# हम भी गुलाम है # 

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गुलाम हुआ है इंसान कुछ इस कदर मोबाइल का

रिश्ते मिलने को तरसते है, चाय के टेबल पर |

यह सच है दोस्तों कि आज कल एक छोटी सी निर्जीव वस्तु ने हम सब को अपना गुलाम बना रखा है |  हमें अपनों से इसने कब दूर कर दिया , किसी को पता ही नहीं चला |

वह वस्तु और कुछ नहीं …बस आपके और हमारे हाथों में रहने वाला वह “मोबाइल” ही है |  

मुझे याद आ रहा है एक कहानी जो मोबाइल के कारण होने वाले दुष्परिणाम के सन्दर्भ में बिलकुल फिट बैठती  है | कहानी कुछ इस तरह से है ..

सुबह का वक़्त था और शर्मा जी के परिवार वाले (पत्नी और उनके दो बेटें)  ड्राइंग रूम में सोफे पर बैठे थे |

उन  सभी के हाथों में मोबाइल था और सब लोग अपने -अपने मोबाइल पर बिजी थे |

शर्मा जी अपने कमरे में पेपर पढ़ रहे थे, तभी अचानक उनके सीने में हल्का सा  दर्द महसूस हुआ / उन्हें घबराहट भी महसूस हो रही थी |

उन्होंने मन ही मन सोचा कि कुछ गड़बड़ है अतः  मुझे डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए |

वे ज़ल्दी से अपने बिस्तर से उठ कर हॉल में आये. जहाँ उनकी पत्नी सोफे पर बैठी मोबाइल में खोई थी |

शर्मा जी ने अपनी पत्नी से  कहा … मेरी तबियत  कुछ ठीक नहीं लग रही है | मैं डॉक्टर से दिखा कर आता हूँ |

उनकी पत्नी ने अपने मोबाइल से बिना अपनी आँखे हटाये ही उनसे कहा … ठीक है,  अगर कोई ज़रुरत हो तो मुझे कॉल कर लेना |

शर्मा जी को कुछ अजीब लगा , लेकिन उन्हें तो डॉक्टर को दिखाना जरुरी था इसलिए वे सीढियाँ उतरते हुए नीचे आ गए जहाँ उनकी स्कूटर खड़ी थी |

पुराने ज़माने की बजाज स्कूटर थी जिस पर वे किक मार कर स्टार्ट करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वह स्कूटर स्टार्ट नहीं हो रही थी |

उसी समय कहीं से राघव आ गया | राघव, उनके घर में और दुसरे फ्लैट वालों के यहाँ छोटे मोटे काम किया करता था |

उसने शर्मा जी को किक मारता देख उनके पास आया और पूछा,,, क्या हुआ साब जी, स्कूटर  स्टार्ट नहीं हो रहा है क्या  ?

नहीं बेटा, यह खटारा  स्कूटर स्टार्ट नहीं हो पा रहा है  और मुझे अभी डॉक्टर से मिलने हॉस्पिटल जाना है  |

राघव ने शर्मा जी को देखते हुए आश्चर्य से पूछा .. साब जी,  आप अकेले हॉस्पिटल जा रहे है ?

आप की तबियत ठीक नहीं लग रही है और चेहरे पर पसीने भी आ रहे है |

आप ऐसी हालत में यह मत कीजिये |  

लाइए,  मैं स्कूटर स्टार्ट कर देता हूँ और आप को डॉक्टर के पास ले चलता हूँ |

क्या तुम्हे स्कूटर चलानी आती है … शर्मा जी ने जल्दी से पूछा |

हाँ साब जी , मुझे स्कूटर चलाना आता है और मेरे पास driving license भी है |

फिर उससे जल्दी से  एक जोरदार किक मारा और स्कूटर स्टार्ट हो गया |

उसने फटाफट शर्मा जी को स्कूटर पर बैठाया और तेज़ गति से चलता हुआ थोड़ी देर में हॉस्पिटल पहुँच गया |

उसने स्कूटर खड़ी कर जल्दी से व्हील चेयर ले कर आया  और शर्मा जी को उस पर आराम से बैठने को कहा |

शायद राघव समझ गया था कि शर्मा जी को हार्ट का प्रॉब्लम है और उनकी हालत ठीक नहीं है |

उसने व्हील चेयर को चलाता हुआ ज़ल्दी से इमरजेंसी वार्ड में ले गया जहाँ शर्मा जी के जान पहचान वाले डॉक्टर मिल गए |

डॉक्टर साहब ने शर्मा जी की स्थिति को देखते हुए उनका झट पट आवश्यक चेक अप शुरू कर दिया |

फिर उनके रिपोर्ट को देखते हुए डॉक्टर ने कहा .. अच्छा हुआ शर्मा जी,  आप वक़्त पर यहाँ आ गए और खास कर ऐसी स्थिति में व्हील चेयर  का उपयोग कर ठीक किया |

