#एक जुनून  ऐसा भी# -2

वह विदेशी लड़की घबरा रही थी और रोये जा रही थी | तभी वहाँ पुलिस आ गई और लड़की की शिकायत सुनी | लेकिन दिल्ली जैसे बड़े शहर में उस चोर का  हुलिया जाने बिना उसे कैसे पकड़ा जा सकता है |

यह सब बातें चल ही रही थी, तभी आनंदिया ने अपने बनाए चित्र उस लड़की को दिखाया | आनंदिया के बनाए चित्र पर नज़र पड़ते ही, वह लड़की ज़ोर से चिल्लाई —  बिलकुल ऐसा ही था वह युवक | आनंदिया ने हु ब हु चित्र बना कर अपनी कलाकारी का नमूना प्रस्तुत किया था |

पुलिस उस फोटो के सहारे और  अपने मुखबिरों  के जरिये एक घंटे में ही उस युवक को पकड़ लिया | लड़की का बैग जिसमें उसका पासपोर्ट और वीज़ा भी था, बरामद हो गया |

लड़की ने आनंदिया को धन्यवाद दिया क्योंकि उसके द्वारा बनाए गए चित्र से ही उस चोर को पकड़ा जाना संभव हो सका था |

उस  लड़की ने आनंदिया से कहा – मैं अभी पुलिस केस  की formality करने थाने जा रही हूँ ,लेकिन कल तुम इसी जगह पर मुझसे  मिलना | इतना बोल कर वह पुलिस के साथ थाने की ओर चल दी |

पता नहीं क्यों ? आनंदीय को आज पहली बार किसी लड़की को देख कर एक अलग तरह की खुशी महसूस हो रही थी | शायद उसका व्यवहार और उसका  खूबसूरत चेहरा उसे पसंद आ गया था |

आनंदिया अपने दोस्त के साथ रहता था | उसने अपने दोस्त को सारी घटना बता दी और कहा कि मुझे कल उससे फिर मिलने जाना है | उसे तो जैसे आज की  रात बहुत लंबी लग रही थी | किसी तरह रात कटी  और आनंदीय सुबह – सुबह तैयार होकर कुतुब मीनार की  ओर चल दिया | वहाँ पहुँच कर बेसब्री से उस विदेशी लड़की का इंतज़ार करने लगा , क्योंकि वह अब तक नहीं आई थी |

आनंदिया के मन में एक बार ख्याल आया कि वह उससे मिलने भला क्यों आएगी ?

उसने शायद यूं ही बोल दिया होगा | लेकिन अगले ही पल आनंदिया का  दिल इसे मानने को तैयार नहीं था , उसका दिल कह रहा था,कि  वह ज़रूर आएगी |

इसी उधेड़ – बुन में वह अब तक दो बार कॉफी पी चुका था | उसे आज चित्रकारी करने का भी मन नहीं कर रहा था |  बार बार उसकी उत्सुक निगाहें वहाँ की  भीड़ में किसी को ढूंढ रही थी |  तभी भीड़ को चीरती वह लड़की प्रकट हुई | उसे देखते ही आनंदीय की आंखें चमक उठी | उसे कुछ अलग तरह की खुशी महसूस हो रही थी |

वह लड़की आई और आनंदिया से हाथ मिला कर कल की मदद के लिए धन्यवाद दिया | फिर उसके बगल में बैठ कर  आनंदिया से बातें करने लगी | आनंदिया उसे बस  एक टक देखे जा रहा था | उसे तो लड़की की कोई बातें जैसे सुनाई ही नहीं दे रही थी |

लड़की अपनी  बातें  बोले जा रही थी | उसने कहा – मेरा नाम चारलोट  है और मैं स्वीडन से इंडिया घूमने आई हूँ | मैं भी एक कलाकार हूँ और अभी आर्ट का  कोर्स कर रही हूँ |

तुम्हारा तो पेंटिंग और आर्ट बहुत बेहतरीन है |

लड़की से अपनी तारीफ सुन कर वह जैसे होश में आया और हड़बड़ा कर सिर्फ इतना कहा – बहुत बहुत धन्यवाद, आपका  | लेकिन आप इतना अच्छा हिन्दी कैसे बोल लेती  है ?

