\

यह कविता व्यक्ति के अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प का गान है। उन लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो जीवन में चुनौतियों का सामना करते हैं। आइये, इस कविता के भावनाओं के साथ विचरण करें |
मैं और मेरा वजूद
मैं वो मुस्काता फूल नहीं, जिसे तेज़ धूप मुरझा दे
मैं वो कंमजोर दीप नहीं, जिसे हवा के थपेड़े बुझा दे
मैं कोई अनंत ऋतुराज नहीं, जो बदलता रहता है
मैं उस प्रेयसी के नयन नहीं, जो बहता रहता है |
मेरे सीने में तो तूफान का लावा धधक रहा है
एक ज्वाला है, जो भीतर ही भीतर खदक रहा है
यह मेरा संकल्प है यहाँ, कभी हार नहीं मानूँगा
हर जंग को लरुंगा और जीत कर दिखलाऊंगा |
मेरा भोला मन, पंछियों की तरह उड़ान भरता है
वह नदी में कश्ती बन, तूफानो से लड़ता रहता है,
मैं एक पहाड़ हूँ, जो चुप चाप अटल खड़ा रहता है
मैं वो सूरज हूँ, जो हर दिन को नई ज़िंदगी देता है |
जी हाँ, मैं और मेरा वजूद हर हाल में कायम रहेगा
मेरे हौसलों की कहानी, अब तो सारी दुनिया कहेगा |
(विजय वर्मा)

Categories: kavita
Beautiful poem 🎸🎸
LikeLiked by 2 people
Thank you so much.
LikeLike
अच्छी कविता
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद |
LikeLike
वाह बहुत खूब.
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद , सर जी |😊😊
LikeLike