सकारात्मक विचार –18 

  • आप जो कुछ चाहते हैं, उसके लिए कठिन मेहनत करिये, बिना संघर्ष के आप कुछ हासिल नहीं कर सकते।
  • तुम्हें मजबूत और दृंढ संकल्प होना होगा, अगर कोई आपको रोकने या भटकाने की कोशिश करता है तो आपको खुद पे विश्वास होना चाहिये कि आप जो कर रहे हैं वो सही है।
  • अगर हम सकारात्मक कार्य करना चाहते हैं तो हमें अपना नजरिया सकारात्मक बनाना होगा |
  • अपने अंदर एक ऐसी जगह तलाशो जहाँ खुशियां और आनंद हो, फिर वो आनंद आपके दुःख – दर्द को समाप्त कर देगा |

अभी हारा नहीं हूं मैं,

एक और मौका मिला है मुझे।

लड़ रहा हूँ चुनौतियों से,

सफल होकर दिखाऊंगा तुझे।

तू क्या समझता है मुझे ?

खो दूंगा मैं अपना हौंसला।

रोते रहूंगा बैठ कर हर पल,

मायूस होकर मन बौखला।

क्या चुप होकर बैठ जाऊं ?

ऐसा हरगिज़ नहीं करूंगा।

नए राह में कदम रखकर,

 कठिनाइयों से नहीं डरूंगा।

(विजय वर्मा )

दोस्तों ,

हमारे मन में कुछ न कुछ विचार चलते रहते है | यह मेरे विचार हमारी मनःस्थिति पर निर्भर करती है | मनुष्य के मन में  दो  तरह के विचार होते है …. सकारात्मक और नकारात्मक |

आज के माहौल में हम नकारात्समक परिस्थितियों से घिरे है | इसलिए हमारे अन्दर भी नकारात्त्ममक विचार आते रहते है | इसका परिणाम यह होता है कि हम बेवजह हमेशा दुखी रहते है |

सोच एक शक्ति है, एक शस्त्र है, जो भगवान् ने हमें दिया है |  इसका प्रयोग कर हम बड़े से बड़े युद्ध  में भी विजय प्राप्त कर सकते है | जीवन में हमें कई तरह की परेशानियाँ आती है |  ऐसा कोई इंसान  नहीं है, जिसके जीवन में कोई कठिनाई और  परेशानी न हो |

 हर इन्सान के पास परेशानी है, लेकिन हर  परेशान इन्सान रोता हुआ तो नहीं दिखता है ? परेशानी के समय भी जो अपनी सोच पर काबू रखते है, वे ही उससे लड़ कर विजयी हो पाते है |

 सकारात्मक विचार हमें अच्छी सोच और अच्छे विचार की ओर ले जाते है, जबकि नकारात्मक सोच  हमें गलत रास्तों की ओर मोड़ देते है | हमारा जीवन बहुत कीमती है और भगवान् ने हमें शक्ति दी है कि हम अपने को सकारात्मक रख  सकते है,  तो फिट क्यों न, हम सकारात्मक विचारों के साथ अपने बहुमूल्य जीवन को ख़ुशी – ख़ुशी  जिएं ?

जब आप सुबह उठते हैं,  तो आपके पास दो विकल्प होते हैं। सकारात्मक रहें या नकारात्मक, आशावादी रहें या निराशावादी।

मैं आशावादी होना पसंद करता हूँ। ये एक द्रष्टिकोण की बात है |

इस सन्दर्भ में एक कहानी सुनाना चाहता हूँ |

एक बार की बात है कि भगवान् बुद्ध अपने शिष्यों को प्रवचन दे रहे थे | उसी समय उनका एक प्यारा शिष्य “आनंद” के मन में क्या सुझा कि  उसने महात्मा बुद्ध के पैर को छू कर निवेदन किया – प्रभु, मैं आपके  धर्म को फैलाने के लिए,  आपके प्रेम और शांति के मार्ग को आगे बढ़ने के लिए. मैं अंग, बंग और कलिंग  प्रदेश में जाना चाहता हूँ |

भगवान् बुद्ध अपने शिष्य की ओर देख कर कहा – तू वहाँ जाना तो चाहता है , लेकिन क्या तुम्हे पता नहीं , कलिंग के लोग बड़े शैतान होते है | वहाँ के लोग संतो से प्रेम नहीं करते बल्कि नफरत करते है | वहाँ, वे तुमको  भोजन – पानी  नहीं देंगें |  इतना ही नहीं, वे तो तुमसे गाली – गलौज भी करेंगे |

तुम तो मेरे प्रेम और  शांति के धर्म के मार्ग को उन्हें बताना चाहोगे और वो तुम्हे गालियाँ  निकालेंगे तो बोलो, तुम्हारे मन में किस तरह के भाव उत्पन्न होंगे ?

