# चाय के साथ #

दोस्तों, आज कल अकेलापन बुजुर्गों की सबसे बड़ी समस्या बन गयी है |

वैसे तो बुढापा अपने आप में खुद एक बहुत बड़ी समस्या है |  शरीर साथ छोड़ने लगता है, याददाश्त और सहनशक्ति बहुत कम हो जाती है | तरह तरह की  बीमारियाँ घेर लेती हैं |  बहुत से कामों के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है |

हालाँकि , यह सब तकलीफों को वे किसी तरह सहन करते हुए जी रहे है |

 लेकिन उनकी सबसे बड़ी समस्या है उनमें अकेलेपन का अहसास |  बच्चों के जाने-अनजाने गलत व्यवहार के कारण उन्हें अपना घर ही पराया लगने लगता है | उन्हें लगता है कि, अब घर में उनकी कोई ज़रुरत नहीं रह गयी है | वे अपने को बहुत अधिक उपेक्षित, बीमार और असहाय महसूस करते है |

कुछ बुज़ुर्ग तो इसलिए अकेला रहते है,क्योंकि बच्चे नौकरी के लिए विदेश चले जाते है और बाप माँ को  यहाँ अकेला रहना पड़ता है | इन्ही सब भावनाओं  में विचरता,  मेरी  आज की  कविता प्रस्तुत है  | मुझे आशा है आप को पसंद आएगी |

चाय के साथ

आओ किसी का यूँही इंतजार करते हैं

चाय के साथ फिर कोई बात करते हैं

उम्र पचपन  की हो गई है तो क्या

अपने बुढ़ापे का इस्तक़बाल करते है

किसको पड़ी है फिक्र हमारी सेहत की

आओ हम एक दूसरे की देखभाल करते हैं

बच्चे हमारी पहुंच से दूर हैं तो क्या

चलो उन्ही को फिर से कॉल करते हैं

आओ किसी का यूँही इंतजार करते हैं

चाय के साथ फिर कोई बात करते हैं

जिंदगी जो बीत गई सो बीत गई

 जो बची है उससे  प्यार करते हैं

जो भी दिया लाजवाब दिया ऊपर वाले ने

इसके लिए उसे कोटि कोटि धन्यवाद करते है

हम बूढ़ों का हाल यही है आज  इस ज़माने में

तो क्यों न, ये ग़ज़ल उन सब के नाम करते है |

आओ किसी का यूँही इंतजार करते हैं

चाय के साथ कोई फिर बात करते हैं |

                    (विजय वर्मा)

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14 replies

  1. Nice and emotional lines🙏🙏👍👍

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  2. 🧡🧡

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