# नमक हराम #….8 

इमानदारी की राह पर चलते चलते

पहुँच गया हूँ बेईमान शहर में

हर कदम पर ठोकर हूँ खाता

गिर जाता हूँ खुद की नजर में…

ज़माना बेईमान हो गया

राजेश्वर जैसे ही सुना कि उसका खेत कोई दूसरा आदमी जोत रहा है तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ और गुस्सा भी आया | आधा खेत तो पहले से ही साहूकार ने दखल  कर रखा है, बाकि का खेत भी चला जायेगा तो अपनी बर्बादी निश्चित है |

वह राम खेलावन से बोला … चलो मेरे साथ , देखे, वह कौन है जो मेरे खेत को जोत रहा है ?

दोनों जैसे ही खेत पर पहुँचे तो देखा …, चार – पांच लोग मिल कर खेत को जोत रहे  है |

राजेश्वर गुस्से भरे लहजे में पूछा  ..तुम मेरे खेत को क्यों जोत रहे हो भाई ?  तुम लोग कौन हो ?.

जी, मैंने यह खेत ख़रीदा है और अब यह मेरी है ..उसने इत्मीनान से बोला |

खेत तो मेरी है फिर तुमने  किससे खरीदी  ?…राजेश्वर आश्चर्य प्रकट करते हुआ पूछा |

जी, मैंने यह खेत खरीदी है दिनेश बाबु से | और उन्होंने मेरे नाम रजिस्ट्री भी कर दी है…  उसने यह बोलते हुए रजिस्ट्री का पेपर  दिखाया |

राजेश्वर उसमे लिखी भाषा को ठीक से समझ नहीं सका इसलिए उससे बहस करना उचित नहीं समझा | लेकिन इतना तो समझ गया कि छोटे भाई ने ज़बरदस्ती इस खेत को बेच दिया है |

वो घबराया हुआ तेज़ कदमो से चलते हुए वकील साहब के पास पहुँचा और  वकील साहब अपने चैम्बर में ही मिल गए |

राजेश्वर खड़े खड़े ही खेत बेचने वाली सारी बात बता दी और कहा ..कुछ कीजिये वकील साहेब, नहीं तो मैं बर्बाद हो जाऊंगा | आधी खेत पर तो  पहले से ही साहूकार कब्ज़ा कर रखा  है | अगर यह आधी खेत भी निकल गए तो मैं पूरी तरह बर्बाद हो जाऊंगा |

वकील साहेब ध्यान से उनकी बात को सुन कर बोले ..आप यहाँ बैठिए मैं कोई उपाय सोचता हूँ |

आप ने तो कहा था कि वो बिना मेरे सहमती के खेत बेच ही नहीं सकता है, फिर भी खेत कैसे बिक गया …राजेश्वर आश्चर्य प्रकट करते हुए बोला |

देखिए राजेश्वर बाबु, सच तो यही है कि नियमतः वो आप के सहमती के बिना खेत नहीं बेच सकता है क्योकि खेत तो उसके नाम ही नहीं है | फिर भी, पहले  मैं रजिस्ट्री से सम्बंधित सारे पेपर की नक़ल निकलवाता हूँ,  उससे ही पता चल पायेगा  कि उसने फ्रॉड  किया है या नहीं ..वकील साहब समझाते हुए बोले |

आप कुछ भी कीजिये लेकिन  मेरे खेत किसी भी तरह वापस करा दीजिये | वो हमारे पुरखो की निशानी है और हमारी जान उसी में  बसती है ..उसने रोते हुए अपनी भावनाओं को प्रकट किया |

आप धीरज रखिये राजेश्वर बाबू ,इन सब कार्य में थोडा वक़्त तो लगता ही है | वैसे मैं कल  ही नक़ल के पेपर निकलवाने  हेतु आवेदन कर दूंगा | आप एक सप्ताह के बाद आइये, फिर आगे की कार्यवाही पर विचार करेंगे……वकील साहब उनको दिलासा देते हुए बोले |

राजेश्वर भारी  कदमो से वहाँ से चल दिया और दुकान पहुँच कर चुप चाप बैठ गया | उसे चिंतित देख कालू  गिलास में पानी ला कर दिया और पूछा ..क्या बात है मालिक, अब और कौन सी समस्या आ गई |

