#मैं कुछ अजूबे लिखना चाहता हूँ # 

हर मनुष्य का यही लक्ष्य होता है कि वह हमेशा खुश रहे | इसके लिए तरह तरह के उपाय ढूंढता है, लेकिन आज के बाहरी माहौल कुछ इस तरह का है कि हम उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते है | खुश रहने के लिए ज़रूरी है कि हम कुछ अलग तरह की सोचें , कुछ अलग तरह का करें, या अपनी लेखनी मे कुछ अलग तरह की सोच लाया जाए |

हम खान पान को नियमित कर स्वस्थ शरीर तो पा लेते है लेकिन समस्या यह है कि मन को स्वस्थ और तनाव मुक्त कैसे रखा जाए ? चिंता और तनाव हर किसी के ज़िन्दगी में आता है | ज़रूरी है कि हम उससे किस तरह निपटते है | हमारी कोशिश है कि रोज़ कुछ लिखूँ और कुछ अजूबे लिखूँ .. ..

मैं कुछ अजूबे लिखना चाहता हूँ

मैं रोज़ रोज़ कुछ लिखना चाहता हूँ |

हाँ ! मैं कुछ अजूबे लिखना चाहता हूँ |

अपने  चेहरे की झुर्रियां को पढ़ना चाहता हूँ 

अपने हर याद को ज़िंदा रखना चाहता हूँ  

अपनी हर राज की बात कहना चाहता हूँ

आज मैं स्वयं से रु ब रु होना चाहता हूँ

हाँ ! मैं कुछ अजूबे लिखना चाहता हूँ

अपने पागल मन के पागलपन को लिखना चाहता हूँ

तुझसे पहली मुलाक़ात महसूस करना चाहता हूँ

तुझसे अंतिम विदाई के क्षणों को लिखना चाहता हूँ

फिर से मैं  पुराने दिनों में लौटना चाहता हूँ 

हाँ ! मैं कुछ अजूबे लिखना चाहता हूँ

मैं अपने जवानी की कहानी लिखना चाहता हूँ

तेरे संग बिताए गए पलों को जीना चाहता हूँ  

तुझे खोने का गम लिखना चाहता हूँ

मैं अपनी मजबूरियां लिखना चाहता हूँ   

हाँ ! मैं कुछ अजूबे लिखना चाहता हूँ

हे खुदा ,

मेरी कलम में इतनी ताकत देना

मेरे कविता में इतने शब्द पिरोना

क्योंकि मैं अपने आप को समझना चाहता हूँ

सच है , मैं हर लम्हा को  जीना चाहता हूँ

हाँ ! मैं कुछ अजूबे लिखना चाहता हूँ

( विजय वर्मा )

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4 replies

  1. christinenovalarue's avatar

    🩵

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  2. Poem is filled with emotions.Nice.

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