
शिक्षकों के सम्मान में, डॉ. एस. राधाकृष्णन ने ठीक ही कहा था,– ‘मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय, यह मेरे लिए गर्व की बात होगी कि 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए।
आज टीचर्स day है और इस अवसर पर मैं अपने प्रगति में गुरु के योगदान को स्मरण करना चाहता हूँ , उनको कृतज्ञता अर्पित करना चाहता हूँ …
चलो आज “टीचर्स डे” को याद करते है
कुछ अपनी और कुछ आपकी बात करते हैं..
आपको तो मैं अपना आदर्श मानता हूँ
आपकी अच्छाइयों की नकल करता हूँ
बहुत दिनों बाद आपसे मुलाकात हुई
भूले बिसरे यादों पर बहुत सारी बात हुई |
रात हुई, बातों की शुरुआत हुई
नयनों से रिमझिम बरसात हुई
मैंने कुछ आपके गीले शिकवे सुनें
अपनी भी कुछ विवशता आप से कहें
बातों का सिलसिला खत्म ना हुआ,
रात कैसे बीती और कब सवेरा हुआ
आंखे बोझल थी, पर मन हल्का हुआ..|
मैं आपको द्रोणाचार्य की तरह मानता रहा
आपने भी वही परंपरा ठीक से निभाई..
मैं लड़ता रहा जीवन को जंग मान लड़ाई.
कामयाबी की ओर मैंने कदम बढाई .
आपकी दी हुई शिक्षा मेरे काम आई
आपके जीवन जीने की कला मुझे भायी.|
(विजय वर्मा)
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Categories: kavita
Beautiful poem Sir 💛
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Thank you so much.❤
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💕
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Merci beaucoup mon cher.❤❤
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अति सुन्दर रचना 🥰🥰
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर |
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Fantastic picture!
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Thank you so much.
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Sundar kavita
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Thank you dear.
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