
यह कविता एक अनकहे प्रेम की गहराई और उसके जीवन में प्रभाव को खूबसूरती से चित्रित करती है। इसमें प्रेम की महक और अपने प्रिय के बिना जीवन की उदासी को संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
यह कविता प्रेमी के प्रति उस गहरे लगाव को दर्शाती है जो उसकी हर धड़कन, सांस, और हर पल में मौजूद है। बिना प्रिय के जीवन कैसी , शब्दों से झलकती है।
तुमसे ही मेरी दुनिया
तुम हो तो मेरा दिल धड़कता है,
और हर धड़कन में संगीत बसता है,
तुम्हारी मुस्कान से मेरी सुबह होती है,
तुम्हारे इंतजार में मेरा दिन ढलता है।
तुमसे ही मेरी साँसें चलती हैं,
प्यार की नई कहानी कहती हैं,
तुम ही तो मेरी रगों में बहते हो,
जीवन के हर पल मेरे साथ रहते हो।
तुमसे ही मेरा घर जन्नत लगता है,
तुम नहीं तो सब कुछ उदास होता है,
तुम्हारे बिना खाली कमरा काटता है मुझे,
वीरान ये ज़िंदगी एक फांस लगती है।
तुम होते हो तो मेरा डर काफ़ूर होता है,
तुम्हारी आँखों में विश्वास झलकता है,
मेरे रात के सारे अंधेरे छट जाते हैं,
मेरा स्वंय तुमसे ही महफूज़ रहता है।
तुमसे ही मेरी दुनिया आबाद रहती है,
ज़िंदगी की हर कहानी मुझे याद रहती है,
यहाँ तुमसे ही ज़िंदा हैं मेरी सारी खुशियाँ,
खुशबू का एहसास तुम्हारे जाने के बाद होता है।
(विजय वर्मा)

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Categories: kavita
Bahut sundar.
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Thank you so much.
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