“मेरा सच्चा दोस्त”

यह कविता दोस्ती और भावनाओं की गहराइयों को बयां करती है। इसमें रात की तन्हाइयों और तारों की रोशनी के माध्यम से एक सच्चे दोस्त की याद और उसकी महानता का चित्रण किया गया है।
दोस्त के साथ जुड़ी हर बात कवि के दिल और ख़्वाबों में बसे रहने की बात करती है।

मेरा सच्चा दोस्त”

रात की चुप्पियों में तेरा साया देखा,
तारों की रोशनी में अक्स आया देखा।
अंधेरी रात के समंदर में खोए थे हम,
हर लहर ने जो रास्ता बनाया, देखा।

तू दूर था, फिर भी करीब सा लगा,
हर ख़्वाब में मैंने तेरा नशा  देखा।
आसमान की ऊँचाइयों में तू था कहीं,
हर सितारे में तेरा नाम लिखा देखा।

दिल की गहराइयों में बसी थी तेरी बातें,
जितना परखा तुमको, तुझे सच्चा देखा।
मुझे फख्र है तुझ पर, ऐ मेरे दोस्त,
तुमको मैंने हर दम सबसे अच्छा देखा।

(विजय वर्मा)

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