
“यादों की उड़ान” एक भावनात्मक कविता है, जो बीते रिश्तों, अधूरी बातों और दिल में छुपी खामोशियों की कहानी बयां करती है। यह कविता पुराने दिनों की गलियों में चुपचाप घूमते हुए उन यादों को महसूस करता है, जिन्हें समय की धूल भी मिटा नहीं पाई।
कविता प्रेम, विरह, और जीवन की चुपचाप बहती भावनाओं को छूने वाली है, जहाँ हर रात चाँद साक्षी बनता है उस अटूट याद के सागर का।
यादों की उड़ान
कभी-कभी हम यूँ ही चुपचाप,
दिल की गलियों में चल पड़ते हैं,
कुछ बीते लम्हे, कुछ अधूरी बातें,
हमारी साँसों में आज भी पलते हैं।
आवाज़ नहीं, फिर भी सुनाई देती है,
हँसी के झरने, आँसू के गीत,
बिछुड़े रिश्तों की परछाइयाँ,
वही अपना प्यार, वही अपना मीत।
मेरी आरज़ू थी कि कोई मुझे,
एक बार मुड़कर देख ले,
लेकिन वक़्त का पंछी उड़ गया,
अब चाहे यादें कुछ भी कहें।
कौन पूछता है आँखों की नमी को?
कौन समझता है मेरी खामोशी को?
पास वाले अनदेखा कर देते हैं,
वो समझ नहीं पाते इस मदहोशी को।
अब तो बस इन बंद पलकों के पीछे,
एक तस्वीर-सी बसी रहती है,
और हर रात मैं चाँद से कहता हूँ,
कि उनकी तस्वीर दिखाई देती है।
(विजय वर्मा )

Categories: kavita
very nice
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Thank you so much.
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Very Nice👌
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Thank you so much for your appreciation..
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