
मेरी यह कविता जीवन के उन उलझे हुए पलों और सवालों को चाय की प्याली के साथ सुलझाने का एक सुंदर प्रयास करती है। चाय के हर घूँट में जीवन के विभिन्न रंगों और अनुभवों का स्वाद मिलता है, जो हमें जीवन के सच्चे अर्थ और उसकी सुंदरता को समझने का संदेश देती है। मुझे आशा है आप पसंद करेंगे |
चाय की प्याली
ज़िंदगी उलझी-उलझी सी लगती है,
रास्ते भूले, पता नहीं किधर जाना,
सवालों के घेरे में उलझी हुई ज़िंदगी,
आगे रास्ते साफ-साफ नहीं दिखती है।
अनजान सफर, आओ बैठें साथ,
चाय की प्याली हो अपने हाथ,
चलो, सुलझाएं इन उलझनों को,
गरमागरम चाय की चुस्की के साथ।
चाय की खुशबू, पुरानी यादों के साथ,
ताज़ा हो जाती हैं हर चुस्की के साथ,
हँसी-मजाक, खुशियाँ, गम,
सब कुछ याद आता है।
दोस्तों के साथ बैठकर चाय पीना,
परिवार के साथ गपशप करना,
ये लमहें ही बन जाते है
ज़िन्दगी के खूबसूरत पल को जीना ।
चाय की प्याली में डूबकर तो देखो,
दिखेगा ज़िन्दगी का याराना सफर,
ज़िंदगी है एक कनवास यारों,
सुनहरे रंगों से भरा हुआ।
हर रंग एक कहानी,
हर कहानी एक अनुभव,
यही है ज़िन्दगी का सार,
यही तो है जीवन मेरे यार ।
तो आओ, उठाओ चाय की प्याली,
और हर पल को खुशियों से तोल।
क्योंकि ज़िन्दगी की चाय है निराली,
जो बनाती है हर पल को अनमोल।
(विजय वर्मा )

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Categories: kavita
Beautiful poem of life and sentiments.
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Thank you so much, dear.
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Thank you so much, dear.❤️❤️
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