
यह कविता प्रेम की गहराई और चाहत की मासूमियत को दर्शाती है। इसमें एक ऐसे दिल की पुकार है, जो अपने प्रिय से सिर्फ एक बार ‘अपना’ कहलाने की हसरत रखता है।
यह भावनाओं की कोमलता और समर्पण की भावना को बयां करती है। इसमें प्यार, इंतजार, और इबादत की खूबसूरत झलक है, जो आप के दिल को गहराई से छू जाएगी ।
एक बार अपना कह दो
मुझे एक बार अपना कह कर पुकारो,
इसके सिवा कोई हसरत नहीं है।
तुम्हारी यादों में मैं खोई हुई हूँ,
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है।
तलाशती हूँ मैं चाहत के कदरदान,
मोहब्बत के सिवा मेरी कोई आदत नहीं है।
तेरे ख़्वाब ही मुझे हर सुबह जगाती है ,
ये चाहत तो है, पर इबादत नहीं है।
तेरे साथ चलने की हसरत लिए हूँ,
मगर राह में कोई सहूलियत नहीं है।
तू मुझसे कभी दूर मत जाया करना,
मेरी ज़िन्दगी में रज़ामत नहीं है।
मुझे एक बार अपना कह कर पुकारो,
इसके सिवा कोई हसरत नहीं है।
(विजय वर्मा )

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Categories: kavita
very nice
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Thank you so much.
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Very expressive. I could feel the emotions.
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Thank you so much for your kind words! 😊
I’m truly glad that the poem resonated with your emotions. Poetry has a magical way of touching hearts,
and it means a lot to know that it could evoke such feelings for you.
Found your appreciation after a long time. Your words mean a lot for me.
Thank again for connecting with the emotions behind the lines!
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