राजेश्वर बोला …जब मुसीबत आती है तो चारो तरफ से आती है | अब एक नयी समस्या खड़ी  हो गई है | छोटे  भाई ने जबरदस्ती खेत बेच दिया है | उसी के बारे में सलाह लेने हेतु वकील के पास गया था |

आप चिंता मत कीजिये,  वकील बाबू बहुत नेक इंसान है और आप का तो उन पर बहुत  एहसान है | इसलिए वो जान लगा देंगे और आप को अपने खेत वापस दिलवा कर रहेंगे |

अब कोर्ट कचहरी के सिवा कोई और उपाय नहीं रहा और यह लम्बी प्रक्रिया है | आगे भगवान् की मर्जी …वो मन ही मन बोला | उसे यह भी महसूस हो रहा था कि इन्ही सब मुसीबतों में उलझे होने के कारण दूकान पर ठीक से ध्यान भी नहीं दे रहा है ,और व्यवसाय पर भी इसका असर पड़  रहा है |

वह उदास मन से दुकान से निकला और घर की ओर चल दिया |

सात दिन बीत जाने के बाद ,आज सुबह सुबह कौशल्या ने याद दिलाया कि आप को वकील साहब ने बुलाया है .,आप दूकान से थोडा समय निकाल  कर उनसे मिल लीजियेगा  |

ठीक है भाग्यवान , अब देखो, वकील बाबू इस मुद्दे पर क्या सलाह देते है | खाना खाते हुए वो बोले |

Rice farm with farmer’s hut, countryside.

चाहे कुछ भी हो जाये,  इन लोगों पर केस करना ही  होगा और खेत को वापस लेना होगा | इसके लिए चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े | अब हमलोग को पीछे नहीं हटना चाहिए .. कौशल्या गंभीर होते हुए बोली |

राजेश्वर उनकी बातों को सुनता रहा है और उसने भी मन ही मन फैसला कर लिया और घर से निकल पड़ा |

दोपहर का समय था और वकील साहब राजेश्वर के केस की फाइल का अध्ययन कर रहे थे तभी राजेश्वर को देख कर बोले..आप की उम्र  बड़ी लम्बी है राजेश्वर बाबु , मैं अभी अभी आप को ही याद कर रहा था | आइये बैठिये ..उन्होंने कुर्सी उनकी ओर बढ़ाते हुए कहा |

आप ठीक कहते है, दुःख की उम्र तो  लम्बी  होती ही  है और  सुख के उम्र छोटी ..कुर्सी पर बैठते हुए राजेश्वर बोला |

खैर हकीकत जो भी हो , लेकिन कोर्ट से नक़ल निकलवाने से पता चला है कि उन्होंने आप की सहमती से ही खेत को बेचा है | यह देखिये आप का सहमती पत्र,  आप हस्ताक्षर मिला लीजिये ..वकील साहब पेपर उनके हाथ में देते हुए कहा |

राजेश्वर पेपर देख कर अपने कुर्सी से उछल पड़ा और कहा ..वकील साहब,  यह तो मेरा  हस्ताक्षर है ही नहीं | छोटे ने मेरे नकली हस्ताक्षर कर मेरे साथ धोखा करके खेत बेचा है | यह तो बिलकुल फ्रॉड  है | आप तो जितनी जल्दी हो सके इसमें  फ्रॉड का केस फाइल कर दीजिये | सरपंच और खलीफा को भी पार्टी बनाइये |

इनलोगों को हम छोड़ेंगे नहीं | सब लोगों ने मिल कर मेरे विरुद्ध षड़यंत्र किया है |

मुझे भी ऐसा ही लग रहा था | इसमें कुछ पेपर जाली बनाये हुए है | और उन्होंने बड़ी होशियारी से यह सब काम किया है | इतना ही नहीं,  सरपंच और खलीफा का भी गवाही में नाम है | इसका मतलब इनलोगों को पैसा देकर अपने पक्ष कर  लिया है ..वकील साहब ने शंका व्यक्त की |

मैं पहले आपके भाई को एक नोटिस भेजता हूँ और उसके ज़बाब आने या नहीं आने के बाबजूद 15 दिनों के  बाद ही केस फाइल कर सकते है ..वकील साहब बोले और उन्होंने तुरंत ही एक नोटिस तैयार की और राजेश्वर को पढ़ कर सुना दी |

