
यह कविता एक व्यक्ति की तनहाई के बारे में है जो अपने दोस्तों से दूर हो गया है। उन्हें पता नहीं कि वे किसके साथ अपनी दर्द को साझा करें। यह उनकी कहानी है जो अपने जीवन में दोस्तों की जरूरत को महसूस करते हैं। उन्हें अपने दोस्तों से दूर होने का दुख होता है, फिर भी उनकी यादों से शक्ति लेते हैं।
पास आ कर सभी दूर चले गए
हम अकेले थे, अकेले रह गए
अपने दिल का दर्द किसे दिखाएँ यारों
मरहम लगाने वाले ही जख्म दे गए |
परिंदों ने जो सिखाया उड़ने का जज़्बा,
उसके साथ हमने खुद को आज़माया
पहुँच तो गए हम भी ऊंचे आकाश में
पर वहाँ कोई अपना नज़र नहीं आया |
सच, दोस्तों के बिना उड़ने में मज़ा ही नहीं है
अकेले चलने से बढ़ कर कोई सज़ा ही नहीं है
दोस्तों ने हम से यारी निभाई कुछ इस तरह
सब दुख बाँट लिए, अब कुछ बचा ही नहीं है |
अब हमारे जख्म को मरहम की नहीं
बल्कि, दोस्तों के प्यार की ज़रूरत है,
जब कभी सब दोस्त इकट्ठे होते है
हमारे लिए तो बस वही शुभ मुहूरत है |
(विजय वर्मा)

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Categories: kavita
Achi likhi he kavita sir!!!
Dil ko choo gai
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सही है डियर , डियर के बिना ज़िंदगी अधूरी लगती है |
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Well written, loved it!!
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Thank you so much. Anjali.
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