
बात उन दिनों की है जब मैं स्टेट बैंक ऑफ़ बीकानेर एंड जयपुर में ज्वाइन किया था | जी हां, उन दिनों हमारी पोस्टिंग शिवगंज, राजस्थान में थी | घर से करीब २२०० किलोमीटर दूर और साल था १९८५ .
मैं पूरी तरह से चुस्त – दुरुस्त और अपने काम के प्रति लगन और जोश से भरा हुआ था | मैं वहाँ Rural Development Officer के पद पर कार्यरत था | मेरा मुख्य कार्य उस एरिया के किसानो को ऋण मुहैया करना और किस्तों की उगाही करना था |
उन दिनों राजस्थान में भीषण अकाल पड़ रहा था और खेती के लिए पानी की बहुत कमी थी | मैं ने वहाँ की भयावह अकाल देखी हैं, पशुओं को पानी और चारे के बिना मरते देखा है | उसी समय से किसानो के प्रति हमारे मन में बहुत सहानुभूति है |
मैंने किसानो के साथ मिलकर बहुत सारे Irrigation Project पर काम किया, बहुत सारे कुएँ खुदवाए और Pumping Set भी बाँटें | इस तरह हमारी शाखा की एक विशेष पह्चान बन गई थी और दूर दराज के गाँव के लोग हमारी शाखा से ही “कृषि ऋण” लेना पसंद करते थे |
मैं उस इलाके के किसानो की आर्थिक हालात को ठीक करने हेतु हर संभव प्रयास करता रहा | इस तरह मेरी उन गाँव में किसान के दिलों में विशेष जगह थी |

उन्ही दिनों की बात है कि एक दिन हमारे क्षेत्रीय प्रबंधक महोदय, उदयपुर हेड क्वार्टर से हमारी शाखा में आ धमके और शाखा निरिक्षण के बाद Field Visit की इच्छा जताई | हमारे शाखा में Field Visit के लिए एक पुरानी जीप थी |
फिर क्या था, हमारे साहब, मैं और शाखा प्रबंधक महोदय, लंच लेने के बाद जीप में सवार होकर गाँव की ओर चल दिए | समय दिन के करीब २.०० बजे होंगे | हमारी शाखा के द्वारा वितरित ऋण तीन जिलों में, पाली , सिरोही और जालोर में फ़ैले हुए थे अर्थात हमारी शाखा का कार्य क्षेत्र बहुत बड़ा थी |
उन्ही गाँव में से हमारे साहब ने पाली जिले के गाँव “कोसेलाव” और “सांडेराव” का निरिक्षण किया और किसानो से हमारी शाखा द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी लेते रहे | किसानो के मुँह से हमारी शाखा की विशेष तारीफ सुनकर वे बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने जोश में फैसला लिया कि आज रात को किसानो के बीच ही night stay करेंगे |
शाम के ६ बज चुके थे | मैं उनका यह निर्णय सुनकर मैं थोडा परेशान हो गया कि किस किसान के फार्म हाउस पर ठहरने का प्रबंध करूँगा ?
संयोग से उसी समय सांडेराव के ठाकुर साहब, श्री हनुमंत सिंह की अपनी ट्रेक्टर के साथ आते दिखे | श्री हनुमंत सिंह जी पास आकर नमस्कार किया तो मैंने चुपके से दूसरी तरफ बुला का कहा — हमारे साहेब रात में यहाँ night stay करना चाहते है | इतना सुनते ही वे तुरुन्त ही बोल पड़े .– यह तो मेरा सौभाग्य है | हमारा फार्म हाउस पास में ही है वही पर ठहरने का इन्तेजाम करते है |
हमारे क्षेत्रीय प्रबंधक ,Sri K.S.Baghel साहेब भी ठाकुर थे | ,बस फिर क्या था, पार्टी तो होनी ही थी | हनुमंत सिंह जी का फार्म हाउस बहुत खुबसूरत था | चारो तरह गेहूं की फसल की हरियाली और शाम का सुहाना मौसम | हमारे बड़े साहेब जी बोल पड़े — ..इतना आनंद मुझे फाइव स्टार होटल में भी नहीं आता, जीतना इस खुले हरे भरे खेतों के बीच यह फार्म हाउस में आ रहा है |
शाम का वक़्त था थोडा अँधियारा छने लगा था | हमलोग पंप हाउस पर ठंडी पानी से स्नान का लुफ्त उठाया और दिन भर की थकान मिटायी और फिर वहाँ खाट और बिस्तर लग गई |

