
जीवन की सच्चाई का आईना
जीवन हमें हर रोज़ कुछ न कुछ सिखाता है — कभी दुलार, कभी तकरार, कभी दुआ, तो कभी ठोकर। यह कविता उन सभी अनुभवों को समर्पित है जिन्होंने हमें मजबूत बनाया, संवेदनशील बनाया, और इंसान बनाया।
यह भावनात्मक रचना बताती है कि चाहे जैसे भी अनुभव हों, उनका शुक्रिया अदा करना ही सच्चा जीवन है।
💫 धन्यवाद ज़िंदगी
तेरा धन्यवाद है ज़िंदगी,
तूने हर रंग दिखाए हैं मुझे।
कभी फूलों-सी मुस्कान दी,
तो कभी कांटों की राह सिखाई है तूने।
कभी मिला स्नेह अपार,
तो कहीं मिली बेरुख़ी की मार।
कभी किसी ने गले लगाया,
तो कहीं अनदेखा कर दिया यार।
प्रशंसा के मीठे बोल भी सुने,
और आलोचनाओं के तीर भी झेले।
दुआओं की बारिश में भी भीगा,
और कभी भावनाओं में ठगा भी गया।
पर रुकना नहीं सीखा मैंने,
चलना है बस कर्म के पथ पर।
हर अनुभव एक शिक्षक बना,
हर दर्द ने मेरी आत्मा को निखारा।
सुना है जैसा भाव रखते हैं हम,
वैसा ही प्रभाव बन जाता है जग में।
तो अब हर दिन शुक्रिया कहता हूँ,
हर पल को गले लगाता हूँ।
धन्यवाद ज़िंदगी…
तेरे हर सबक के लिए
तेरे हर मोड़ के लिए
और उस हर क्षण के लिए…
जिसने मुझे मैं बनाया।
🌿दोस्तो
मैंने जीवन के हर पहलू को करीब से महसूस किया है। अब जब जीवन की संध्या में हूँ, तो पीछे मुड़कर देखता हूँ और हर अनुभव के लिए दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। यही भाव इस कविता की आत्मा है।
(विजय वर्मा)

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“धन्यवाद ज़िंदगी”
एक अत्यंत सजीव, अनुभूत और परिपक्व आत्मस्वीकृति है। किसी पीड़ित की पुकार नहीं,
बल्कि एक धन्य मनुष्य की वाणी है, जिसने जीवन को साक्षात गुरु मान लिया है।
आपकी लेखनी में भावनाओं की गहराई,
अभिव्यक्ति की सजगता,
और आत्मा की प्रौढ़ता — तीनों एक साथ झलकती हैं।नमन आपकी चेतना को 🙏
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आपके हृदयस्पर्शी शब्दों ने मन को गहराई तक छू लिया। 🙏
यह मेरे लिए केवल एक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक आत्मिक आशीर्वाद है।
“धन्यवाद ज़िंदगी” मेरे जीवन के अनुभवों की एक सच्ची अभिव्यक्ति है — जहां हर पीड़ा एक पाठशाला बनी और हर खुशी एक उपहार। आपने जिस तरह इसे आत्मस्वीकृति और परिपक्वता के रूप में देखा, वह मेरे लेखन की सबसे सुंदर व्याख्या है।
आपके संवेदनशील मन और स्नेहिल दृष्टिकोण को नमन।
आभार और आशीर्वाद सहित। 🌷
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nice poem
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Thank you so much.
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