
आँसुओं से लिख रहे है बेबसी की दास्तां
लग रहा है दर्द की तस्वीर बन जायेंगे हम…
बेबसी की दास्तान
आज सुबह – सुबह राजेश्वर दुकान पर गया और कालू को सब काम समझा कर वो सीधे वकील साहब के पास आया |
वकील साहब चैम्बर में ही मिल गए और राजेश्वर को देखते ही बोल पड़े ..आइये राजेश्वर जी, मैं आपका ही इंतज़ार कर रहा था |
राजेश्वर चुपचाप कुर्सी पर बैठ गया,| उसके चेहरे से उदासी साफ़ झलक रही थी | उदास हो भी क्यों नहीं, उसके ना चाहते हुए भी साहूकार ने उसके खेत की खड़ी फसल को काट कर ले गया था | वो असहाय देखता रहा और कुछ भी नहीं कर सका |
वकील साहब इतना तो उपाय करो कि खेत किसी तरह साहूकार के कब्ज़े में ना जा पाए, वर्ना वह उसे कम कीमत पर बेच देगा और उससे अपने क़र्ज़ की पूरी रकम अदा नहीं हो पायेगी ..राजेश्वर आशंका व्यक्त करते हुए बोला |
मैं आप की चिंता से वाकिफ हूँ राजेश्वर जी | लेकिन कोर्ट – कचहरी का मामला है, कब और कितना समय लगेगा, पहले से कुछ कहा नही जा सकता है | मैंने नोटिस बना कर आप के तरफ से भेज तो दिया है, अब आगे देखिये क्या होता है | ये कुछ पेपर है इन पर आप अपनी दस्तखत कर दें..वकील साहब पेपर को सामने रखते हुए बोले |
उधर छोटे भाई दिनेश को जब वकील का दूसरा नोटिस मिला तो वह गुस्से से तिलमिला उठा |

इस बात पर उसकी पत्नी भी आग बबूला होते हुए कहने लगी …मुझे तो पहले से ही पता था कि पूरी ज़मीन हाथ से निकल जाएगी | इससे पहले कि भाई साहब सारी ज़मीन बेच दें, आप गाँव जाकर पंचायती करा कर अपने हिस्से की खेत को बेच दीजिये, वर्ना हमलोगों को कुछ भी हाथ नहीं लगेगा
तुम ठीक कहती हो, ,मैं कल ही गाँव जाता हूँ और अपने खेत को बेचने की कोशिश करता हूँ | वह मन ही मन योजना बनाने लगता है कि कैसे बड़े भाई के नोटिस का ज़बाब दे और कैसे अपने हिस्से की खेत बेच सकें |
इधर, राजेश्वर वकील साहब को नमस्कार कर वहाँ से सीधा अपने खेत पर आया और अपने खेत की हालत देख कर फुट फुट कर रोने लगा | खेत की सारी फसल काट ली गई थी और खेत के चारो तरफ बांस – बल्ले से घेर दिया गया था |
वह घर जाकर पूरी बात अपनी पत्नी कौशल्या को बताई और कहा… लगता है कि ईश्वर हमसे रूठ गए है |
तुम दिल छोटा ना करो …भगवान् ने चाहा तो कोई रास्ता निकल ही आएगा ..कौशल्या उसे दिलासा दे रही थी |
और राजेश्वर रात में बिना भोजन ग्रहण किये ही सो गया | सुबह उठकर वह फिर खेतो की तरफ चल दिया, शायद उसे खेतों से बहुत अधिक लगाव था जैसे ये उसके अपने बच्चे हो |
अपनी खेत के पास पहुँचा ही था कि वहाँ राम खेलावन मिल गया, शायद राजेश्वर के पास ही आ रहा था |
वो देखते ही बोला….जानते है राजेश्वर भाई ?, आप का छोटा भाई यहाँ आया हुआ है, आप से मिला या नहीं ?
क्या कह रहे हो ? ..राजेश्वर आश्चर्य प्रकट करते हुए बोला |
जी हाँ, अभी – अभी पंचायत भवन में देखा था | कुछ लोग उसके साथ थे, इसीलिए हम आप को खबर करने आ गए है …राम खेलावन बोला |

