#चाय की प्याली में सुकून#

यह कविता एक प्यारी सी मुलाकात की है, जहाँ चाय की प्याली के साथ जीवन के सवालों और उलझनों को सुलझाने की कोशिश की जा रही है।

सच, सुकून और खुशी के पल छोटे-छोटे लम्हों में छुपे होते हैं, जिन्हें शब्दों के माध्यम से महसूस कराने की कोशिश है यह कविता ।

चाय के साथ


सवालों में उलझी हुई है ज़िन्दगी,
आओ चाय पीकर इसे सुलझाते हैं।
हर घूँट में हो सुकून का एहसास,
कुछ बातें, कुछ यादें, और कुछ हंसी,
चलो, आज खुलकर मुस्कुराते हैं।

टूटे, बिखरे सपनों को,
फिर से समेटते हैं।
दर्द और खुशी के इस सफर में,
हम और तुम साथ चलते हैं।

चाय की प्याली में घुली मिठास,
अपने रिश्तों में घोलते हैं।
कुछ अनकही बातें, कुछ पुरानी यादें,
आज वो सब कुछ बोलते हैं।

एक नई उम्मीद, एक नई राह।
नए रंगों से रंग जाए जीवन,
हर पल हो खुशियों से भरा,
चाय की चुस्की और आप का साथ,
हर गम हो दूर, हर दुःख मिट जाए।

ये पल बन जाएं यादगार,
दोस्ती का यह रिश्ता रहे कायम,
चाय की खुशबू में खो जाएं हम,
बस यही है जीने का मकसद,
सच, यही है जीवन का सार।
( विजय वर्मा )



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8 replies

  1. very nice

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