
कभी-कभी ज़िंदगी की राहों में कोई ऐसा हमसफ़र मिल जाता है, जिसकी मौजूदगी सुकून बन जाती है। पर अगर वो हमसफ़र बिना कहे चला जाए, तो उसकी यादें उम्र भर साथ चलती हैं।
यह ग़ज़ल उसी अधूरी मोहब्बत, वादों की बेवफाई और दिल की गहराइयों में बसे इंतज़ार की दास्तान है।
हर शेर में छिपी टीस, उन लम्हों को समर्पित है जो सिर्फ एहसास बनकर रह गए…
ग़ज़ल: तेरी याद की परछाइयाँ
तेरी यादों की महक आज भी आती है कहीं,
कोई साया सा मुझे फिर से सताती है कहीं।
मैं जो ठहरा था वहीं, उस तेरे वादे पे मगर,
तू हवाओं की तरह लौट भी आती है कहीं?
दिल को समझा लिया था तेरे ना होने पे भी,
पर ये आँखें हैं कि रोने से रुकती ही नहीं।
हर किसी मोड़ पे मैं तुझको पुकारा करता,
और तू था कि मेरी धड़कन समझती ही नहीं।
एक लम्हा था कभी जब तुझपे जान देता था,
आज तन्हाई में खुद को ही मैं छलता हूँ।
वो जो चलता था मेरे सुर में बिन कहे भी,
आज उसकी ही ग़ज़ल गाकर मैं ढलता हूँ।
तू जो कह देता तो सब छोड़ भी देता मैं,
मेरा रिश्ता था तुझी से, ये ज़माना क्या था।
तूने आहट भी नहीं दी कभी रुख्सत की,
और मैं उम्र भर इंतज़ार में दीवाना क्या था।
अब तो दिल भी तेरी दस्तक नहीं पहचानता,
वो जुनूं, वो खुमार, अब कहानी हो गई।
जिसे चाहा था खुदा की तरह सच्चाई से,
वो ही शख्स मेरी आँखों में रवानी हो गई।
अंत में…
हर दिल में एक ऐसा कोना होता है जहाँ बीते लम्हों की परछाइयाँ बसी होती हैं।
शायद यह ग़ज़ल आपके दिल की भी वो बात कह जाए, जिसे आप अब तक सिर्फ महसूस करते आए हैं।
(विजय वर्मा)
http://www.retiredkalam.com

Categories: kavita
Wahh wahh!!
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बहुत-बहुत धन्यवाद! 🙏
आपके शब्दों ने दिल छू लिया।
आपका प्रोत्साहन ही मेरी लेखनी को और प्रेरित करता है।
आशा है आप आगे भी मेरे भावों से जुड़े रहेंगे। 😊✨
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💔 “तेरी याद की परछाइयाँ”
दिल की गिरहें खोलती एक ग़ज़ल
कभी-कभी कोई रचना शब्दों से नहीं, एहसासों से लिखी हुई लगती है।
तेरी याद की परछाइयाँ” पढ़कर ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे भीतर के अधूरे रिश्ते, चुप रह गए सवाल, और उन लम्हों की टीस को शब्द दे दिए हों जिन्हें मैं अब तक सिर्फ महसूस करता आया हूँ।
“तूने आहट भी नहीं दी कभी रुख़्सत की…”
यह शेर तो जैसे उन सबके लिए है जिन्होंने बिना अलविदा कहे हमारी ज़िंदगी से रुख़्सत ले ली।
आपने इस ग़ज़ल के ज़रिए जो ख़ामोशियों की स्याही में डूबे लफ़्ज़ हमें दिए हैं, वो देर तक दिल के किसी कोने में टिमटिमाते रहेंगे।
शुक्रिया इस एहसास को नाम देने के लिए।🌹❣️
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आपके शब्द मेरे दिल को गहराई से छू गए। 🙏
“तेरी याद की परछाइयाँ” जब मैंने लिखी, तो बस एक सन्नाटा था भीतर — जो किसी की ख़ामोश रुख़्सत के बाद भी शोर करता रहा।
आपने इस ग़ज़ल को जिस संवेदनशीलता और अपनापन से महसूस किया है, वह मेरे लिए सबसे बड़ी सराहना है।
“शब्दों से नहीं, एहसासों से लिखी रचना” — आपकी यह पंक्ति, मेरी लेखनी का सबसे सच्चा परिचय है।
आप जैसे पाठकों के दिल में जगह पाना ही मेरे शब्दों की मंज़िल है।
🌸 दिल से शुक्रिया इस मोहब्बत भरी प्रतिक्रिया के लिए।
आपका साथ और स्नेह ही मेरे लेखन की रौशनी है।❣️✨
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Revisiting cherished memories.
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Indeed…
Revisiting cherished memories is like opening an old diary—every page holds a heartbeat, every word whispers emotions long felt.
Thank you for walking with me down this lane of tender remembrance. 🌸
Some memories never fade… they simply grow fonder with time. 💖
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Bahut sundar.
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