हाँ वकील साहब बिलकुल सही नोटिस बनाया है | आप इसे आज ही रवाना कीजिये ..राजेश्वर गुस्से में कहा | थोड़ी देर बाद, वकील साहब को नमस्कार कर राजेश्वर घर आ गया और कौशल्या से कहा …मेरा शक सही निकला | छोटे ने मेरा नकली हस्ताक्षर कर खेत बेच दिया है |

अब तो कोर्ट केस करने के अलावा दूसरा कोई विकल्प  नहीं है ,इसलिए मैंने वकील साहब को बोल दिया है |

एक महिना बीत जाने के बाद कोर्ट ने राजेश्वर के केस को रजिस्टर कर लिया और साथ ही थाना को सम्मन ज़ारी  किया कि इस मामले में तहकीकात कर अपनी रिपोर्ट पंद्रह दिनों में सौप दे |

इसी तरह कोर्ट केस के तहत तारीख पर तारीख पड़ते रहे और देखते देखते पाँच साल गुज़र गए | सचमुच अदालत का चक्कर बहुत ख़राब होता है | इन पाँच  सालों में राजेश्वर अपना  सुख चैन तो खोया ही ,,उसको अपने दुकान भी बेचनी पड़ी.  कौशल्या का सारे  गहने – जेवर बिक गए |

बस रह गए तो सिर्फ ज़ज्बात  और खोखली ज़िद…. राजेश्वर घर में खाट पर बैठा सोच रहा था |

इतने में कौशल्या चाय लेकर आयी और राजेश्वर को देते हुए कहा …आज तो कोर्ट का फैसला आने  वाला है | हमें आशा है कि  हमलोग केस ज़रूर जीत जायेंगे और अपना खेत तो बच ही जायेगा और खोया धन संपत्ति तो फिर से मेहनत कर कमा सकते है | तुम चिंता मत करो…कौशल्या उसे हिम्मत बंधा रही थी |

तुम ठीक कहती हो भाग्यवान…राजेश्वर बोलता हुआ चारपाई से उठा और कोर्ट जाने को तैयार होने लगा |

ठीक बारह बजे दिन में आज कोर्ट का फैसला आने वाला था | वकील साहब के साथ राजेश्वर  बेसब्री से फैसले का इंतज़ार कर रहा था  और गाँव के लोग भी बड़ी संख्या में कोर्ट की कार्यवाही देखने को आये हुए थे |

वो फैसले की घडी… घडी की टिक टिक के साथ  नजदीक आ रही थीं | और वो समय भी आया जब जज साहब अपना फैसला सुनाने लगे..|

लेकिन जज ने फैसला दिनेश के पक्ष में सुनाया और फ्रॉड की बात नहीं स्वीकार की |

राजेश्वर को जैसे अपने कानों पर विश्वास ही नहीं हो रहा था, ..उसे पूरा  विश्वास था कि कोर्ट से उसे न्याय मिलेगा ,परन्तु  यहाँ तो सब कुछ उल्टा हो रहा था .|

.फैसला सुन कर राजेश्वर को जोर का  सदमा लगा और वो वही परिसर में बेहोश होकर गिर पड़ा | वकील साहब के साथ गाँव वाले भी राजेश्वर को जल्दी से उठा कर वकील साहब के चैम्बर में ले आये  और कुर्सी पर बैठाया,  पानी के छीटे मारे  तब जाकर उसे होश आया |

वकील साहब जल्दी से उसे पानी लाकर पीने को दिया और कहा …पानी पीजिये राजेश्वर जी और हिम्मत से काम लीजिये | अभी सब कुछ ख़तम नहीं हुआ है | यह तो लोअर कोर्ट का फैसला  है | अभी हम हाई कोर्ट में भी अपील कर सकते है और वहाँ से जीत सकते है |

यहाँ तो  पैसों  के बल पर फैसला उन्होंने अपने पक्ष में करा लिया है …वकील साहब उसे हकीकत बता रहे थे |

फिर भी राजेश्वर को यकीन नहीं हो रहा था कि न्याय को भी पैसों के बल पर ख़रीदा जा सकता है |

कुछ देर के बाद राजेश्वर अपने आप को संभाला और अपने मन को मजबूत कर  गुस्से में बोला …वकील साहब, मैं न्याय पाने के लिए अपनी  लड़ाई जारी रखूँगा और इस फैसले के विरूद्ध हाई कोर्ट में ज़रूर अपील करूँगा………….(..क्रमशः )

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