
दोस्तों ,
एक सप्ताह पहले मुझे कोलकाता के मिलेनियम पार्क (Millenium Park) में जाने का मौका मिला | दरअसल, हमारे एक पुराने मित्र मुंबई से कोलकाता आए हुए थे और पास के ही एक होटल में ठहरे हुए थे |
मुझे भी मिलने की इच्छा हो रही थी | इसलिए शाम के वक़्त वहीं पर मिलने का तय हुआ था | यह पार्क गंगा नदी के किनारे स्थित है | शाम में यहाँ की खूबसूरती देखते ही बनती है |
मैं तय समय पर वहाँ पहुंचा ही था तो देखा कि वे जनाब पहले से ही इस पार्क में बैठे मेरा इंतज़ार कर रहे थे | शाम का वक़्त था और उमस भरी गर्मी थी |
लेकिन गंगा नदी के तट पर स्थित इस पार्क में आते ही जैसे मन को बहुत सुकून महसूस हो रहा था | नदी की ओर से आती हवा के झोंके मन को मदमस्त करने को काफी थे | हम लोग बहुत दिनों के बाद मिल रहे थे, इसलिए मैंने सोचा कि इस मनमोहक शाम को यादगार बनाया जाए |

प्रेम क्या है ?
हम लोग आपस में बात करते हुए टहल रहे थे | दोनों के हाथ में झाल – मुड़ी थी | शाम के समय डूबते सूरज का नदी में दिखता प्रतिबिंब बहुत सुंदर नज़ारा प्रस्तुत कर रहा था | तभी मेरे दोस्त ने कहा – क्या तुम एक बात नोटिस कर रहे हो ?

मैंने उसकी तरफ आश्चर्य से देखा |
उसने कुछ इशारा किया तो मेरा भी ध्यान उस ओर चला गया | वहाँ बहुत सारे कॉलेज जाने वाली लड़कियां अपने बॉय फ्रेंड के साथ पेड़ों के नीचे बैठे मस्ती कर रही थी | शायद किसी तरह की शर्म या डर उनके चेहरे पर नहीं थी बल्कि वे अपनी भविष्य की कल्पनाओं में खोये हुए थे |
मैंने कहा — यह प्रेम है | ये एक दूसरे को पसंद करते है, तभी तो आपस में प्रेम करते है | ये आने वाले भविष्य की सुनहरी पलों में खोये है | इनके भविष्य के कुछ प्लान होंगे |
फिर तो प्रेम, भरोसा, त्याग, विश्वास पर एक बहस ही छिड़ गई |
मैंने तो कहीं पढ़ा है कि प्रेम एक एहसास है। जो दिमाग से नहीं दिल से होता है | प्रेम में अनेक भावनाओं और विचारो का समावेश होता है। प्रेम में इंसान खुशी की ओर धीरे धीरे अग्रसर होता दिखाई देता है । इसमें एक मज़बूत आकर्षण और निजी जुड़ाव की भावना होती है, जो सबकुछ भूलकर उसके साथ जाने को प्रेरित करती है।

दोस्त ने कहा — सच्चा प्यार वह होता है जो सभी हालातो में वह आप के साथ हो | दुख में साथ दे और आप की खुशियों को अपनी खुशियां माने |
कहते हैं कि अगर सच्चा प्यार होता है तो हमारी ज़िन्दगी बदल जाती है | जिन्दगी बदलती है या नही, लेकिन प्यार इंसान को जरूर बदल देता है | प्यार का मतलब सिर्फ यह नहीं कि हम हमेशा उसके साथ रहे, प्यार तो वह एहसास है जो एक – दूसरे से दूर रहने पर भी खत्म नहीं होता है । आपस में प्रेम करने वाला चाहे कितनी भी दूर रहे लेकिन अहसास में हमेशा पास का होना चाहिए ।
मैंने कहा — लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि आज के जमाने में सच्चा प्यार करने वाले बहुत कम लोग हैं । जैसे प्यार करने वाले — लैला और मजनूँ थे । इनके प्यार की कोई सीमा नहीं है। उनमें त्याग की भावना होती है | यह प्यार में कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे प्यार को लोग जनमो तक याद रखते है ।
सचमुच, प्रेम बड़ा ही खूबसूरत लफ्ज है | हर किसी व्यक्ति को प्रेम चाहिए | लेकिन प्रेम को क्या चाहिए ? यह एक अहम सवाल है |
यह कहा गया है कि जब किसी लड़का व लड़की के बीच प्रेम होता है तो उसे सात चरण से गुजरना होता है |

