# क्या यही प्यार है?

प्रेम का अर्थ केवल साथ होना नहीं, बल्कि उसकी यादों में खो जाना भी है। कभी मुस्कुराहट में, कभी अश्रु में, तो कभी खामोश दुआओं में —
इस कविता मे उन नन्ही-नन्ही भावनाओं का चित्रण करने की कोशिश है, जब दिल बेआवाज़ होकर भी सबसे गहरी बातें कह जाता है।

क्या यही प्यार है?

तनहाई में किसी को याद कर मुस्कुराना — क्या यही प्यार है?
बिना वजह ही अपने दिल को समझाना — क्या यही प्यार है?
छुप-छुप कर किसी की यादों में भीग जाना,
और भीड़ में खुद को तन्हा पाना — क्या यही प्यार है?

यूँ तो रातों को नींद नहीं आती हमें,
फिर भी ख्वाबों में झलक जाती है उनकी तस्वीर।
जो मेरी बात जुबां तक आ नहीं पाई कभी,
वो मेरे चेहरे पे बन जाती है तहरीर।

बारिश में भीगते हुए किसी को याद करना,
किसी गीत में अचानक उसका नाम ढूँढ लेना।
हर खुशी में उसके बिना कुछ अधूरा सा लगना,
न चाहते हुए भी उसे दिल से दुआएँ देना।

कभी किसी मोड़ पर जो मिल जाए वो पलभर,
उस पल में उम्र भर जी लेना — क्या यही प्यार है?
कोई कुछ कह न सके, कोई कुछ सुन न सके,
पर दिल का हाल जान लेना — क्या यही प्यार है?
(विजय वर्मा)



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4 replies

  1. very nice

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  2. एक अनकही मोहब्बत, एक अधूरी चाहत और दिल के गहरे जज़्बातों की सजीव अभिव्यक्ति….

    आपकी शायरी दिल के उस कोने से निकली लगती है जहाँ खामोशियाँ बोलती हैं और ख्वाब अपनी जुबां बना लेते हैं। आपकी रचना में जो भाव है, वह किसी सच्चे और नाज़ुक एहसास की कहानी कहता है, वाहहह 👌👌

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    • आपके इतने भावपूर्ण और आत्मीय शब्दों ने दिल को छू लिया।
      आपकी प्रतिक्रिया उस सुकून की तरह है जो किसी बिछड़े एहसास की याद में मिल जाए।

      सच कहूँ तो, जब भावनाएं शब्दों का रूप लेती हैं और कोई उन्हें इतनी गहराई से महसूस करता है,
      तो लेखक को उससे बड़ा कोई पुरस्कार नहीं मिलता।

      आपका साथ और समझदारी इसी तरह बनी रहे — यही कामना है।
      शुक्रिया इस खूबसूरत एहसास को शब्दों में ढालने के लिए। 🙏💖🌸

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