# मेरी ज़िंदगी की तीन गलतियाँ – एक आत्ममंथन #

दोस्तों,

जीवन एक लंबा सफ़र है, जिसमें हम बहुत कुछ सीखते हैं—कभी ख़ुशियों से, तो कभी ठोकरों से। मैंने भी अपनी ज़िंदगी में तीन ऐसी “गलतियाँ” कीं, जिन्हें याद कर आज मुस्कुरा सकता हूँ, पर जिनका दर्द उस वक्त बहुत गहरा था।

✨ पहली गलती: “हर किसी पर जल्दी भरोसा किया”

भरोसा एक ऐसी चीज़ है जो इंसान को जोड़ती है। लेकिन जब हम आंख मूंदकर हर किसी पर भरोसा करने लगते हैं, तो धोखा मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है।

मैंने भी कई बार दिल से भरोसा किया, बिना जाने कि सामने वाला उस भरोसे का हक़दार है या नहीं। नतीजा? कभी रिश्ते टूटे, कभी दोस्ती धोखे में बदल गई। लेकिन एक बात ज़रूर सीखी—भरोसा करना बुरा नहीं, पर समझदारी के साथ करना जरूरी है।

❤️ दूसरी गलती: “हर किसी की खुद से ज़्यादा परवाह की”

कभी सोचा है कि हम दूसरों की खुशियों के लिए कितनी बार अपनी खुशियाँ कुर्बान कर देते हैं?
मैंने किया… बार-बार। दूसरों की ज़रूरतें, उनकी इच्छाएँ, उनकी भावनाएँ—सब मेरी प्राथमिकता बन गईं।

लेकिन जब मेरी जरूरतें आईं, तो बहुत कम लोग थे जो मेरी परवाह कर सके।
इसने सिखाया कि खुद की अहमियत समझना भी एक कला है। अगर आप खुद को प्राथमिकता नहीं देंगे, तो दुनिया क्यों देगी?

💔 तीसरी गलती: “कभी किसी को धोखा नहीं दिया”

अब आप कहेंगे, यह गलती कैसे हुई?
सही कहा—यह गलती नहीं, बल्कि एक गुण है। पर इस दुनिया में जब आप सच्चाई और ईमानदारी से चलते हैं, तो लोग आपको बेवकूफ समझने लगते हैं।

मैंने कभी किसी को धोखा नहीं दिया, पर बदले में कई बार मुझे ही चोट मिली।
तब समझ आया—दुनिया की नजर में ‘सच्चे लोग’ अक्सर कमजोर समझे जाते हैं। लेकिन मैं आज भी इस बात पर गर्व करता हूँ कि मैंने अपने सिद्धांत नहीं बदले।

🌱 और अंत मे

इन तीन “गलतियों” ने मुझे मजबूत बनाया, सोचने का तरीका बदल दिया, और जिंदगी को एक नया नजरिया दिया।
अब मैं जानता हूँ कि—

  • भरोसा सोच-समझकर करना चाहिए,
  • परवाह करनी है, तो पहले खुद की करनी चाहिए,
  • और सच्चाई की राह पर चलना कठिन है, पर यही असली जीत है।

अगर आपकी जिंदगी में भी ऐसी कोई “गलतियाँ” रही हैं, तो घबराइए मत। क्योंकि यही गलतियाँ आपको इंसान बनाती हैं—एक बेहतर, समझदार और संवेदनशील इंसान।

आपकी क्या गलती रही है जिसे आप आज भी दिल से महसूस करते हैं? आइए, इस भावनात्मक सफर में एक-दूसरे की कहानियाँ सुनें और एक-दूसरे को समझें।
– विजय वर्मा



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6 replies

  1. very nice

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    • Thank you so much for your kind words! 😊
      Aapka feedback mere liye bahut valuable hai. Yehi encouragement mujhe aur likhne ke liye inspire karta hai.
      Stay connected—zindagi ke safar aur jazbaat hum sabke liye common hote hain, bas unhe bayan karne का andaaz alag होता है। 💫
      Aapka din shubh ho! 🙏🌸

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  2. ज़्यादा भावनात्मक होना भी एक गलती हैँ

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    • बिलकुल सही कहा आपने — ज़्यादा भावनात्मक होना कई बार खुद के लिए नुकसानदायक साबित होता है।

      जब हम दिल से सोचते हैं और भावनाओं में बह जाते हैं, तो लोग हमें कमज़ोर समझ लेते हैं। कई बार हमारे जज़्बातों का गलत फायदा भी उठाया जाता है।
      लेकिन सच कहूँ तो, यही भावनाएँ हमें इंसान बनाती हैं।

      संवेदनशील होना कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक अनमोल ताकत है।
      यह दिखाता है कि हमारे अंदर प्यार, करुणा और समझने की गहराई है।

      हाँ, ज़रूरी यह है कि हम अपने जज़्बातों को समझदारी के साथ संभालें — ताकि न तो दिल टूटे और न ही आत्मसम्मान।

      आपका विचार बहुत गहरा है। आभार 🙏

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