मुझसे अनजान नहीं ?

इस कविता में, कवि एक अनजान व्यक्ति के लिए अपनी गहरी भावनाओं को व्यक्त करता है। वह इस व्यक्ति को अपने दिल में छुपाकर रखता है, लेकिन वह हमेशा उसके बारे में सोचता रहता है।

हर इंसान एक उम्मीद पर जीता है | वह अपने आप को यह एहसास दिलाता है कि प्यार हमेशा जीतता है, भले ही इसके लिए इंतज़ार करना पड़े।

मुझसे अनजान नहीं ?

अनजान हो तुम,

पर मुझसे अनजान नहीं।

तुम्हारे बिना,

मेरी ज़िंदगी अधूरी है।

खोया-खोया सा,

मैं तुम्हें ढूंढता रहता हूँ।

और सोचता रहता हूँ,

कहाँ हो तुम ?

तुम मेरी आशा हो,

तुम मेरा सहारा हो।

तुम भी मेरे बिना,

यक़ीनन अधूरे हो।

तुम्हारी यादें,

मेरे दिल में हैं।

तुम्हारी तस्वीरें,

मेरी आँखों में हैं।

तुम मेरे ख़्वाबों में आती हो,

मुझे तुम बहुत रुलाती हो।

दुनिया से, अनजान हो तुम,

पर मुझसे अनजान नहीं।

कभी कभी ,

मुझे एहसास होता है

तुम सपनो की देवी हो ,

जो अगर मिल जाओ तुम

मेरी सारी तमन्ना पूरी हो |

(विजय वर्मा )

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

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  1. Behatarin kavita

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