
यह कविता जीवन में कुछ बातें भूल जाने और आगे बढ़ने की कला को दर्शाती है। यह हमें सिखाती है कि बीते हुए पलों, खोए हुए रिश्तों और अधूरे सपनों को जाने देना ही सुकून और आनंद की राह है। हर रिश्ता, हर सफ़र कुछ न कुछ अधूरा रह जाता है, मगर जीवन रुकता नहीं।
इसलिए, खुद को बोझिल यादों से मुक्त कर आगे बढ़ना ही सच्ची समझदारी है। यह कविता स्वीकार्यता, धैर्य और नए अवसरों की ओर देखने की प्रेरणा देती है।
जाने दो यारो
जो बीत गया, उसे बीत जाने दो,
जो छूट गया, उसे छूट जाने दो।
जो दिल को दुखी कर जाए,
उस दर्द को भी मुस्कुराने दो।
कोई साथ था, फिर दूर हो गया,
कोई अपना था, पर पराया हो गया।
किसी ने वादा तोड़ा, किसी ने दिल,
उन यादों को अब बह जाने दो।
हर किसी की कुछ शिकायतें रहेंगी,
हर रिश्ते में कुछ मलाल रहेंगे।
जितना भी जी लो, अधूरापन रहेगा,
फिर क्यों न यूँ ही बस बहते रहने दो?
ख़्वाहिशों का ये समंदर गहरा है,
हर लहर में इक सपना ठहरा है।
टेढ़े-मेढ़े रास्ते, सफ़र आसान नहीं,
अपने क़दमों को आगे बढ़ जाने दो।
जो साथ चले, उसे हौले से थामो,
जो रुकना चाहे, उसे जाने दो।
क्योंकि कभी-कभी, छूट जाने के बाद भी,
अपनी चाहत की मंज़िल मिल जाती है!
(विजय वर्मा)

Categories: kavita
very nice
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Thank you so much.
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अति सुंदर!
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धन्यवाद, सर जी !
आपके सुंदर शब्दों से मुझे खुशी हुई 😊
आपकी सराहना ही मेरी लेखनी की प्रेरणा है। ✨🙏
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🙏💐
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Good night, Sir.
Have a restful night.
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लाजवाब|
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आपकी तारीफ़ दिल को छू गई! 😊🙏
आपकी सराहना ही मेरे शब्दों को और अधिक भावपूर्ण बनाने की प्रेरणा देती है।
यूँ ही प्यार और स्नेह बनाए रखिए! ✨💖
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