#फिर भी दिल मुस्कुराता है #

यह कविता जीवन के सफर को बखूबी दर्शाती है जहां खुशियों और दुखों का भाग बंटना सामान्य होता है। यह कविता अक्सर तन्हाई में होने वाले दर्द को बयां करती है और इसे कलम से निकालने का महत्व बताती है।

कवि ने अपने दर्दों को एक अफसाना बनाकर उनसे बाहर निकलने का उपाय ढूंढ लिया है। वह शब्दों की माला बनाता है और उनसे अपनी भावनाओं को बयां करता है। इस कविता के माध्यम से कवि अपने जीवन के रंग, उसकी खुशियाँ, दुख, तन्हाई को बयान करता है और उनसे निकलने का तरीका ढूँढता है ।

#फिर भी दिल मुस्कुराता है #

जीवन के इस सफर में

बांटने से ही खुशियाँ आता है  

कई बार मन दुख जाता हैं,

फिर भी दिल मुसकुराता हैं |

जब कभी सफर में तन्हा होता हूँ

तब खुद की महफिल सजाता हूँ

फिर जीवन के इस सफर के दौरान

लोगों को जीने का मतलब समझाता हूँ |

हर कोई अपना दर्द खुद ही सहता है

कुछ नहीं कहता है, बस चुप ही रहता है,

मैं भी अपने दर्दों से अफसाना बनाता हूँ

लिखता हूँ गीत और तराना सुनाता हूँ |

मन मे जब भावनाओं का तूफान आता है,

दिल कहने को कुछ मजबूर कर जाता है

तब मैं शब्दों की माला पिरोता हूँ,

बाहर से हँसता हूँ पर अंदर से रोता हूँ |

मैं भावुक हूँ, भावनाओं की सुनता हूँ

कोई कुछ भी कहे, दिल की गुणता हूँ,

जीवन में चाहे हो गम या खुशी

मैं तो बस प्यार की चादर बुनता हूँ |

(विजय वर्मा )

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14 replies

  1. christinenovalarue's avatar

    🖤🖤

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  2. Well written poem.

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