
यह कविता समय के साथ गुज़रते लम्हों, यादों और भावनाओं को संजोने की कहानी है। इसमें वह दर्द है जो हमें पुरानी यादों की ओर खींचती है |
यह कविता उन लम्हों को छोड़ जाने की बात करती है जो हमारे जीवन में एक अनमोल धरोहर बन जाते हैं।
यादों का सफर
मिटाओगे कहाँ तक
मेरी यादें और मेरी बातें,
हम हर मोड़ पर
अपने होने का एहसास छोड़ जाएंगे।
ज़िंदगी की खूबसूरत
एक कहानी छोड़ जाएंगे,
हर लम्हे में, हर साँस में
अपनी निशानी छोड़ जाएंगे।
गुज़र जाते हैं ख़ूबसूरत लम्हें
यूँ ही मुसाफिरों की तरह,
यादें वहीँ खड़ी रह जाती हैं
रुके रास्तों की तरह।
समय चलता है मगर
वो ठहर सा जाता है,
उम्र के हर मोड़ पर
कुछ लम्हा छोड़ जाता है।
एक उम्र के बाद
उम्र की बातें उम्र भर याद आती हैं,
पर वो उम्र फिर लौटकर
कभी भी नहीं आती है।
बस रह जाती है धुंधली तस्वीरें
कुछ अधूरे ख्वाबों की,
और दिल की गहराई में
कहीं छुपी हुई रौशनी उन जवाबों की।
समेटते हैं हम
हर रोज़ की धड़कनों में,
वो गुज़रे लम्हों की महक
वो बिखरी हुई यादों का शहर।
कभी हो सके तो
उन्हें आवाज़ दे लेना,
क्योंकि हम हर धड़कन में
अपनी पहचान छोड़ जाएंगे।
सच, हर लम्हे में, हर साँस में
अपनी निशानी छोड़ जाएंगे।
(विजय वर्मा)
Categories: kavita
Poignant and true. 🙏
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Thank you for your kind words. 🙏
Your words mean a lot.
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लाज़वाब रचना बाबा जी। बहुत ही सुंदर 👌👌।
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बहुत-बहुत धन्यवाद! आपकी सराहना मेरे लिए अनमोल है।
ऐसे ही अपनी मोहब्बत और दुआएं बनाए रखें। 😊🙏
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Nice poem.
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Thank you so much,
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