# तलाश अपने सपनों की #…17 

थानेदार के आश्वासन देने के बाद संदीप ने फैसला किया कि राधिका, रेनू और माँ को लेकर अपने घर में शिफ्ट कर लिया जाए और फिर शाम को ही सबलोग चलने को तैयार हो गए |

सोफ़िया की तो इच्छा नहीं थी कि सब लोग यहाँ से जाए क्योकि उनलोगों के रहने से इतने बड़े घर में उसका अकेलापन दूर हो गया था |

सभी लोगों के साथ हँस बोल कर कैसे समय गुज़र जाता, पता ही नहीं चलता था | लेकिन सामाजिक बदनामी के डर से उनलोगों को रोक नहीं पाई |

उनलोगों को विदा करते हुए सोफ़िया उदास हो गई , लेकिन तभी उसके दिमाग में एक ख्याल आया और वह माँ जी से बोली….अच्छा तो यह होता कि जब तक शादी नहीं हो जाती है तब तक राधिका  यही रहे |

शादी के बाद दुल्हन बन कर आप के पास जाए तो ज्यादा ठीक रहेगा |

वैसे आप जो भी फैसला लेंगी, वो  हमलोग को स्वीकार होगा |

इस पर माँ ने कहा …. तुम तो  उसकी बड़ी बहन हो और इस तरह तो यह राधिका का मायका हुआ | इस हिसाब से तुम्हारा कहना ठीक ही  है | और फिर माँ ने फैसला किया कि शादी तक राधिका यही रहेगी ।

तुम उदास मत हो राधिका  .. हमलोग तो आते – जाते रहेंगे ही |  वैसे भी संदीप रोज़ इस घर में सोफ़िया के बेटे को पढ़ाने आएगा ही …माँ  ने विदा लेते हुए राधिका से कहा |

अपने घर में पहुच कर माँ ने राहत  की सांस ली | अपना घर तो अपना ही होता है …माँ मन ही मन बोली |

दुसरे दिन संदीप सभी लोग के साथ तय समय पर  मैरिज ब्यूरो ऑफिस पहुँच गया | साथ में वकील साहब भी थे. |

संदीप फॉर्म भरकर रजिस्ट्रार के पास जमा कराया , तब रजिस्ट्रार साहब ने दूल्हा – दुल्हन को अपने सामने दस्तखत करने को कहा |

लड़के की तरफ से गवाह के रूप में संदीप की माँ ने और लड़की की तरफ से गवाह के रूप में सोफ़िया ने भी दस्तखत किये |

रजिस्ट्रार साहब ने उस फॉर्म की जांच पड़ताल कर अपनी मुहर लगा दी और फिर नियमानुसार मैरिज सर्टिफिकेट देने के लिए एक माह बाद की तारीख  निश्चित की |

इधर जब राधिका के पिता को पता चला कि संदीप भी आ गया है तो उस पर दबाब बनाने के लिए वे थाने पहुँच गए और थानेदार से FIR पर थाने के द्वारा की गई कार्यवाही की जानकारी चाही |

 तो थानेदार ने बताया …हमने जो तहकीकात किया है और हमारे पास जो सबूत उपलब्ध कराये गए है ..उसके अनुसार यह मामला अपहरण का तो बनता ही नहीं है |  आप की बेटी ने तो लिखित बयान दिया है कि वह अपने मर्ज़ी से घर छोड़ कर गई है |

आप समझने का प्रयास क्यों नहीं करते थानेदार साहब, उनलोगों ने बहला – फुसला कर मेरी बच्ची को मेरे विरूद्ध कर दिया है | अगर आप थोडा सख्ती दिखाएंगे तो वो लोग डर कर मेरी बेटी को मेरे पास भेज देंगे |   

इस पर थानेदार बोला ..माफ़ कीजिये सिंह साहब, आप की बेटी पढ़ी लिखी है और बालिग़ भी है |

अतः बहलाने – फुसलाने की बात कानूनन यहाँ लागू नहीं होती है |

अच्छा तो होता कि आप  अपना केस वापस ले लें, नहीं तो हमलोग वैसे भी इस केस को बंद कर देंगे |

इधर संदीप सुबह सुबह तैयार हो रहा था तभी माँ के पूछा …इस वक़्त कहाँ जा रहे हो ?

