
यह कविता खोए हुए प्यार और क्षमा की भावनाओं को व्यक्त करती है। रचनाकार जो अपने प्रियजन के उदास चेहरे को देखकर भावुक हो जाता है, और गलतियों के लिए माफी मांगता है, हालांकि वह जानता है कि शब्द घावों को भर नहीं सकते।
वह ईश्वर से प्रार्थना करता है कि उनके प्रियजन को खोया हुआ प्यार और खुशी वापस मिले। वह तो खुद को भी रिश्तों की भूलभुलैया में खोया हुआ महसूस करता है, लेकिन हार मानने से इनकार करता है।
वह दृढ़ संकल्प है कि वह अपने रिश्तों और प्यार के लिए लड़ता रहेगा, और एक दिन जब उनके प्रियजन उसके दर्द और प्यार को समझेंगे, तो वे वापस लौट आएंगे।
कविता दर्द और तड़प से भरी है, और एक ऐसी इच्छा व्यक्त करती है कि पुराने दिन लौट आएं जब सब कुछ ठीक था।

खोया हुआ प्यार
आँखें नम हो जाती हैं,
जब भी देखता हूँ
उनका उदास चेहरा ,
मन करता है गले लगा लूँ,
और कहूँ, “माफ़ करना
गलती तो हमारी थी ।
पर ये शब्द बदल पाएंगे कुछ ?
क्या मिट पाएंगे वो घाव
जो बेरुखी ने दिये है हमे
जो दर्द दिया है अपनों ने |
ईश्वर से प्रार्थना है, कि
वो प्यार लौटा दे उन्हे ,
जो वे खो चुके हैं |
दे – दे उनको वो खुशी,
जिसे वो ढूंढ रहे हैं।
मैं भी तो खो गया हूँ
रिश्तो की भूल भुलैया में,
न मंजिल का पता है ,
न उन रास्तो का
जो मुझे पहुंचा दे
अपनों के बीच ।
पर हार नहीं मानूंगा,
राड नहीं ठानुंगा,
अपने रिश्तो के लिए,
और प्यार के लिए,
लड़ता ही रहूँगा
वह दिन जरूर आएगा,
जब वो समझेंगे मेरे दर्द को,
महसूस करेंगे मेरे प्यार को,
और फिर
लौट आएंगे मेरे जीवन में।
तब तक मैं
इंतजार करूँगा,
अपने प्यार का,
अपने रिश्तो का,
और उनके यहाँ होने का।
काश! ये दर्द खत्म हो जाए,
और बेरुखी मिट जाए,
काश! लौट आए वो दिन,
जब हम सब
साथ थे ।
और एक थे
काश …..
(विजय वर्मा )

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Categories: kavita
अतिसुन्दर ❤️
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बहुत बहुत धन्यवाद , सर जी |
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अच्छी कविता।
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Thank you , dear.
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वाह जवाब नहीं है बिल्कुल सत्य खोया हुआ प्यार नहीं मिलता
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बहुत बहुत धन्यवाद |
आज कल के दिनों की कहानी है |
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