#भुला न सकोगे#

यह कविता प्रेम की गहनता और अविभाज्यता को दर्शाती है। प्रेमी का विश्वास है कि उसका प्यार इतना गहरा है कि उसे भुलाया नहीं जा सकता। कविता में प्रेम की निष्ठा और प्रेमी के दृढ़ विश्वास का भावपूर्ण चित्रण करने का प्रयास है ।

भुला न सकोगे

मुझे तुम नज़रों से गिरा तो रहे हो,

लेकिन मुझे तुम कभी भुला न सकोगे,

ना जाने क्यों, मुझे यकीन हो चला है

मेरे प्यार को तुम मिटा न सकोगे।

तुम्हारे दिल की गहराइयों में बसी हूं,

हर धड़कन में बस मेरा ही नाम है,

तुम्हारी आँखों में जो आँसू आते हैं,

वो भी मेरी यादों का ही सलाम है।

मेरे ख्यालों से भागना चाहो,

तो भी मुझसे दूर न जा सकोगे,

मेरे बिना ये ज़िन्दगी अधूरी सी लगेगी,

तुम चाहकर भी इसे पूरा न कर सकोगे।

समय की आंधियों में भी मेरा प्यार अटल रहेगा,

तुम्हारे दिल के हर कोने में मेरा ही नाम रहेगा,

चाहे जितना भी चाहो, मुझसे दूर जाना,

मगर मेरे प्यार की छाया से बच न सकोगे।

मुझे भुलाने की कोशिशें नाकाम रहेंगी,

तुम्हारे हर ख्वाब में मैं ही आऊंगा,

तुम्हारी हर धड़कन में बस मेरा ही बसेरा होगा,

मेरे बिना ये सफर तुमसे तय न हो पाएगा।

तुम्हें चाहे यह एहसास हो या न हो,

पर मेरे प्यार की महक से तुम दूर न हो सकोगे,

मैं हर पल, हर लम्हा तुम्हारे साथ हूँ,

तुम चाहकर भी मुझसे दूर न जा सकोगे।

(विजय वर्मा)

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2 replies

  1. very nice.

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