
कछुआ और खरगोश की दौड़
आपको वह कहानी याद है ना.. कछुआ और खरगोश के दौड़ का ??….
आज मैं उसी खरगोश से मिला जो कछुआ से दौड़ हार गया था ।
दरअसल दुनिया भर में हर कोई कछुआ की मिसाल देता फिरता है ….
यह कहते हुए सुना जाता है कि कछुआ धीमा लेकिन लगातार (slow and steady ) दौड़ जारी रखने के कारण जीता था … और यह उसके दृढ निश्चय और जीतने की इच्छा शक्ति का परिणाम था |
लेकिन, किसी ने कभी खरगोश से कहानी का उसका पक्ष पूछने की जहमत नहीं उठाई | तो चलिए, मैं खरगोश के पक्ष की बात बताते हुए कहानी के एक अलग नजरिए से वाकिफ कराता हूँ .

मैं उस खरगोश से मिला जो अपने दिल की बात कहना चाहता था | मैं उसकी व्यथा सुनने के लिए उसके साथ बैठ गया।
हमने उसकी हकीकत जानने के लिए चिलचिलाती धुप और दोपहर की गर्मियों के बाबजूद नदी के किनारे एक घने पेड़ के नीचे हरी हरी घास पर बैठ कर कुछ पल बिताने का फैसला किया | … खरगोश भाई ने उस घटना को याद करते हुए लम्बी सांस लेते हुए कहा — “हाँ, मैं वह खरगोश हूँ जो उस रेस को हार गया था |
लेकिन , मैं आलसी या आत्मसंतुष्ट नहीं हूँ | मुझे समझने का प्रयास करो ।
उस समय मैं पहाड़ियों के पास घास के मैदानों पर कूद- फांद कर मस्ती कर रहा था और पीछे मुड़कर देखा कि कछुआ कहीं दिखाई नहीं दे रहा है ।
मैंने तालाब के पास खड़े बरगद के पेड़ के नीचे एक छोटी झपकी लेने का फैसला किया।
क्योंकि , दौड़ की चिन्ता ने मुझे पिछली पूरी रात जगाए रखा था।
कई दिनों तक, वह बूढ़ा मूर्ख कछुआ बिना रुके सैकड़ों मील तक चलने की अपनी क्षमता के बारे में शेखी बघारता रहा था ।
और कहता रहा था कि जीवन एक मैराथन है, , स्प्रिंट नहीं ।
मैं उसे दिखाना चाहता था कि मैं दूर तक और तेज भी दौड़ सकता हूँ |
वह बरगद घने पेड़ की छांव में छतरी जैसी थी । मुझे लगभग एक अंडाकार पत्थर मिला | मैंने उसे घास से ढक दिया, और उसे एक अस्थायी तकिए में बदल दिया ।
मैंने पत्तों की सरसराहट और मधुमक्खियों को भिनभिनाते हुए सुना – ऐसा लगा कि वे सब मुझे सुलाने के लिए सहयोग और साजिस कर रहे है | और उन्हें सफल होने में देर नहीं लगी।

कुछ ही देर के बाद मैंने खुद को पानी की एक खूबसूरत धारा में एक लट्ठे पर बहते हुए देखा ।
जैसे ही मैं किनारे के पास आया, मुझे एक बूढ़ा आदमी मिला, जिसकी बड़ी और सफ़ेद दाढ़ी थी | वह एक चट्टान पर ध्यान मुद्रा में बैठा था।
उसने अपनी आँखें खोलीं, | मुझे एक सर्वज्ञ मुस्कान के साथ देखा और पूछा … “तुम कौन हो ?”
“मैं एक खरगोश हूँ । मैं एक रेस में दौड़ रहा हूँ — मैंने ज़बाब दिया |
क्यूँ ?
“जंगल के सभी प्राणियों को यह दिखाने के लिए कि मैं सबसे तेज हूं ।”
“आप क्यों दिखाना चाहते हैं कि आप सबसे तेज़ हैं ?”
“ताकि मुझे एक पदक मिले जो मुझे सम्मान दिलाएगा और अच्छा खाना मिलेगा |
“आसपास पहले से ही इतना खाना है।” उसने दूर तक जंगल की ओर इशारा कर दिखाया ।
“उन सभी पेड़ों को देखो, जो फलों और मेवों से लदे हैं, वे सभी पत्तेदार शाखाएँ” है |
“मुझे खाने के अलावा सम्मान भी चाहिए । मैं सबसे तेज खरगोश के रूप में याद किया जाना चाहता हूँ … जो कभी जीवित था ।”
“क्या आप सबसे तेज हिरण या सबसे बड़े हाथी या सबसे शक्तिशाली शेर का नाम जानते हैं जो आज से एक हजार साल पहले इस पृथ्वी पर रहता था ?”
नहीं न ।”
“आज आपको एक कछुए ने चुनौती दी है।
कल सांप से होगा।
फिर यह एक ज़ेबरा से होगा ।
क्या आप यह साबित करने के लिए जीवन भर दौड़ लगाते रहेंगे कि आप सबसे तेज हैं ?”

खरगोश चौकते हुए बोला … मैंने तो इसके बारे में सोचा ही नहीं था |
मैं जीवन भर दौड़ नहीं लगाना चाहता । ”
“इस पर बूढ़े महात्मा ने पूछा….आप क्या करना चाहते हैं ?”
“मैं एक बरगद के पेड़ के नीचे एक अस्थायी तकिए पर सोना चाहता हूं, जहाँ पत्तियां के सरसराहट की आवाज़ होती है और मधुमक्खियां भिनभिनाती हैं । जहाँ प्रकृति का आनंद है |
मैं पहाड़ियों के पास घास के मैदानों पर कूदना – फुदकना चाहता हूँ और तालाब में तैरना चाहता हूँ |”
इस पर महात्मा जी ने कहा …“आप ये सब काम इसी क्षण भी कर सकते हैं ।
दौड़ को भूल जाओ ।
तुम आज यहां हो लेकिन कल तुम चले जाओगे ।”
तभी मैं नींद से जाग उठा।
हमने देखा … तालाब में बतखें ख़ुशी से तैर रही है ।
मैं उन्हें एक पल के लिए चौंकाते हुए तालाब में कूद गया।
तब बतख ने मेरी ओर ताज्जुब से देखते हुए पूछा —

“क्या आपको आज कछुए के साथ दौड़ना नहीं चाहिए था ?”
“यह सब व्यर्थ है । अपने को श्रेष्ठ साबित करने का एक बेतुका प्रयास | .
अब मुझे कुछ साबित नहीं करना है |
मैं बस इस पल को ख़ुशी ख़ुशी जीना चाहता हूँ |
उम्मीद है किसी दिन कोई मेरे हारने की सच्ची वजह जानेगा और कहेगा .. अरे वाह, खरगोश तो बड़ा समझदार निकला और हार कर भी दौड़ जीत गया .|
यह सच है कि मैं अपनी दौड़ हार गया लेकिन मुझे अपना सुंदर जीवन वापस मिल गया |
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Categories: story
Stay more healthy, you lived a good life
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Thank you so much.
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बहुत ही प्रेरणादायक कहानी
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जी, बहुत बहुत धन्यवाद , सर जी |
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💜
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Nice and very different take, thanks.
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Thank you so much, dear.
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Thank you so much.
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Nicely elaborated moral story.
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Thank you dear.
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