
दोस्तों,
लिखते रहना सेहत के लिए अच्छा माना जाता है | मैं भी रोज़ कुछ न कुछ लिखना चाहता हूँ , दिल की बात कहना चाहता हूँ | लेकिन लिखने के पहले कई सवाल मन में उठ खड़े हो जाते है और फिर मेरा मन पूछता है – आखिर क्या लिखूँ ?
जी हाँ ! इसी मनःस्थिति को दर्शाता है , आज की मेरी यह कविता । शायद आप इसे पसंद करेंगे और अपनी राय भी देंगे …
आज क्या लिखूँ ?
आज सुबह उठा ।
आंखें खोले, छत को निहार रहा था
तभी मेरे मन में ख्याल आया
आज कुछ नया लिखूँ ।
अच्छा या बुरा लिखूँ
झूठ या सच लिखूँ
लेकिन मैं क्या लिखूँ ?
आज तेरी याद आई है
प्रेरणा संदेश लायी है
तेरी आंखों की मस्ती
अचानक आना
तेरा मुसकुराना
गीत गुनगुनाना
सब याद आई है
लेकिन कैसे लिखूँ ?
अपनी जीत पर लिखूँ
या अपनी हार पर लिखूँ
अपनी खुशी पर लिखूँ
या मैं गम पर लिखूँ
पर ये मैं क्यों लिखूँ ?
तेरी मुस्कान पर लिखूँ
या नम आँखों पर लिखूँ
पहली मिलन पर लिखूँ
या अंतिम जुदाई पर लिखूँ
लेकिन ये क्यों लिखूँ ?
विरह के गीत लिखूँ
या मिलन के गीत लिखूँ
तभी मेरे मन में ख्याल आया
सुंदर जीवन के गीत लिखूँ
चाहे सुख हो
चाहे दुख हो
ज़िंदा रहने के लिए
हर हाल में लिखूँ
चाहे जैसे भी प्रभु दिन दिखाये
पर आज, कुछ तो लिखूँ |
(विजय वर्मा)

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Categories: kavita
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Thank you so much.
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बहुत सुन्दर रचना
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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My pleasure
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Stay blessed.💕
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