अर्थात प्रेम होने के सात चरण है —
पहला – आकर्षण,
दूसरा – ख्याल,
तीसरा – मिलने की चाह,
चौथा – साथ रहने की चाह,
पांचवा – मिलने व बात करने के लिए कोशिश करना,
छठवां – मिलकर इजहार करना
सातवा – साथ जीवन जीने के लिए प्रयत्न करना | और अंत में जीवनसाथी बन जाता है |
लेकिन इसके उलट व्यक्ति के अंदर जब क्रोध आता है या जब उसी से नफरत करता है तो उसे हर तरफ जलन सा महसूस होता है । उस समय उसके अंदर का प्रेम भाप बन कर उड़ चुका होता है | उस समय तो ऐसा लगता है मानो सब कुछ जला देने पर तुला हुआ है।

और फिर प्रेम समाप्त होने के भी सात चरण है –
पहला – एक दूसरे के विचार व कार्यो को पसंद ना करना,
दूसरा – झगड़े,
तीसरा – नफ़रत करना
चौथा – एक दूसरे से दूरी बनना,
पंचवा – संबंध खत्म करने के लिए विचार करना,
छठवां – अलग होने के लिए प्रयत्न करना
सातवाँ – अलग हो जाना । और वे अंततः एक दूसरे से अलग हो जाते है |
यह सच है कि प्रेमी व प्रेमिका के बीच प्रेम करने व अलग होने की मनोस्थित एक समान ही होती है ।
हर किसी को प्रेम चाहिए, इसके लिए अपने अंदर प्रेम का विस्तार करो क्योंकि प्रेम को भी प्रेम हीं चाहिए ।

जब कोई इंसान किसी दूसरे इंसान को देख कर अत्यधिक प्रभावित हो जाये, उसके अक्स से आकर्षित हो जाये, उससे मिल कर सर्वाधिक प्रसन्न हो जाये, उसके वचन पर मंत्रमुग्ध हो जाये, और उसके मिलन पर विचलित हो जाये, उससे विरह पर व्याकुल हो जाये वही सच्चा प्यार है।
उसकी खुशी में संतोष प्राप्त करने लगे, उसके दुःख में सबसे ज्यादा चिंतित हो जाये, उसकी चाहत में खुद को जला कर भस्म कर दे, वो प्यार है।
प्रेम में व्यक्ति क्या – क्या नहीं छोड़ देता है। लड़की अपने मां-बाप, भाई – बहन परिवार के साथ अपने कुटुंब तक को छोड़ देती है। जिस अपने मायके के लिए कभी वह तड़पा करती थी , कभी वही भूली बिसरी यादें बन जाता है।
प्रेम में व्यक्ति क्या – क्या नहीं छोड़ देता है। जो लड़का कभी अपने मां का लाडला होता है , अपने पिता का दुलारा होता है — वही प्रेम में पड़कर अपने प्रेमिका का आशिक बन जाता है। कभी वह मां की कसमें खाया करता था अब तो वह मां – बाप की खुशियों को खाने लगता है।

किसी ने खूब कहा है प्रेम अंधा होता है, और साथ-साथ बहरा भी होता है। अपनों को तो छोड़ता ही है, साथ में अपनों के खुशियों को तोड़ता है। आंखें रहते हुए दिखाई नहीं देता है और कान रहते हुए सुनाई नहीं देता है। कमबख्त इश्क क्या न कराएं ! प्रेम में व्यक्ति क्या-क्या नहीं छोड़ देता है।
लेकिन मैं इसे प्रेम नहीं मानता हूँ | प्रेम शब्द का उपयोग हम कई जगह पर करते है | लेकिन सही अर्थों में प्रेम क्या है |
जिससे प्रेम होता है उन्ही के साथ क्यों झगड़ा होता है ? क्या जहां पर प्रेम है वहीं पर अपेक्षा रहती है | पति – पत्नी का प्रेम , माता – पिता का संतानों के प्रति प्रेम, गुरु का शिष्य के प्रति प्रेम | क्या इसी को प्रेम कहते है ? या फिर उससे भी विशेष कोई प्रेम हो सकता है ?
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