#यादों की गलियों में#

यह कविता उन भावनाओं और विचारों को व्यक्त करती है जो वक्त के साथ हमारे दिलों में बस जाते हैं। कवि ने अपनी मौन अवस्था को चित्रित किया है, जहाँ वह कुछ कहे बिना, अपने भीतर की भावनाओं को अनुभव करता है।

कविता की पंक्तियाँ हमें दोस्ती, यादों, और पुराने क्षणों की ओर वापस ले जाती हैं, और उन्हें कविता के माध्यम से पुनः जीवित करने का प्रयास हैं |

यादों की गलियों में

बहुत दिन हुए,

मैं बस चुप हूँ

बिना कुछ कहे

मैंने, न कुछ कहा है  

 न कुछ लिखा है ।

हाँ, सोचता ज़रूर हूँ ,

कि कुछ नया लिखा जाये ,

किसी के जज़्बातों से खेला जाये

आँखों में छिपी हुये  सपने

तूफान बन कर बाहर आए

कुछ पा लेने का संतोष,

चेहरे पर झलक जाये

खुशी के रंगों को

कागज़ पर उतारा जाये

जो गुम हो चुके है

यादों के गलियों में

उन यादों को एक बार

फिर से जिया जाये

दोस्त और उनके कहानियों को

उन क्षणों को

उन रंगों को

कविता में ढाला जाये

उनके अक्ष को

कनवास पर उकेर कर

इश्क के नाम

कोई संदेश लिखा जाये |

(विजय वर्मा )



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7 replies

  1. बेहद प्यारी कविता… दिल को छू लेनेवाले शब्द.
    पढ़कर बहुत अच्छा लगा.

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  2. Well said and shared your thoughts nicely. For you poems are let out of your heart and for us it’s beautiful feelings depicted.. your past emotions are highly respected.

    Liked by 2 people

    • Thank you for your kind words.
      I’m deeply touched by your appreciation of my poetry. For me, poems are indeed an expression from the heart,
      and it means a lot to know that they resonate with you and evoke beautiful feelings.
      Your respect for my past emotions truly honors the spirit of my work. Thank you for sharing this heartfelt connection with me.

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    • Thank you so much for your kind words.
      I am happy that you like my poems. Thanks for your support.

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