हूँ मैं,

बार बार क्यों पूछते हो यारो,

कहाँ से आया, कौन हूँ मैं ?

 अनजान चेहरों के जंगल में

अपना वजूद ढूंढता, इंसान हूँ मैं |

(विजय वर्मा)

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8 replies

  1. अच्छी कविता।

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  2. christinenovalarue's avatar

    💜

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  3. Acchi kavita.

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