
जिंदगी क्या है ? शायद यह कुछ समय का एक कारवाँ है, और हम सब इस कारवाँ के मुसाफिर है | बस ,चले जा रहे है किसी अनजान मंजिल की ओर | कुछ लोग रास्ते में बिछड़ गए और कुछ ने तो मंजिल ही बदल लिया |
रास्ते के पड़ने वाले ज़िन्दगी के तीन पडावों को पार करना है — बचपन, जवानी और बुढ़ापा | देखे, किसे कौन सा पड़ाव नसीब होता है | कुछ नए साथी मिलेंगे तो कुछ पुराने छुट जायेंगे | लेकिन रुकना मना है क्योंकि चलना ही जीवन की सच्चाई है |
मैंने तुझको देखा है
जब भी आईना देखा है ..
ये ज़िन्दगी मैंने तुझको देखा है
चाहे जितनी भी मुसीबतें आये
तुझे मुस्कुराते हुए देखा है |
यूँ तो कभी सोचा ना था कि
उन से नज़रें चार हो जाएगी
ऐ ज़िन्दगी किसी मोड़ पे
तुझसे यूँ प्यार हो जाएगी |
सोचता था रास्ते में तूफ़ान आयेंगे
और तुम्हारा ज़ज्बा हार जायेगा ,
अब तो पक्का भरोसा है मुझको
कठिनाइयों से तू पार पायेगा
तेरी कश्ती अब डूबेगी नहीं
वो तुझे मझदार से पार लगाएगा |
(विजय वर्मा )

पहले की ब्लॉग हेतु नीचे link पर click करे..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share, and comments
Please follow the blog on social media … visit my website to click below.
Categories: kavita
🩵
LikeLiked by 1 person
Thank you so much.
LikeLike
Jindagi subne dekha hai magar apne andaz me.Bahut Sundar kavita aapka andaz me.
LikeLiked by 1 person
Thank you so much for your appreciation.
LikeLike