# मैं मजबूर हूँ # 

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मैं पटना के अशोक राजपथ ब्रांच में अभी अभी कार्यभार  संभाला था और बैंक डिपाजिट का टारगेट पूरा करने के लिए काफी दबाब था | तब मेरे एक स्टाफ ने सुझाया कि बिजली विभाग में काफी फण्ड रहता है और सही ढंग से approach करें तो वहाँ अच्छी खासी डिपाजिट मिल सकती है |

हालाँकि, उस विभाग में हमारा कोई जान पहचान  नहीं था, फिर भी मेरे दिल ने कहा ..कोशिश करना चाहिए और मैं अकेला ही बेली रोड स्थित बिजली ऑफिस में पहुँच गया / कुछ देर इंतजार के बाद अपनी विसिटिंग कार्ड साहेब के पास भेजने का मौका मिला |

थोड़ी देर के बाद ही बुलावा भी आ गया | मैं बाहर तख्ती पर उनके नाम को ध्यान से पढ़ा ताकि बात करने में सहूलियत हो …श्री संपत भौमिक |

उन्होंने मुझे बैठने को कहा  और आने का मकसद पूछा |

जबाब में मैं छोटी परिचय के साथ डिपाजिट के लिए निवेदन किया |

उन्होंने अपने निजी सचिव  को बुला कर  मेरे सामने ही फण्ड के बारे  में पूछा तो  उनके सचिव ने बताया कि दस करोड़ का फण्ड अभी है | वो तुरुन्त बोल पड़े कि वो डिपाजिट इनकी शाखा में कल जमा करा दीजिये | 

मुझे इतनी आसानी से डिपाजिट मिल जाएगी इसकी कल्पना भी नहीं की थी | हमारे बैंक में पहले से इन लोगों का खाता भी नहीं था | मैं उनके सामने बैठा चाय पी रहा था और इन्ही सब बातों में उलझा था, तभी साहब की एक आवाज़ ने मेरी तंत्रा को भंग कर दी |

उन्होंने ने मेरी तरफ मुखातिब होकर हँसते हुए कहा ..आप को शायद आश्चर्य हो रहा होगा कि मैं एक अनजान बैंकर को मदद क्यों कर रहा हूँ ?

तो आप को बता दूँ कि आप का विसिटिंग कार्ड देख कर ही मैं आपको पहचान गया था | आप ने एक स्टूडेंट को इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए व्यक्तिगत रूप से आर्थिक मदद की थी /\ मैं वही स्टूडेंट हूँ |

जी हां …मैं सुमित भौमिक का पुत्र हूँ, जिसे आप ने एक बार अपने खाते से ५०,००० रुपयों की मदद की थी, जिससे मैं आज इंजिनियर बन सका | सुमित भौमिक का नाम सुनते ही मुझे वो पुरानी घटना अचानक जेहन में समां गई……  

मैं उन दिनों कोलकाता  के हाथी बगान शाखा  में ब्रांच मेनेजर हुआ करता था | एक दिन बैंक में बैठा एक लोन प्रपोजल में उलझा हुआ था उसी समय मेरे चैम्बर में एक व्यक्ति दाखिल हुआ जिसका नाम था  सुमित भौमिक और वो मेरे सामने चुप चाप आकर खड़ा हो गया |

दाढ़ी बढ़ी हुई, बाल बिखरे हुए और  गर्मी के कारण पसीने से लथपथ था वो | देखने से ही लग रहा था वो काफी परेशान था और कई दिनों से ठीक से सोया भी नहीं होगा शायद | आते ही प्रणाम किया ओर बोला मुझे अभी ५०००० रुपयों की सख्त ज़रुरत है, कृपया आप अपने पास से दे दे | मैं जल्द ही चूका दूंगा |

मुझे इस बात से बहुत आश्चर्य हुआ कि उसके इतने साथी बैंक में थे उन सभी के पास ना जाकर मेरे पास ही वो क्यों आया है ? और यह भी सच था कि  मैं सिर्फ इतना ही उसके बारे में जनता था कि वह हमारे ही बैंक  में केशियर के पद  पर था ओर कुछ दिनों पूर्व ही बैंक में फ्रॉड करने के कारण उसे नौकरी से निलंबित कर दिया गया था |

एक साल पूर्व ही उसके द्वारा बैंक में फ्रॉड करने की  खबर आग की तरह फैल गई थी | तहकीकात करने पर पता चला था कि  उसे अपनी माँ के इलाज़ के लिए पैसों की हमेशा ज़रुरत रहती थी,  शायद मजबूरी में ही उसने फ्रॉड जैसा जुर्म कर दिया था,  हालाँकि उसमे और कोई  बुरी आदत नहीं थी |

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बैंक उसे अपराधी मानते हुए नौकरी से निकाल दिया था | मैं जब उसकी माँ की बीमारी के बारे में सुना था तो उस व्यक्ति के प्रति घृणा नहीं बल्कि सहानुभूति के भाव उभर आये थे | अपनी माँ की बीमारी की इलाज़ के लिए ही वह बैंक मे फ़्रौड किया था |

मैं उन्ही ख्यालो में खोया हुआ था कि  उसने फिर निवेदन करता हुआ  अपनी बात दुहराई और कहा —  आज ही मेरे बेटे को इंजीनियरिंग कॉलेज, कल्याणी में दाखिला का  last date है,  अगर आज  एडमिशन नहीं हुआ तो उसका भविष्य बर्बाद हो जायेगा | प्लीज मेरी मदद कीजिये | उसने एडमिशन से सम्बंधित कागज़ भी दिखाए जो JIS Engineering College , कल्याणी का था |

मुझे उसको इतने पैसे देने के लिए अपना फिक्स्ड डिपाजिट तोड़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं दिख रहा था |

 मैं उसकी बातों से सिर्फ दो ही निष्कर्ष निकाल सका  ..

