#एक जुनून  ऐसा भी# -3

आज जब सुबह आनंदिया सो कर उठा तो बेहद खुश था | आज चारलोट ने उसे डिनर पर आमंत्रित किया था | खास बात थी कि आज आनंदिया का जन्मदिन भी है  | वह अपना बेस्ट ड्रेस पहन कर तैयार हुआ था | सबसे पहले वह मंदिर गया, भगवान को प्रणाम कर सीधा होटल पहुँच गया |

आनंदिया के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि चारलोट वहाँ पहले से ही उसका इंतज़ार कर रही थी | आनंदिया को देखते ही चारलोट ने सबसे  पहले बर्थ-ड़े की बधाई दी और उसका हाथ पकड़ कर होटल में पहले से रिजर्व किए गए टेबुल तक ले आई | तुरंत ही एक सुंदर केक (cake) हाजिर हो गया |

यह सब देख कर आनंदिया को आश्चर्य हो रहा था | उसने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई विदेशी लड़की उस जैसा साधारण इंसान को इतना इज्जत दे सकती है |

चारलोट  भी सुंदर ड्रेस में राजकुमारी लग रही थी | वह काफी खुश नज़र आ रही थी |

खाना खाते हुए चारलोट ने उसकी माँ से मिलने की इच्छा प्रकट कर दी |

इस पर आनंदिया  ने कहा – मेरी माँ अनपढ़ है और गाँव में रहती है | हम लोग बहुत साधारण लोग हैं |

चारलोट ने कहा  – फिर भी मैं मिलना चाहती हूँ | उसकी बातों को आनंदिया  इनकार नहीं कर सका |

अगले दिन ही वे दोनों उड़ीसा अपने गाँव के लिए रवाना हो गए | छह घंटे की हवाई यात्रा और बस का सफर करने के बाद चारलोट उसके गाँव पहुँच गई |

चारलोट को देख कर उसकी माँ की आंखें आश्चर्य से फैल गई | उसके मुंह से अचानक निकाल पड़ा – अरे , यही तो है वो राजकुमारी जिसे मैं सपने में देखा करती थी | यही है हमारी  आनंदिया  की राजकुमारी |

माँ की बात बीच में काटते हुये आनंदिया ने कहा – माँ, ऐसा मत बोलो | वो चारलोट है और यहाँ घूमने के लिए आई है | और फिर चारलोट की ओर देख कर आनंदिया  ने कहा –  मेरी माँ तो ऐसे की बोल गई | आप इनके बातों का बुरा नहीं मानें |

थोड़ी देर की मुलाक़ात में ही चारलोट को इस  घर के माहौल और आनंदिया की माँ बहुत अच्छी लगने लगी थी |  आज कल मन के सच्चे और अच्छे इंसान कहाँ मिलते है ?

वो मन ही मन सोचने लगी – लगता है माँ की भविष्यवाणी ही उसे यहाँ तक ले आई है | वरना इस छोटे से गाँव में ऐसे अच्छे लोगों के बीच कैसे पहुँच पाती ?

चारलोट का दिल कह रहा था – शायद, उसका जीवन साथ यही है | खैर वहाँ सब लोगों के साथ चारलोट ने  भारतीय व्यंजन का मज़ा लिया और फिर  कटक के अपने होटल में वापस जाने को तैयार हो गई | लेकिन उसके पहले आनंदिया से सूर्य मन्दिर जाने की  इच्छा ज़ाहिर कर दी |

आनंदिया उसकी कोई बात कैसे टाल सकता था ? उसने चारलोट से कहा – आज आप काफी थक गई होंगी | आप आज होटल में आराम करें , कल सुबह मैं आपको सूर्य मंदिर ले जाऊंगा | इतना कह कर चारलोट को होटल में छोड़ आया  |

सुबह – सुबह आनंदिया होटल जाने को तैयार हो गया, तभी माँ ने कहा – नाश्ता कर के जाओ | आनंदिया माँ की कोई बात टाल नहीं सकता था, इसलिए जल्दी से नाश्ता के लिए ज़मीन पर आसन लगा कर बैठ गया | वह अपना नाश्ता शुरू करने ही वाला था कि चारलोट वहाँ पहुँच गई | उसे इतना  सुबह अपने घर आता देख कर आनंदिया  को आश्चर्य हो रहा था |

तभी चारलोट ने कहा – मुझे ब्रेकफ़ास्ट के लिए नहीं पुछोगे ?

