“यादों की गूंज” एक संवेदनशील व्यक्तिगत अनुभव की एक छायावादी प्रतिबिंब है | यह कविता उन पलों को समर्पित करती है जब अकेलापन और उदासी छू जाती है, और व्यक्ति अपने प्रियजन की प्रिय यादों में आराम पाता है।
हमारे स्मृति की ताज़गी का महत्व और वह कैसे जीवन के पहलू को छु लेती है, यह कविता व्यक्त करती है | यह उचित रूप से प्रेम की अहमियत को समझाती है जो जीवन के संघर्षों में एक साथी और साथ चलने की भूमिका निभाता है।

यादों की गूंज”
जब भी दिल उदास होता है,
तुम्हें आस – पास पाता हूँ
तब मैं अपनी आंखें बंद कर,
तुम्हारी यादों में खो जाता हूँ।
तुम्हारी मुस्कुराहट,
तुम्हारी प्रश्न-भरे नजरें,
उसे महसूस कर,
उफ, तरो ताज़ा हो जाता हूँ |
मेरे यादों में आना और फिर न जाना
मेरे दिल को सुकून दे जाता हैं,
पुरानी यादों के सहारे ही सही,
ज़िन्दगी का फलसफा समझ आता है।
तुम मेरी ज़रूरत हो,
तुम ही मेरा प्यार हो
तुम ही हो मेरी ज़िन्दगी ,
तुम ही मेरी नैया का पतवार हो |
(विजय वर्मा )

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Categories: kavita
🩵
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Thank you so much.
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Yadoin ki Gunj kavita ek behtarin kavita hai.
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