
ज़िन्दगी अनमोल है, हम सभी जानते है, और उस ज़िन्दगी को बचाए रखने के लिए हम जद्दोजेहद में लगे रहते है | कई बार ऐसी परिस्थिति आती है जब लगता है जैसे ज़िन्दगी से हार गया हो | चारो तरफ नाकामियां हो और आधी अधूरी ज़िन्दगी जी रहे हो |
अगर ऐसे में किसी का साथ हो जाये और ज़िन्दगी को फिर से जीने की तमन्ना जागृत हो जाये | बस इन्ही परिस्थितियों को शब्दों में कैद किया हुआ यह कविता प्रस्तुत है, — उम्मीद है आप पसंद करेंगे |

अधूरी ज़िन्दगी
आधी जमीं थी …और आधा ही आसमान था
कांटो से भरे थे रास्ते और खुद से भी परेशान था
तुझे पाने की ख्वाहिश में चलते रहे मंजिलों की ओर ..
तेरी उम्मीद थी तो जिंदा ..वर्ना मंजिल नहीं आसान था |
घिसट घिसट कर चलता .ज़िन्दगी भी अधुरा था …
दिल जब मेरा टुटा था ..आँखों में आँसू पूरा था
हकीकत से दूर.. कही ख्वाबों में मैं जीता था
ज़िन्दगी एक जंग है,..संघर्ष करना सिखा था |
हवा के झोखे सा, तेरा यूँ एक दिन मिलना
मेरे दिल के कोने में एक फूल का खिलना
ज़िन्दगी की तमन्ना, जो अब तक थी अधूरी
तुमसे मिलकर ..वह सब आज हुई पूरी |
(विजय वर्मा )
मैंने वो कर दिखाया ब्लॉग हेतु नीचे link पर click करे..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share and comments
Please follow the blog on social media … visit my website to click below..
Categories: kavita
अद्भुत
LikeLiked by 2 people
Thank you so much, dear.
LikeLiked by 1 person
My pleasure 🙏
LikeLiked by 1 person
Stay happy and blessed.
LikeLiked by 1 person