
मौत के बाद क्यों नहीं होता अंतिम संस्कार और गंगा में क्यों बहा देते हैं शव
अघोरी शब्द सुनते ही जो छवि दिमाग में उभरती है, वो काफी अलग है। उनका जो रूप सामने आता है, वह है राख लपेटे, इंसानी शव का मांस खाने वाले, जादू टोना और तंत्र-मंत्र करने वाले एक बाबा का।
अघोरी संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ होता है, ‘उजाले की ओर।’ अघोरियों को पवित्र और सभी बुराइयों से मुक्त समझा जाता है, लेकिन असल में उनका जीवन काफी रहस्यमयी और विचित्र है। माना जाता है कि उनके पास पारलौकिक शक्तियां होती हैं और पूर्णमासी की रात को लाश पर बैठकर तंत्र साधना करते हैं, जिससे उन्हें मृतक से ऊर्जा प्राप्त होती है।
अघोरियों की विचित्र दुनिया
अघोरी हर इंसान को अपने जैसा ही मानते हैं। उनके अनुसार, जैसे एक अबोध बच्चे को गंदगी और भोजन में कोई अंतर नहीं समझ आता, उसी तरह अघोरी गंदगी और अच्छाई को एक ही नजर से देखते हैं। अघोरी बनने के लिए श्मशान में 12 साल तक तपस्या करना जरूरी है।
अक्सर उन्हें चिलम पीते देखा जाता है। कहा जाता है कि गहन साधना के दौरान गांजा पीने से उन्हें प्रबल आध्यात्मिक अनुभव होते हैं। वे मानते हैं कि इससे बीमारियां और दूसरी समस्याएं दूर रहती हैं।

बलि देने की परंपरा
अघोरी बलि देने की परंपरा को निभाते हैं। उनका मानना है कि किसी पशु की बलि देने से उसे पशु योनि से मुक्ति मिल जाएगी, यानी फिर जन्म होने की स्थिति में वह पशु बनकर नहीं आएगा। यह भी कहा जाता है कि वे इंसानों के शव का कच्चा मांस खाते हैं।
बहुत से इंटरव्यू और डाक्यूमेंट्रीज में यह बात कई अघोरियों ने स्वीकार की है। ऐसा करने वाले अघोरी श्मशान घाट में रहते हैं और मानते हैं कि इससे उनकी तंत्र शक्ति प्रबल होती है।
अघोरियों की जीवनशैली
अघोरी किसी जगह पर टिककर नहीं रहते हैं। केवल बनारस ऐसा शहर है, जहां वे लंबे समय तक रहते हैं क्योंकि वहां अघोरियों का एक मंदिर है। इस मंदिर में गांजा और शराब का चढ़ावा चढ़ता है। अघोरी शिव और शव के उपासक होते हैं।
शिव के पांच स्वरूपों में एक रूप ‘अघोर’ भी है। शिव की उपासना करने के लिए ये अघोरी शव पर बैठकर साधना करते हैं, इसीलिए शिव को श्मशान का देवता माना जाता है।

अघोरी और नरमुंड
आपने देखा होगा कि अघोरियों के पास एक इंसानी खोपड़ी होती है, जिसे वे बर्तन की तरह इस्तेमाल करते हैं। इसीलिए उन्हें ‘कपालिक’ भी कहा जाता है। कई कथाओं में बताया जाता है कि एक बार शिव ने ब्रह्मा का सिर काट दिया था।
इसके बाद शिव ने उस सिर को लेकर पूरे ब्रह्मांड के चक्कर लगाए। शिव के इसी रूप के अनुयायी होने के कारण अघोरी भी अपने साथ नरमुंड रखते हैं।
अघोरी की मृत्यु के बाद का रहस्य
जब किसी अघोरी की मौत हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाता है। बल्कि उसकी लाश को गंगा में बहा दिया जाता है। गंगा में बहाने के पीछे यह माना जाता है कि इससे उसके सारे पाप धुल जाएंगे। दूसरे शब्दों में कहें तो जो बातें आम लोगों को अजीब और वीभत्स लगती हैं, वे अघोरियों के जीवन और साधना का हिस्सा हैं।
अघोरियों की यह रहस्यमयी दुनिया हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि जीवन और मृत्यु का उनका दृष्टिकोण कितना भिन्न और रहस्यमयी है। उनके हर क्रियाकलाप के पीछे कोई न कोई तंत्र-मंत्र और साधना छिपी होती है, जो हमें उनकी दुनिया के प्रति और भी अधिक जिज्ञासु बनाती है।
(Pic courtesy: Google.com)

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Categories: infotainment
रहस्यमय विषय पर अच्छी चित्रण 👌👌
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जी, बहुत बहुत धन्यवाद |
आपकी लेखनी भी मुझे प्रेरित करती है |
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💚❤️💓
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Thank you so much.
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