
आज कल हर आदमी हताश परेशान भागता फिरता नज़र आता है | सभी अशांति में जी रहे है शायद | क्योंकि हर आदमी ने एक सपना पाल रखा है ,जिसको हासिल करने के लिए रात दिन कोशिश कर रहा है |
सपना देखना बहुत जरूरी है। भगवान शंकर कहते हैं कि कल्पना ज्ञान से बड़ी है। अपने अच्छे भविष्य की कल्पना करना भी सपना देखना ही तो होता है।
यह सही है कि हर सपना कुछ – न कुछ कहता है। सपनों के पीछे भागता इंसान इसी आशा और विश्वास में जीता है कि एक दिन सपना ज़रूर पूरा होगा | उन्हीं सपनों की दुनिया में विचरता इंसान के लिए मेरी एक कल्पना…

मैं सपने बेचता हूँ
हाँ साहब.. मैं सपने बेचता हूँ
हर किस्म के सपने है हमारे पास
आप को चाहिए क्या ख़ास ?
यह बूढ़े को जवान करता है
मुसीबत का काम तमाम करता है
यह आप की उम्र को बढ़ाएगा
बुढ़ापे से बचपन में ले जायेगा …
नरक की दुनिया में भी जन्नत दिखायेगा
गर्मी में ठंडी का एहसास कराएगा |
मैंने आप के लिए भी एक सतरंगी सपने रखे हैं..
इसमें खुशियां है ,प्यार है , और उम्मीदें है..
सपने ना हो अगर .. तो ज़िन्दगी अधूरी है,
सपने खरीदना …,इसलिए ज़रूरी है
आप के भले के लिए ही सोचता हूँ
इसलिए तो … मैं सपने बेचता हूँ ….
….हाँ साहब , मैं सपने बेचता हूँ …
( विजय वर्मा )

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Categories: kavita
अच्छी कविता।
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Thank you.
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बहुत ही अच्छी कविता है ।
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बहुत बहुत धन्यवाद , अंजलि |💕
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