वाह, तूने बहुत अच्छी खबर दी है | लगता है साहूकार की कार्यवाही से उसे भी दुःख हुआ है, इसलिए खेत छुडवाने आया होगा | हम अभी जाकर उससे मिलते है .. राजेश्वर बोलते हुए दौड़ पड़ा पंचायत भवन की ओर |
लेकिन वहाँ दिनेश तो नहीं मिला, हाँ सरपंच साहब मिल गए |,…क्या दिनेश यहाँ आया था ? कहाँ है वह ? …राजेश्वर खुश होते हुए पूछ लिया |
आया तो था पर अभी अभी यहाँ से चला गया है | कहाँ गया है मुझे पता नहीं | लेकिन आप को बता दूँ …आज दिन के दस बजे पंचायत भवन में आपके भाई ने पंचायती का निवेदन किया है जिसे पंचों ने मान कर सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि पंचायती. दस बजे दिन में होगा |
आप भी समय से पहुँच जाइएगा …सरपंच साहब ने समझाते हुए कहा |
हाँ – हाँ, ठीक है | मैं ठीक समय पर पहुँच जाऊंगा .|. वो सरपंच साहब को बोला और मन ही मन सोचने लगा कि अब छोटा भाई साहूकार से हमलोगों की ज़मीन छुड़ा लेगा, ,आखिर पुरखो की निशानी जो है .| उसे भाई की सोच पर ख़ुशी हो रही थी |
वो जल्दी से घर गया और खाना खा कर पहले दूकान गया और फिर कालू को काम बता कर सीधे पंचायत भवन पहुँच गया |
वहाँ पहले से पंच लोग बैठे थे और छोटा भाई दिनेश भी वहाँ उपस्थित था | उसने राजेश्वर के पैर छू कर प्रणाम किया तो इसने भी दिल से आशीर्वाद दिया |
पंचायती की कार्यवाही शुरू हो हुई | पंचायत भवन में बहुत भीड़ थी, पंचो के अलावा गाँव के लोग भी बड़ी संख्या में पंचायत की कार्यवाही देखने आये थे |
सरपंच साहब ने पंचों की तरफ देखते हुए कहा …दिनेश जी का कहना है कि कुल छह एकड खेत की आधे हिस्से यानि तीन एकड़ खेत उसे दे दी जाये जिसे वो बेचना चाहते है |
सुन कर राजेश्वर के दिल को जोर का झटका लगा | उसने तो सोचा था कि छोटा भाई ज़मीन छुड़ाने की बात करेगा लेकिन यह तो बिलकुल उल्टा बोल रहा है | फिर भी अपने को सँभालते हुए पंचों से कहा …यह कैसे हो सकता है हुज़ूर ? तीन एकड ज़मीन तो पहले से गिरवी रखी हुई है |,
पहले तो उसे छुड़ाना होगा तभी तो बटवारा हो सकता है ?…उसने प्रश्न खड़ा करते हुए पूछा |
इस पर दिनेश बीच में बोल पड़ा …वो तीन एकड़ ज़मीन आप अपने हिस्से की गिरवी रखे है, मेरा हिस्से का तो बिलकुल रेहन मुक्त है | इसलिए उस हिस्से को मेरे नाम रजिस्ट्री करने को कह रहा हूँ या फिर नो ऑब्जेक्शन दें ताकि मैं उसे बेच सकूँ |
राजेश्वर को उसकी बात सुन कर बहुत जोर का गुस्सा आया लेकिन गुस्से को पीकर वो बोले …मुझे खेत को गिरवी उसकी पढाई के खर्चे पूरा करने के लिए रखना पड़ा था | तो उस हिसाब से क़र्ज़ की वापसी तो उसी को करनी चाहिए न |

इस पर दिनेश ने दलील दी कि खेत की उपज और उसकी आमदनी से ऋण को तो चुकता किया जाना चाहिए था | इसमें मेरी कोई जिम्मेवारी नहीं बनती है | मेरा पंचो से निवेदन है कि मेरे हिस्से की आधी खेत, तीन एकड़ मुझे दिलाने की कृपा की जाये या उसे बेचने के लिए भाई साहब से सहमती पत्र दिलाया जाये ताकि बिना किसी लफड़े के बेच सकूँ. |..
इस पर राजेश्वर ने पंचो से निवेदन किया कि पहले रेहन वाली ज़मीन को ऋण मुक्त करने के लिए पैसो का इंतज़ाम किया जाये .|
जब साहूकार को पैसे देकर खेत छुड़ाने की बात आयी तो दिनेश साफ़ मुकर गया | .
इस पर राजेश्वर को फिर गुस्सा आ गया और वो गुस्से से बोला तो फिर पंचायती नहीं हो पायेगी | .
और जब राजेश्वर की बात नहीं सुनी गई तो वो गुस्से से पंचायती छोड़ कर घर की ओर चल दिया…उसे अपने छोटे भाई पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वह इतना भी नीचे गिर सकता है |
वह गाँव भी आया और उससे बिना मिले हुए पंचायती कराने के लिए सारे गाँव घूमता रहा,,लोगों को अपने पक्ष में मिलाने का प्रयास करता रहा | लेकिन एक बार भी उससे मिल कर यह बताने की तकलीफ नहीं की कि वह बंटवारे के लिए पंचायती करने जा रहा है | .इस घटना के बाद अब मेरी क्या इज्जत रह गई इस गाँव में |
भाई ही भाई को चोर बना दिया,,,कौशल्या ठीक बोलती थी..दिनेश और उसकी पत्नी .. एक नम्बर की धूर्त है | आज सब अपनी आँखों से देख लिया |.
.गाँव वालों का क्या है …कुछ लोग तो चाहते ही है कि परिवार में फूट पड़े, भाई -भाई का झगडा हो और वो तमाशा देखे /
राजेश्वर के मुँह से आवाज़ ही नहीं निकल रही थी सिर्फ आँखों से आँसू बह रहे थे, यह सोच कर कि इस छोटे भाई को भाई की तरह नहीं बल्कि अपने बेटे की तरह पाला – पोसा ,पढाया -लिखाया ,बड़ा आदमी बनाया | वही आज उसके साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रहा है …/..
सच तो यहीं है कि वो सपने में भी कभी सोच नहीं सकता था कि मेरे इतनी सेवा करने और पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी बनाने के बाद अपनी संस्कार ही भूल जायेगा और मेरी मज़बूरी का फायदा उठाएगा | ………(..क्रमशः)

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Categories: story
Beautiful and sad story of Rajeswar actually life is like that! Some people forget everything after getting success! 👍👍well written .👌
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Absolutely correct.
This is a real story of our society. Please go to the end.
Thanks for sharing your feelings.
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☺️
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Stay happy and stay blessed.
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Thanks for your support.
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अच्छी कहानी।
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Thank you so much dear.
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GA very interesting tale!
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Thank you so much for your time.
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Beautiful and heart touching post shared
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Thank you so much.
Please read the complete story.
I will be happy.
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Sure sir will be glad to read the full story
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Thanks for your support.
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Thank you so much.
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