# नमक हराम #…5 

रिश्ते कभी ज़िन्दगी के साथ नहीं चलते

रिश्ते तो एक बार बनते है ,

फिर ज़िन्दगी रिश्तों के साथ चलती है |

कुछ तो लोग कहेंगे

दस बजे का समय था और दुकान में काफी भीड़ थी | राजेश्वर और कालू राम  दोनों ग्राहकों को सँभालने में व्यस्त थे | तभी गाँव का पडोसी राम खेलावन दौड़ता  हुआ राजेश्वर के दुकान पर पहुँचा |

उसका  चेहरा पसीने से तर- ब- तर था और वह काफी घबराया हुआ नज़र आ रहा था |

राजेश्वर उसे देखते ही पूछ लिया…भाई राम खेलावन, तुम इतने घबराये हुए क्यों लग रहे हो ?

आओ बैठो और पानी पीयो ….थोड़ी देर सुस्ता लो फिर तुम्हे मैं चाय पिलाऊंगा |

राम खेलावन घबराते हुए बोला…चाय कभी और पी लूँगा | अभी तो इन सब बातों के लिए समय नहीं है |

तुम्हे शीघ्र ही मेरे साथ गाँव चलना होगा | राम खेलावन की बात सुनकर राजेश्वर भी घबरा गया और पूछा..आखिर बात क्या है, साफ़ साफ़ बताओ ?

इस पर राम खेलावन  बोला …जिस साहूकार को आपने ज़मीन रेहन रखी है …वह अपने लठैत और गुंडों के साथ गाँव आया हुआ है | और आपके खेत पर पहुँच कर उसमे लगी फसल को काटने की धमकी दे रहा है |

एक घंटे का टाइम दिया है, अगर हमलोग वहाँ नहीं पहुंचेंगे तो फसल काटना शुरू कर देगा |

अब राजेश्वर भी घबरा गया और उसने  जल्दी से कालू को बुलाया और सारी बात बता दी और कहा कि  तुम दूकान संभालो मैं साहूकार के पास जाता हूँ |

जैसे ही दोनों खेत पर पहुंचे …तो देखा लठैत के साथ साहूकार विराजमान है |

राजेश्वर दौड़ कर उस साहूकार के पास जाकर हाथ जोड़ते हुए बोला ..सेठ जी मुझे माफ़ कर दीजिये | मैं अब तक आप के पैसे नहीं लौटा सका हूँ,  मुझे बस थोड़ी और मोहलत दे दीजिये,  मैं आप का पाई-पाई का हिसाब कर दूंगा |

Rice farm with farmer’s hut, countryside .

देखो राजेश्वर ..,मैं पहले ही  अंतिम मोहलत दे चूका हूँ, वो समय अब पार हो चूका है | इसलिए आज तुमसे पुरे पैसे वापस लूँगा या फिर पूरी फसल काट कर ले जाऊंगा | साथ ही साथ, अपने हिस्से की तीन एकड़ जमीन पर भी कब्ज़ा करूँगा  |

तुम्हे अब जो भी करना है करो | कोर्ट केस करो या पुलिस के पास जाओ | मुझे अब कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है,  क्योकि तुमने अपनी ज़मीन रेहन रखी है और उसका समय पूरा हो चूका है |

यह मेरे भलमानसत थी कि दो सालों तक मैंने इंतज़ार किया, अब  और इंतज़ार नहीं करने वाला |

इस पर राजेश्वर बोला…..आप का कहना ठीक है सेठ जी | लेकिन ज़रा सोचिये अभी फसल तैयार नहीं हुई है, अतः काटने  से तो यह बर्बाद हो जायेगा  | मैं तो खुद हो सोच रहा था कि इस फसल को तैयार होते ही इसे बेच कर जो भी पैसे मिलेंगे वो आप को दे दूंगा |

मैं अब कुछ सुनना नहीं चाहता हूँ | आप यहाँ से चले जाओ, नहीं तो हमारे आदमी आप के साथ गलत व्यवहार भी कर सकते है | सेठ जी क्रूर हो कर बोल रहे थे |

जब कोई रास्ता नहीं सूझ  रहा था तो अंत में पुलिस के पास ही जाना उचित लगा | वही मेरे फसल को कटने से बचा सकता है | यही सोच कर राजेश्वर तुरंत ही थाने की ओर चल पड़ा  |