शिष्य आनंद मुस्कुराते हुए बोला – प्रभु, आप कैसी बात करते हो |  क्या आपको अपने शिष्य पर थोडा भी भरोसा नहीं हैं ?  प्रभु, अगर मैं आपके प्रेम और शांति के धर्म का प्रचार करूँगा और बदले में वो गलियां निकालेंगे तो मेरे मन में  यही भावना आएगा कि वाह, यहाँ के लोग कितने अच्छे है , वे सिर्फ गलियां देते है, डंडे से  पिटाई तो नहीं करते है |

अच्छा बताओ, अगर वे तुम पर डंडे बरसाने लगे तो ?

प्रभु, तब मेरे मन में विचार आएगा कि ये लोग कितने भले है,  सिर्फ डंडे से मारते है , पत्थर से मार कर लहू – लोहान तो नहीं करते है |

और अगर वो लोग तुम्हे पत्थर से मार कर लहू- लुहान कर दे तो ?

शिष्य आनंद फिर मुस्कुराया  और बोला –  मेरे मन में अब भी यही भावना आएगी कि ये लोग कितने भले है , सिर्फ पत्थर से मारते है, चाकू – भाला से तो नहीं मारते |

भगवान् बुद्ध अपने शिष्य की बात सुन कर मुस्कुरा  दिए और फिर कहा – तुम तो बहुत दृढ-संकल्प वाले शिष्य बन गए हो |

अच्छा बताओ , अगर वे लोग चाक़ू – भाला से तुम पर हमला कर दे,  तब तुम्हारे मन में कैसी भावना आएगी ?

प्रभु, फिर भी मेरे मन में यही भावना  आएगा कि ये लोग कितने भले है – सिर्फ चाकू – भाला से ही मारा है ?    कम से कम  इन्होने मुझे जान से नहीं मारा है |

Pic source: Google.com

इतना सुनना था  कि भगवान् बुद्ध अपने शिष्य के  स्वागत में खड़े हो गए और कहा – ठीक है !  लेकिन जाने से पहले,  मेरा एक अंतिम प्रश्न है, उसका भी उत्तर चाहिए | बताओ, अगर वो सचमुच तुम्हारी जान ले ले, तो मरते हुए तुम्हारे मन में क्या विचार आएगा ?

उनके शिष्य आनंद ने अपने गुरु के पांव छूते  हुए कहा – प्रभु , मैंने जो भी कुछ सीखी है, आपसे ही सिखा है | प्रभु, मैं आपके विचारों को फ़ैलाने के लिए कलिंगा में गया और उन्होंने मेरी जान ले ली |  तब मरते हुए  मेरे मन यही विचार आएगा कि मैं सबसे सौभाग्यशाली निकला जो भगवान् के धर्म को फैलाने में मेरा बलिदान हो गया |

इतना सुनना था कि भगवान् ख़ुशी से उसे गले लगा लिया और उसके ललाट पर तिलक लगाते हुए  आशीर्वाद दिए और बोले – जा आनंद जा ! जो  व्यक्ति इतना सकारात्मक सोच रखता हो  वह जहां  भी जायेगा वह जगह उसके लिए अनुकूल बन जायेगी |  इतना कह कर भगवान् बुद्ध ने  अपने शिष्य को विदा किया |

दोस्तों , इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है  कि सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपने लक्ष्य को हासिल कर पाने में सक्षम होता है | और जहाँ भी जाता है अपने आस पास के माहौल को सकारात्मकता एवं ख़ुशी से भर देता है |

हमारा यह प्रयास कैसा है ? अपनी राय देंगे तो मुझे ख़ुशी होगी |

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14 replies

  1. बेहद सुंदर विचार ।। 👏🏻

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  2. Bahut sundar lekha.

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