चारलोट ने  हँसते हुये जबाव दिया – मैं हर साल इंडिया आती हूँ और मैंने हिन्दी भाषा सीखा है | यहाँ के दर्शनिए जगहों का भ्रमण करती हूँ | मुझे इंडिया और यहाँ के लोग अच्छे लगते है |

आनंदिया उसकी बातें मंत्रमुग्ध होकर सुन रहा था | तभी चारलोट ने आनंदिया से पूछा – क्या तुम एक सुंदर सा मेरा  Portrait बना सकते हो  ? मैं तुम्हारा बनाया Portrait यादगार के लिए वापस अपने घर ले जाना चाहती हूँ |

 आनंदिया खुशी – खुशी तैयार हो गया | उसने दो कॉफी मंगाया और एक कॉफी चरलोट के हाथ में दे कर उसे एक मुद्रा  में बैठा दिया  और उसका portrait बनाने लगा | दस मिनट में पेंटिंग बना कर चरलोट को दिखाया |

लेकिन आनंदिया द्वारा बनाई  गई पेंटिंग को देख कर वह निराश हो गई, क्योंकि बहुत ही खराब पेंटिंग बनी थी |

उसने आश्चर्य होकर  आनंदिया से कहा – तुम तो एक अच्छे कलाकार हो, फिर भी तुमसे जैसी पेंटिंग की उम्मीद की थी वैसी नहीं बन पायी |

आनंदिया निराश होते हुये जबाव दिया – आपने ठीक कहा | जब मैं पेंटिंग बनाने के लिए आपकी तरफ देखता हूँ तो मेरी आंखें ठहर नहीं पाती, मेरे मन में कुछ हलचल होने लगती है |

कैसी हलचल ? – उसने उत्सुकता से पूछा |

तुम्हें देख  कर मेरी माँ की कही गई एक बात याद आ गई | जब मैं छोटा था तो मेरी माँ ने मेरे बारे में भविष्यवाणी की थी कि मुझे किसी विदेशी लड़की से प्यार होगा , जो एक राजकुमारी होगी | उसका खुद का बड़ा सा जंगल होगा |

मैं उसकी बात को सुन कर हँसता था | मैं एक गरीब साधारण सा इंसान , मुझे राजकुमारी कहाँ से मिल जाएगी ?

और क्या कहा तुम्हारी माँ ने – चारलोट के उत्सुकता का ठिकाना नहीं था  |

आनंदिया ने आगे कहा – उसके दोनों पैर में छः उंगलियाँ होगी | उसके बाल घुंघराले और आँखें नीली होगी | 

उसकी बातें सुन कर चारलोट को जैसे विश्वास ही नहीं हुआ , उसके मुंह खुले के खुले रह गए |

वह आश्चर्य से आनंदिया को देख रही थी | उसकी हैरानी देख कर आनंदिया ने कहा – आप क्यों हैरान हो रहे है ? यह सब बातें माँ ने मुझे दिलासा  दिलाने के लिए कहा होगा |

चाहे जो भी हो , मैं तुम्हारी माँ से मिलना चाहती हूँ – चारलोट ने कहा |

वो तो ठीक है।, वैसे हर माँ की  नज़र में उसका बेटा राजकुमार होता है और उसके ज़िंदगी में आने वाली राजकुमारी  होतीं है | यह तो मेरी माँ का मेरे प्रति प्यार है |

तभी चारलोट ने अपने  दोनों पैर अपने जूते से बाहर  निकाली, सचमुच उसके दोनों पैरों में छः उँगलियाँ थी | चारलोट ने आगे कहा —  मेरे पिता एक राजा है और मैं उनकी अकेली संतान हूँ | मेरे बहुत सारे बड़े जंगल है |

यह सुनकर आनंदिया सचमुच हैरान रह गया और उसे अब समझ में आ रहा था  कि उसे देख कर उसका मन इतना व्याकुल क्यों हो जाता है ?

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9 replies

  1. अच्छी कहानी।

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  2. Achhi kahani.

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