# ऐ मेरी ज़िंदगी # 

वैसे तो ज़िन्दगी से हर किसी  को कुछ न कुछ शिकायत रहती है, फिर भी ज़िन्दगी के मोह स बंधा रहता है |  

यह जो ज़िन्दगी है उसमे  मुसीबतें तो आती रहती है,  लेकिन हमें हार नहीं मानना  चाहिए, बल्कि यह तो हमें कुछ नए तजुर्बे दे कर जाती है | इसलिए हमें ज़िन्दगी में संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते ही रहना है |  

इन्ही भावनाओं  को शब्दोँ के माध्यम से प्रकट करने की कोशिश है यह कविता ….

# ऐ मेरी ज़िंदगी #

बहुत हुआ ज़िन्दगी, अब तू मेरी भी सुनेगी

कितनो ने दिए घाव, अब तू नही गिनेगी,

 रोज़  तू लड़ेगी,.. दुनिया  से नही डरेगी

दुनिया के भीड़ में.. अलग  पहचान बनेगी |

गिर कर जब उठेगी, तब वाह वाही मिलेगी

दृढ़ संकल्प हो तेरा गर, कामयाबी ही मिलेगी 

दुनिया का काम है कहना वो तो  कहेगी

ज़िन्दगी में कितने ही गम है,वो दर्द तू सहेगी |

बहुत हुआ ज़िन्दगी.अब  तू  मेरी  भी सुनेगी

कितनों ने दिए घाव.. अब तू नही गिनेगी |

                    (विजय वर्मा)

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12 replies

  1. 🖤🤍

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  2. वाह!क्या बात है

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  3. Eh meri jindegi kavita bhavanantak hai.Bahut badhiya.

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  4. बहुत सुंदर रचना है

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