सोच रहा हूँ कि आज मैं स्कूल वाली नौकरी ज्वाइन कर लूँ | इससे मेरा समय भी पास होगा और कुछ पैसे भी घर आएंगे…..संदीप ने अपनी मन की बात कह दी |

संदीप का स्कूल में और फिर सोफ़िया के यहाँ ट्यूशन करके समय अच्छा बीतने लगा और घर में  खुशहाली का माहौल हो गया था |

इस तरह से ठीक ठाक समय व्यतीत हो रहे थे |

रेनू आज बहुत खुश नज़र आ रही थी और सुबह सुबह चाय ला कर भाई को देते हुए कहा ….आज तो ज़ल्दी उठो , और अच्छे से तैयार हो जाओ |

क्यों ? आज क्या ख़ास  बात है …संदीप चाय लेते हुए रेणु से पूछा |

तुम्हे तो कुछ याद रहता ही नहीं है | आज तुम्हारी शादी होने वाली है …रेनू ने चहकते हुए कहा  |

अरे हाँ, आज तो मैरिज ब्यूरो ऑफिस जाना है, मैं तो भूल ही गया था  ….संदीप जल्दी जल्दी चाय पीते हुए बोला |

माँ ने अपनी संदूक से लाल साड़ी और कुछ गहने एक बैग में रख ली और सबलोग तैयार होकर  सोफ़िया के घर पहुँच गए |

वहाँ माँ ने अपने बैग से साड़ी  और गहने निकाल कर राधिका को पहनाया और उसे दुल्हन के वेश में तैयार किया |

राधिका को दुल्हन के वेश  में देख कर माँ ने नज़र उतारते हुए कहा …नज़र ना लगे किसी की |

माँ की बातें सुन कर राधिका शरमा गई और ज़ल्दी से माँ के पैर छू लिए | माँ से उसके सिर पर हाथ रख कर सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद दिया |

सबलोग एक साथ सोफ़िया के घर से निकले और थोड़ी देर में  ही  मैरिज ब्यूरो ऑफिस पहुँच गए |

वहाँ  ऑफिस में बहुत भीड़ थी और संदीप का नंबर तीसरा था | इसलिए संदीप अपने परिवार के साथ एक तरफ बैठ कर अपने नम्बर आने का इंतज़ार करने लगा तभी वकील साहब भी आ गए |

करीब एक घंटा इंतज़ार करने के बाद रजिस्ट्रार साहब ने संदीप और राधिका को अपने पास बुलाया |

संदीप सभी लोग को लेकर रजिस्टार साहब के समक्ष हाज़िर हो गया  |

पहले तो उन्होंने दोनों को शादी की बधाई दी और कहा ….आपलोग एक दुसरे को माला  पहनाएँ |

सोफ़िया अपने साथ माला लेकर आई थी अतः उन्दोनो को एक एक माला दे दी |

दोनों ने एक दुसरे को माला पहनाया | उसके बाद रजिस्ट्रार साहब ने दोनों को मैरिज सर्टिफिकेट दिया और कहा ..आज से आप दोनों पति – पत्नी हो गए |

सभी उपस्थित लोग उन दोनों को बधाई और आशीर्वाद देने लगे और खुश दिख रहे थे ।

संदीप सभी को लेकर रजिस्ट्रार के चैम्बर से निकल कर बाहर आया  जहाँ फोटोग्राफर उनलोगों का फोटो खीचने के लिए तैयार था |  

फोटोग्राफर ने ग्रुप फोटो के लिए आग्रह किया  और सब लोग जल्दी से दूल्हा दुल्हन से साथ खड़े हो गए |

जैसे ही फोटोग्राफर अपने कैमरे को  क्लिक करने जा रहा था …तभी पीछे से एक आवाज़ आयी  ..अरे ठहरो, मैं भी आ रही हूँ. |

सब लोगों ने  पीछे मुड कर देखा तो पाया कि राधिका की माँ तेज़ी से इस तरफ भागी चली आ रही है |

राधिका आश्चर्य से माँ को देखा , उसे अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था |  माँ के पास आते ही राधिका और संदीप दोनों ने माँ के पैर छुए तो माँ ने आशीर्वाद दिया और अपने  गले से सोने का हार  उतार  कर राधिका को पहना दिया |

राधिका की नज़रे इधर – उधर कुछ ढूंढते हुए माँ से पूछा … क्या, पिता जी हमें आशीर्वाद देने नहीं आए ?

