# इंसान की पहचान #

आज कल सामान्यतः लोग दिखावा की ज़िन्दगी जी रहे है | हर आदमी अपनी झूठी शान और  चेहरे पर नकली  मुस्कान लिए एक दुसरे से बेहतर दिखने की होड़ में जी रहे है |

और यह सच भी है आज के समय में इंसान की पहचान उसके कपड़ो और पहने हुए जूतों से की जा रही है | लेकिन सिक्के की पहचान उसे एक झलक में तो कर कर सकते है, लेकिन इंसान की सही पह्चान सिर्फ एक मुलाक़ात से नहीं हो सकती |

 इस कथन को चरितार्थ करता एक ख़ूबसूरत घटना, जो बैंक से संबंधित है… आइये आप भी सुने ..

बात कुछ  साल पुरानी है,  मेरी पोस्टिंग उन दिनों एक शाखा में थी | उन्ही दिनों की बात है कि एक साधारण सी  दिखने वाली एक बुजुर्ग महिला जिसके हाथ में एक सब्जी से भरा झोला था, और  वो cash counter  की लम्बी कतार  में खडी अपने टर्न का इंतज़ार कर रही थी |

सोमवार का दिन होने के कारण बैंक में काफी भीड़ थी | जब उसका टर्न आया तो सामने काउंटर में एक लेडी केशियर से कहा कि मुझे पांच सौ रूपये हमारे खाते से  दे दीजिए | इस पर लेडी केशियर ने उस बुजुर्ग महिला के तरफ बिना देखे ही बोल पड़ी, आप बाहर लगी एटीएम से पैसे निकाल लीजिए |

इस पर महिला ने विनम्र आग्रह किया कि मेरे पास अभी  एटीएम कार्ड नहीं है और मुझे अभी ५०० रूपये की ज़रुरत है \ इतना सुनते ही वो लेडी केशियर झल्लाते हुए जबाब दिया कि इस काउंटर से  ५००० रूपये से ऊपर का पेमेंट होता है, यह नियम है |

महिला ने फिर आग्रह किया कि मुझे पैसों की सख्त ज़रुरत है | तो लेडी केशियर ने फिर जोर देकर कहा कि मैडम, “Rule is Rule” | आपको एटीएम से ही पैसे निकलना होगा | और थोडा बेरुखी भरी  आवाज़ में कही कि आप जाइये और  मुझे अपना काम करने दीजिए |

इस तरह का व्यहार वो बुजुर्ग महिला को अच्छा नहीं लगा, इसीलिए वो बोली पड़ी, — तो फिर एक काम कीजिए, मेरे खाते में जितने पैसे है वो दे दीजिए |

इस पर लेडी केशियर ने जब उसका अकाउंट चेक किया तो स्तब्ध रह गई | उसके अकाउंट में एक करोड़ रूपये की बड़ी रकम थी | वो तुरंत थोडा संभल कर और विनम्र लहजे में बोली .–. मुझे माफ़ करें मैडम, हमारी शाखा में अभी  इतने रूपये तो नहीं है , आपको इतनी रकम के लिए कल तक का वक़्त देना पड़ेगा | हम आज  इतनी रकम नहीं दे  सकते है |

फिर बुजुर्ग महिला ने पूछा कि अभी आप हमें इस वक़्त कितना पैसा दे सकती है ?  

लेडी केशियर ने  अपने काउंटर में रखे रकम का हिसाब लगाया और  कहा कि अभी हम आपको बीस लाख रूपये ही दे सकते है |

तो उन्होंने कहा –. ठीक है, वही दे दीजिए | उस केशियर ने अपने काउंटर में उपलब्ध पैसों को इकठ्ठा किया और  उस बुजुर्ग महिला को सम्मान के साथ बीस लाख रूपये उनके हाथ में दे दिया | उस महिला ने सारे नोट लिए और  उसमे से पांच सौ रूपये रख कर बाकी के रकम   उन्हें वापस देते हुए कहा कि मुझे ५०० रूपये मिल गए और  यह बाकी के रकम फिर उसी खाते में जमा कर दीजिए |

उस लेडी केशियर को मज़बूरी में फिर वापस  बाकी के नोट लेना पड़ा वो कुछ बोल भी नहीं पाई, क्योंकि …”Rule is Rule”.

यह घटना हमें यह सीख देती है कि ऐसे बहुत से लोग है जो सादगी में जीवन जीना पसंद करते है, वो दिखावा नहीं करते है | अपना घरेलु काम खुद करना पसंद करते है |

लेकिन हम है कि उनकी सादगी और  साधारण कपड़ो से उनको समझने में गलती कर बैठते  है | अगर कुछ ऐसे कार्य से किसी को ख़ुशी मिलती है तो ऐसे कार्य कर देना चाहिए, सभी जगह नियम काम नहीं करते है |

और  हाँ यह कहावत भी सही है .. ...Never judge the book by its cover…मेरे मन में उस बुजुर्ग महिला के प्रति सम्मान के भाव थे, क्योंकि उन्होंने एक बड़ी सीख हमलोगों को दे गई |

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7 replies

  1. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    You can not go back and change the beginning,
    but you can start where you are and change the ending..

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