
यह कविता एक व्यक्ति की भावनाओं और जीवन की यात्रा को प्रस्तुत करने की कोशिश है । जीवन में आने वाली खुशियाँ और दुख, सपने और हकीकत, दोस्ती और अकेलापन को महसूस करता अपने राहों पर चलते रहता है । साथ ही, उनकी आँखों में उनकी चाहत की छवि और दर्द की छाया भी हमेशा रहती है।
वे अपने दोस्तों के साथ उड़ान भरते रहते हैं और जीवन की मुश्किलों का सामना करते हैं, लेकिन कभी-कभी उन्हें अकेलापन की छाया महसूस होती है। उन्हीं भावनाओ को अपने तरीके से व्यक्त करती यह कविता |

मेरा हमदर्द मेरा साया
हंसने की चाह थी, जिंदगी हमें रुलाता रहा,
आँखों में आँसू दिए, दिल को उलझाता रहा
राहों में मेरे अनेक नए सपने चमकते रहे,
पर दिल का दर्द, साया बन सताता रहा।
सपनों की दौड़ में, हम विचरते रहें…
हौसलों की ऊँचाइयों तक उड़ान भरते रहे
दोस्तों की आहटों और हँसी का साथ मिला
वो कदम मिला कर मेरे साथ चलते रहे |
आँखों में उनकी चाहत थी, साथ जीने का वादा भी,
ऐसा लगा कोई फिसला है अभी अभी मेरी बाहों से
यह किसकी आहट है, ये कौन मुस्कुराया
शायद अब जुदा हो गई उनकी राहें, मेरी राहों से |
दर्द की छाया अब साथ रहता है हर लम्हे में
न जाने कितने नुस्खे ज़िंदगी में आजमाया है
लिखता हूँ गीत और दर्द भरे नगमे भी
कितनी ही बार अपने दोस्तों को सुनाया है
सपनों की यात्रा में, नई पुरानी राहों में
कितने सपने बुने कितने ही बिखर गए
यह कौन है सामने , यह क्यों मुसकुराया है
यह और कोई नहीं, मेरा हमदर्द मेरा साया है।
( विजय वर्मा )
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
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Categories: kavita
🩵
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Thank you so much.
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Beautiful sir
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Thank you so much, dear.
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बेहतरीन
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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Sundar kavita sir
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Thank you so much, dear.
I Hope you are Mast. JAI SHREE RAM.
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Bhavanantaka Kavita.Bahut badhiya.
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Thank you so much, dear.
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Awesome
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Thank you so much.
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अति सुंदर भाव
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जी, बहुत बहुत धन्यवाद |
आपके शब्द मेरा हौसला बढ़ाते है |
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