वो देखो बेटी , सामने खड़े वहाँ तुमलोगों का इंतज़ार कर रहे है, जाओ उनसे भी आशीर्वाद ले लो |

राधिका ने जब देखा कि कुछ दूर पर पिता जी खड़े है तो सब को छोड़ कर दौड़ते हुए वह अपने  पिता के पास पहुँची और आँखों में आंसूं लिए पिता के गले लग  गई और कहा ….मुझे माफ़ कर दीजिये पिता जी. …मैंने आप का बहुत दिल दुखाया है |

नहीं बेटी,  तुमने बिलकुल सही निर्णय लिया है |  तुमने मेरे आँखों  पर  झूठी  शान और प्रतिष्ठा की पट्टी जो पड़ी थी उसे हटा दिया और  यह एहसास करा दिया कि ज़िन्दगी में  ख़ुशी लोगों में ख़ुशी बांटने से मिलती है |

उन्होंने संदीप को भी आशीर्वाद दिया और  कहा …मैं तुम्हारे लिए कुछ ज्यादा तो नहीं ला सका , यह मेरी तरफ से छोटी सी भेट स्वीकार करो |

संदीप उनसे गिफ्ट का पैकेट लेते हुए सोच रहा था कि काश यह रजामंदी पहले हो गयी होती तो मेरी नौकरी भी बच जाती | वह झुक कर अपने ससुर के पैर छुए और आशीर्वाद लिया |

उसके बाद दूल्हा दुल्हन ने अपने सभी परिवार वालों के साथ फोटो खिचवाने लगे  तभी संदीप के  मोबाइल  की घंटी बज उठी |

संदीप की नज़र मोबाइल पर पड़ी तो पाया कि यह नंबर तो उसके बॉस नीलम मैडम का है | उसने जल्दी से फ़ोन उठाया और कहा …गुड मोर्निंग मैडम | आप कैसी है ?

मैं ठीक हूँ संदीप,  आज तो तुम्हारी शादी थी ना ?

जी मैडम,  अभी अभी हमलोग शादी के बंधन में बंध गए है …संदीप खुश होते हुए कहा |

इस पर नीलम मैडम ने कहा …. बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं  |

थैंक यू मैडम | साथ में  संदीप ने मैडम को यह भी बताया कि मेरे परिवार के अलावा  राधिका के माता पिता भी यहाँ उपस्थित है |

अरे वाह, यह तो और भी  ख़ुशी की बात है ….मैडम ने कहा |

और सुनो, एक गिफ्ट हमारे और यहाँ के सारे स्टाफ के तरफ से खुशख़बरी के रूप में तुम्हे देने जा रही हूँ |

वह क्या है मैडम ? …संदीप ने उत्सुकता से पूछा |

तुम्हारी नौकरी  फिर से बहाल  हो गई है, एक सप्ताह के भीतर यहाँ आकर तुम्हे नौकरी ज्वाइन करनी है |

क्या आप सच बोल रही है मैडम, ….यह कैसे हुआ ?…..संदीप आश्चर्य प्रकट करते हुए पूछा |

तुमने जो अपने प्यार के लिए नौकरी की कुर्बानी दी ..उससे हम सभी स्टाफ काफी प्रभावित हुए और फिर हमलोगों ने निर्णय लिया कि तुम्हारी मदद के लिए और फिर से तुम्हारी नौकरी बहाल करवाने के लिए एक कैम्पेन चलाया जाए ।

हमलोग का कैम्पेन रंग लाया और तुम्हारी कहानी जब कंपनी के डायरेक्टर साहब ने सुनी तो वो भी काफी प्रभावित हुए और  कंपनी ने तुम्हारे performance और sincerety को भी ध्यान में रखा और फिर यह निर्णय लिया कि तुम्हे नौकरी में वापस ले लिया जाये |

थैंक यू  मैडम …संदीप खुश होकर बोला |

और हाँ एक खुश खबरी  और सुनो … जब यहाँ आना तो अपनी श्रीमती जी को भी साथ ले कर आना |.

तुमलोगों के लिए कंपनी के तरफ से एक family फ्लैट  की व्यवस्था की गई है |…

फ़ोन समाप्त करने के बाद संदीप ने यह खुश खबरी सभी को सुनाई तो सब लोग ख़ुशी से उछल  पड़े |

संदीप मन ही मन सोच रहा था …. जिस सपने की उसे तलाश थी वह आज पूरा हो रहा है …सच, उसका  सपना आज सच हो रहा है ,,…(समाप्त)

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