करीब रात के आठ बजे होंगे और हमलोगों के लिए वही रात के भोजन का प्रबंध किया गया था | तभी मैंने देखा कि सामने पड़े छोटा सा टेबल पर officers choice (दारू) की बोतल श्री हनुमंत सिंह (ठाकुर साहेब) ने खोल दी | यह देख कर मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा, और महसूस हुआ कि अब तो मेरी नौकरी गई | हमारे साहेब यही सोचेंगे कि मैं भी इसी तरह Field Visit के दौरान दारू की पार्टी करता हूँ |
मैंने तुरंत उनको इशारे से मना किया , लेकिन वो मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा, जैसे कह रहे हो कि मैंने साहेब से permission ले लिया है |
मैं मन ही मन घबरा रहा था , तभी हमारे बड़े साहेब बातचीत करते करते, दारू की बोतल खोलकर गिलास में पहला पेग बनाया और मेरी ओर गिलास बढ़ाते हुए बोलें — लो वर्मा, आज की पार्टी की शुरुआत तुम्हारे नाम से | मैं घबरा कर तुरंत ही बोल पड़ा __ ..सर्, मैं नहीं पीता हूँ | मैंने झूठ बोला था |
तब साहेब हँसते हुए बोल पड़े,– तो आज पी लो ! थोड़ी झिझक के साथ मैंने भी चियर्स किया | और देखते देखते फिर महफ़िल में जान आ गई |
हमारी सारी झिझक समाप्त हो चुकी थी और जब तीसरा पटियाला पेग लिया तो बस फिर क्या था | मैं नशे की ख़ुमारी में लम्बी लम्बी छोड़ने लगा | मैं भूल गया कि हमारे अन्नदाता सामने बैठे है | मैं जोश में उन्ही के ऑफिस के डीलिंग ऑफिसर की जम कर खबर ली क्योकि हमारे शाखा का एक Proposal उनसे पास अटका हुआ था | मैं ना जाने क्या क्या नशे में बक बक करता रहा, कुछ याद नहीं | ..साहेब आराम से whisky की चुस्की लेते रहे और सब कुछ सुनते हुए मुस्कुराते रहे, जैसा कि वहाँ मौजूद मेरा ड्राईवर ने दुसरे दिन हमें बताया था |
मेरी कब नींद लग गई हमें याद नहीं | सुबह करीब 5 बजे हमारी नींद खुली तो देखा, साहेब खेत के चारो तरफ टहल रहे है | वो हमारे पास आएं और धीरे से पूछा — ..तबियत तो ठीक है ना ?
मुझे तो इतना एहसास था कि रात में कुछ उल्टा पुल्टा बक बक किया हूँ. | मुझे whisky की ताकत का अंदाजा हो गया था | मैं ने तो बस इतना ही कहा — .ठीक हूँ सर |
सचमुच मैं अपने को भाग्यशाली समझता हूँ कि मैं ऐसा दिलेर और बढ़िया इंसान के सानिध्य में काम करने का मौका मिला | वे खुद भी काफी मिहनती और दूरदृष्टि रखते थे |
मैंने उनके जैसा बनने की कोशिश करता रहा — मिहनती और लोगों का भला सोचने वाला |. सच, whisky ने मेरे अन्दर के डर को ख़तम कर दिया और मुझे वो शाम whisky ने मेरी ताकत का एहसास करा गया |
एक बात मेरी समझ में आ गयी कि हमारे दिल कि बात जुबान पे आने के लिए दो बाते ज़रूरी है — .पहला दारु का नशा और दूसरा क्रोध | . एक और समय होता है जब हम किसी के दुखते नस को छेड़ देते है , तो वह अपने दिल की बात बता देता है | जी हाँ , दिल के गुबार को दबाईये नहीं नुक्सान कर सकता है |….

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Categories: मेरे संस्मरण
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मन का शांत रहना भाग्य है ,
मन का वश में रहना सौभाग्य है ,
मन से किसी को याद करना अहो भाग्य है ,
मन से कोई आपको याद करे , परम सौभाग्य है …
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Achhi baat hai.Khus me rahana jaruri hai.Nice experience on whisky.
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