पहला यह कि  उसने जो बैंक के साथ फ्रॉड किया था, शायद इसके आलावा उसकी माँ के बिमारी के इलाज़ का और कोई विकल्प नहीं होगा , और

दूसरा यह कि अगर गुनाह वह किया है तो उसकी सज़ा बेटे को क्यों मिले ? अगर अभी पैसे नहीं दिया तो उसके बच्चे का भविष्य खतरे में पड़  सकता था | इसलिए मैं बिना देरी किये अपनी फिक्स्ड डिपाजिट से उसे पैसे दे दिए |

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वो पैसे लेकर धन्यवाद् कहा और जल्दी से शाखा से निकल गया,  शायद उसे लोकल ट्रेन पकड़ कर कल्याणी जाने की जल्दी थी और समय पर कॉलेज भी  पहुँचना था |

 उसी समय दुलाल दा, जो ब्रांच का स्टाफ और हमारा शुभचिंतक भी था, उन्हें जब भौमिक के बारे में पता चला तो जल्दी से मेरे पास आये , और उसे पैसे ना देने की हिदायत देने लगे | उन्होंने बताया कि  अगर हम पैसे दे दिए तो भौमिक की  यह स्थिति नहीं है कि  वो मेरे पैसे लौटा सके |

मैं दुलाल दा की तरफ देखते हुए कहा कि वो तो पैसे लेकर चला गया | तब अपना सिर पिटते हुए उन्होने कहा —  आप को उसकी बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए था | कम से कम हमलोगों से विचार विमर्श कर लेते तो आप का पैसा डूबने से बच सकता था |

लेकिन सच तो यह था कि  उस वक़्त मेरे मन में भावनात्मक विचार आने लगे और मैंने सोचा कि  अगर पैसे वापस नहीं भी देगा तो भी मुझे ख़ुशी होगी कि  हमने एक स्टूडेंट को पढाई में आर्थिक मदद की |

मैं अपने संघर्ष के दिनों को याद किया | हमलोग भाई बहन भी गरीबी देखि थी और अभाव में ही अपनी पढाई पूरी की थी | इसलिए उस के दर्द को महसूस कर सक रहा था | मैं भगवान् को याद कर बस इतना ही कहा कि  तुमने मुझे इस काबिल बनाया कि  आज किसी की पढाई में मदद कर सका. और मुझे उस समय एक अलग तरह की ख़ुशी का आभास हो रहा था |

कुछ दिन यूँ ही बीत गए और मेरी स्मृति से वो भौमिक को कर्जे वाली बात भी बिसर गयी थी | लेकिन उस दिन  मुझे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब वो मेरे पास आया और 3००० रूपये मुझे वापस करते हुए कहा कि  मैं हर महीने इसी तरह तीन – तीन  हज़ार रूपये कर के आप से लिए क़र्ज़ को धीरे धीरे वापस कर दूंगा |

आगे, उसने जब अपनी पूरी कहानी सुनाई तो उसकी बातें  सुनकर मुझे आश्चर्य और दुःख का अनुभव हुआ | पूछने पर उसने बताया कि  बैंक से punishment  और फिर dismiss होने के बाद, मेरी आर्थिक स्थिति काफी ख़राब हो गई थी और हमारे बैंक के सभी साथी आर्थिक मदद करने से मना कर दिया | यहाँ तक कि  मेरे रिश्तेदार भी ऐसी स्थिति में अपने दरवाजे मेरे लिए बंद कर दिए थे |

मैं बहुत परेशान और दुखी रहने लगा तभी मेरा एक बचपन का दोस्त मिला और मेरी स्थिति को समझ कर धनबाद के एक फैक्ट्री में जॉब ऑफर कर दिया | मैं काम में तो मिहनती था ही, मेरा काम देख कर थोड़े समय में ही मेरी सैलरी बढ़ा दी गयी और और अब मैं उस स्थिति में हूँ कि पहले आप का क़िस्त देने आया हूँ और बाकि पैसों से किसी तरह घर का खर्च भी पूरा कर पा रहा हूँ.|

लेकिन सच है, आप उस समय मेरे लिए भगवान् स्वरुप थे जब आप ने मुझे आर्थिक मदद की  और मेरे बेटे का कॉलेज में दाखिला हो पाया | मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि  एक दिन वो इंजिनियर बनेगा और हमारा दुःख दर्द भी दूर हो सकेगा |

आज मुझे उसके बेटे को सफल इंसान के रूप में देख कर ख़ुशी का अनुभव हो रहा था |

मुझे भगवान् में आस्था और विश्वास और दृढ हो गई … और मेरे दिल ने सिर्फ इतना ही कहा …

अपने रब के फैसले पर भला शक कैसे करूँ …वो अगर सजा दे रहा है,… कुछ तो गुनाह रहा होगा….     

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

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