माँ ने उसके सिर पर प्यार से  हाथ रख कर आशीर्वाद दिया और उसे भी साथ बैठने का इशारा कर वह नाश्ता लाने चली गई | आनंदिया को चारलोट के बात व्यवहार ने बहुत प्रभावित किया  | उसे तो इस बात से आश्चर्य हो रहा था कि एक राजकुमारी हम जैसे एक गरीब और साधारण परिवार के साथ घुल मिल कर बातें कर रही है  जैसे यह उसका अपना घर हो |

आनंदिया  मन ही मन यह सब सोच रहा था और चारलोट के प्रश्नों का जबाव दे रह था | चारलोट  यहाँ के  रीति रिवाज और खेती – बारी के बारे में बहुत सारी जानकारियाँ  लेना चाहती थी |

नाश्ता समाप्त कर आनंदिया  माँ से इजाजत लेकर चारलोट के साथ  सूर्य मंदिर जाने के लिए निकाल पड़ा  |

सूर्य मंदिर को देख कर चारलोट आश्चर्य चकित रह गई | वहाँ वह एक अजीब शांति महसूस कर रही थी  | उसे लगा जैसे यहाँ कोई अदृश्य शक्ति है जो उसे सम्मोहित कर रही है | वह बहुत खुश थी और पूरे सूर्य मंदिर का चक्कर लगा कर वहाँ की सुंदर कलाकृति की खूब तारीफ कर रही थी |

अचानक एक मूर्ति जिसे  सन गॉड (Sun God) कहते है, उसके सामने खड़ी होकर प्रणाम की और फिर आनंदिया  की ओर देख कर कहा – मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ आनंदिया , मैं तुम्हें अपना जीवन साथी बनाना चाहती हूँ | क्या तुम मुझे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करोगे ?  

आनंदिया  उसके मुंह से सुनी बातों से अवाक रह गया | उसे फिर अपनी माँ की भविष्यवाणी याद आ गई और उसने सोचा, शायद भगवान ने चारलोट को मेरे लिए ही यहाँ भेजा है |

उसने भगवान के सामने खड़े हो कर  चारलोट का दोनों हाथ  अपने हाथों  में लिया और  कहा – भगवान को साक्षी मान कर  मैं तुम्हें अपनी पत्नी स्वीकार करता हूँ | चारलोट खुश होकर उसके गले लग गई और कहा – बहुत बहुत धन्यवाद आनंदिया  |

वहाँ पर  कुछ लोग खड़े उन दोनों की बातें सुन रहे थे | एक फोटोग्राफर भी उन लोगों को देख रहा था | वह जल्दी से सामने आया और बोला – One Photo Please.  

और फिर दोनों साथ बहुत सारी तस्वीरें खिचवाई और शाम तक वहाँ रुकने के बाद वापस घर आ गई | आनंदिया ने माँ को सारी बातें बता दी , उसकी बातें सुन कर माँ की खुशी का ठिकाना नहीं रहा |  चारलोट ने भी माँ के पैर छु कर उनका आशीर्वाद लिया |     

चारलोट होटल के कमरे में वापस आ कर अपने सामान ठीक करने लगी | उसे सुबह ही वापस दिल्ली जाना होगा क्योंकि कल ही शाम को घर वापसी की भी फ्लाइट थी | वैसे तो चारलोट को अभी वापस अपने देश जाने का मन नहीं था लेकिन उसकी वीज़ा और पासपोर्ट का समय  समाप्त हो रहा था |

चारलोट ने आनंदिया की ओर उदास मन से देख कर कहा – आनंदिया , अब हम लोग पति पत्नी है | लेकिन आज ही मुझे  वापस अपने देश जाना होगा | मैं वहाँ जाकर अपने माता – पिता को अपनी शादी की बात बताऊँगी |

मुझे पूरी उम्मीद है कि वे लोग भी मान जाएंगे , फिर मैं तुम्हें वहाँ बुला लूँगी | वो आनंदिया को देख रही थी और उसके आंखों में  आँसू की बूंदें छलछला आई | (क्रमशः )

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