आप को mild heart अटैक है और आपके हार्ट में blockages है | आप बिलकुल सही समय पर आ गए है | इस blockage को हटाने के लिए  इसी समय  ऑपरेशन करना आवश्यक है |

बस घर के किसी व्यक्ति को एक हस्ताक्षर करना पड़ेगा |

शर्मा जी ने राघव को बुलाया और उसे हस्ताक्षर करने को कहा |

राघव ने शर्मा जी को देखते हुए कहा … आप मुझ पर इतनी बड़ी जिम्मेदारी तो मत दीजिये |

शर्मा जी ने कहा .. .तुम्हारी कोई जिम्मेदारी नहीं है, बेटा |

इस वक़्त तुमसे ज्यादा अपना भी तो यहाँ कोई नहीं है | तुम दस्तखत कर दो और हाँ,  घर पर फ़ोन करके उन्हें खबर कर दो |

राघव अपने मोबाइल से शर्मा जी के घर फ़ोन करने ही वाला था कि उनके घर से ही उसके मोबाइल पर फ़ोन आ गया |

राघव कुछ देर तो उधर से कही गयी बाते सुनता रहा |

फिर उसने कहा… देखिये मैडम जी, आपको मेरा पगार काटना  हो तो काट लीजिये, मुझे नौकरी से निकालना हो तो निकाल देना | लेकिन फिलहाल साब जी का ऑपरेशन शुरू होने वाला है,  आप हॉस्पिटल आ जाइये |

यह सुनकर उनकी पत्नी स्तब्ध रह गयीं जब उनको पूरी स्थिति बताई गयी |

इधर शर्मा जी उनलोगों की फ़ोन पर हो रही बातों को सुन रहे थे |

फ़ोन बंद होते ही शर्मा जी ने राघव से पूछा… वो लोग तुम्हारी पगार काटने की बात कर रहे थे ?

राघव जबाब देने के बजाए सिर्फ मुस्कुरा दिया |

इस पर शर्मा जी ने फिर कहा … तुम चिंता मत करो बेटा, , कोई तुम्हारी पगार नहीं काट सकता है और ना ही नौकरी से निकाल सकता है |

तुम जैसा नेक दिल इंसान कपडे और बर्तन धोने के लिए नहीं है |  मैं एक NGO को जानता हूँ जो समाज में लोगों की  सहायता के लिए काम करता है | तुम उस के साथ काम करना |

तुम्हे अच्छी पगार मिलेगी और   यह काम जो दिल से कर रहे हो,  वहाँ ऐसी काम करके तुम्हे ख़ुशी मिलेगी |

उसके बाद शर्मा जी का सफल ऑपरेशन हुआ और जब शर्मा जी ने आँखे खोली तो देखा कि पूरा परिवार सिर झुकाए सामने  खड़ा है | उनके दोनों बेटे और पत्नी भी है लेकिन राघव कहीं नज़र नहीं आ रहा है |

जब शर्मा जी ने राघव के बारे में पूछा तो उन्हें बताया गया कि राघव के गाँव से फ़ोन आया था … उसके पिता जी हार्ट अटैक से गुज़र गए है |

उस समय शर्मा जी के दिल में एक दर्द उठा कि इस लड़के ने मुझे तो बचा लिया लेकिन ईश्वर ने उसके पिता को उठा लिया |

शायद वह शर्मा जी में ही अपने पिता की छवि देखा होगा और इसलिए उसने बड़ी तत्परता और लगन से उनकी मदद की |

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यही आज की परिस्थिति है दोस्तों,…  पढ़े लिखे और समझदार लोग भी मोबाइल और गजेट के गुलाम बन रहे है और आपसी  रिश्तों और अपनी ज़िन्दगी को भी तबाह कर रहे है …

एक निर्जीव सा मोबाइल जो हम सब के हाथ में होता है , हम परिवार के साथ होते हुए भी साथ नहीं होते |

बड़े बुजुर्ग के तकलीफों को देखते तो है पर अनदेखा कर देते है |

अब  वक़्त आ गया है, सच्चाई को स्वीकार करने की  कि यह जो मोबाइल हम सबों के हांथों में है,  उसे अपना गुलाम बनाना है न कि खुद उसके गुलाम बन जाएँ.

मोबाइल की जो अच्छी और फायदेमंद उपयोग होता है उसे तो स्वीकारें, लेकिन जिसके कारण आपसी रिश्ते टूटते है और  बिखरते है,… उससे आप  दूर रहें |

और अपने आप को बचाए,,,.. परिवार में इसके वजह से रिश्तो को बिखरने  ना दें |     

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

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19 replies

  1. Very sad but a wake up call story!
    मोबाइल फोन पर मैंने भी कुछ लिखा था , मन है आप पढ़ें |

    स्मार्ट फोन का कहर!

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  2. 🖤

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  3. Mobile Chhota Vastu hai magar internet hone se bahut jaankari deta hai.Kuchh bhi Google ko puchho jawab milega. Samay samay ki vaat hai.Aise hi chalana padega.Sundar blog.

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