# ज़िंदगी को देखा है #

जिंदगी क्या है ? शायद यह कुछ समय का एक कारवाँ है, और हम सब इस कारवाँ के मुसाफिर है | बस ,चले जा रहे है किसी अनजान मंजिल की ओर | कुछ लोग रास्ते में बिछड़ गए और कुछ ने तो मंजिल ही बदल लिया |

रास्ते के पड़ने वाले ज़िन्दगी के तीन पडावों को पार करना है — बचपन, जवानी और बुढ़ापा | देखे, किसे कौन सा पड़ाव नसीब होता है | कुछ नए साथी मिलेंगे तो कुछ पुराने छुट जायेंगे | लेकिन रुकना मना है क्योंकि चलना ही जीवन की सच्चाई है |

मैंने तुझको देखा है

जब भी आईना देखा है ..

ये ज़िन्दगी मैंने तुझको देखा है

चाहे जितनी भी मुसीबतें आये    

तुझे मुस्कुराते हुए देखा है |

यूँ तो कभी सोचा ना था कि 

उन से नज़रें  चार हो जाएगी

ऐ ज़िन्दगी किसी मोड़ पे

तुझसे यूँ  प्यार हो जाएगी |

सोचता था रास्ते  में तूफ़ान आयेंगे

और तुम्हारा ज़ज्बा हार जायेगा ,

अब तो पक्का भरोसा है मुझको

कठिनाइयों से तू  पार  पायेगा

तेरी  कश्ती अब डूबेगी  नहीं   

वो  तुझे  मझदार से पार लगाएगा |

(विजय वर्मा )

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4 replies

  1. 🩵

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  2. Jindagi subne dekha hai magar apne andaz me.Bahut Sundar kavita aapka andaz me.

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