राम राम थानेदार साहब…..थानेदार सामने ही दिख गया तो राजेश्वर हाथ जोड़ कर बोला |

थानेदार ने अनमने ढंग से उसे देखा और आने का कारण पूछा  |

थानेदार साहब,  साहूकार मेरे  खेत में खड़ी फसल को काट रहा है | कृपया इसे रोकवा दीजिये… ..राजेश्वर गिडगिडाते हुए बोला |

थानेदार ने नाम और पता  पूछा और फिर जमादार को बुला कर बोला …देखिये …,  इसकी क्या समस्या है | फिर वह राजेश्वर से बोला…तुम अपने खेत पर पहुँचो, ज़मादार साहब जाकर  मुआईना करेंगे |

राजेश्वर वापस आकर खेत पर उनका इंतज़ार करता रहा | काफी समय  गुज़र जाने के बाद भी ज़मादार नहीं आया |

राजेश्वर को समझते देर नहीं लगी कि उसने झूठ बोला है,  इसीलिए वह फिर वापस थाना आया  |

तभी थाने के बाहर ही एक सिपाही मिल गया, तो राजेश्वर ने उसे सारी बात बताई |

पहले कभी थाना-पुलिस नहीं किए है क्या ?…सिपाही ने राजेश्वर को समझाते हुआ कहा |

कुछ खर्चा पानी देना होता है, तभी थानेदार साहब कुछ विचार करने की सोच सकते है

राजेश्वर को अब समझ में आया कि पैसा नहीं देने के कारण ही इन्होने कोई ध्यान नहीं दिया | उसने तुरंत अपने पॉकेट में हाथ डाला तो पाँच सौ रूपये मिले | उसने सिपाही जी को थमाते हुए कहा कि और बाद में दूंगा, लेकिन कृपया मेरा काम करा दें |

ठीक है मैं कोशिश करता हूँ …आप अपने खेत पर जाइए …सिपाही बोल कर अन्दर चला गया और राजेश्वर खेत पर |

थोड़ी देर के बाद सचमुच ज़मादार और वो सिपाही उसके खेत पर पहुंचे,  और पहुँचते ही साहूकार से पूछा …क्यों सेठ, राजेश्वर जी को क्यों परेशान कर रहे हो ?

मैं इनको क्यों परेशान करने लगा भला | मैं तो नियम के तहत इसके कागज़ी समझौते के अनुसार ही कार्यवाही कर रहा हूँ और इस खेत को अपने कब्ज़े में ले रहा हूँ | साहूकार ने बोलते हुए रेहन के कागजात ज़मादार को दिखाए |

कागज़ देख कर जामदार ने राजेश्वर से पूछा ….क्या यह पेपर  सही है, आपने इस खेत को सेठ के यहाँ गिरवी रखा है और तय शुदा समय पर पैसे भी आप ने नहीं लौटाए हैं ?..

जी ,बात तो यह सही है,  लेकिन मैं थोड़े दिनों की मोहलत चाह रहा हूँ …राजेश्वर हाथ  जोड़ कर बोला |

इस पर सेठ जी तुरंत बोल पड़े …अब मैं मोहलत नहीं दे सकता हूँ,  वो अपने कागजात थानेदार से लेते हुए बोला |

देखिये राजेश्वर जी, … सेठ जी तो  नियम के अधीन ही यह कब्ज़ा ले रहे है, इसमें हम कुछ नहीं कर सकते है ..इतना कह कर  ज़मादार  मोटरसाइकिल स्टार्ट किया और चला गया |

साहूकार बोला ..तुम क्या समझते हो | हमने कोई  कच्ची गोलियां खेल रखी है | अरे, थाना पुलिस तो हमारे रोज़ का काम है |

तो इसका मतलब  यह है कि थानेदार ने  सेठ से पैसा खा कर उसकी भाषा बोल रहा है ..राजेश्वर मन ही मन सोच रहा था | इतने में सेठ ने राजेश्वर की ओर देखते हुए बोला …तुम क्या समझते हो, ये थाना पुलिस मेरा कुछ बिगाड़  पायेगा |

अरे, मेरा तो थाना में उठाना बैठना है,  रोज़ मैं उनलोगों के साथ वहाँ चाय पीता हूँ | ये लोग हमारे खिलाफ कभी नहीं जा सकते | तुम्हारी भलाई इसी में है कि  रेहन की तीन एकड़ खेत मेरे नाम रजिस्ट्री कर दो |

राजेश्वर को पूरा यकीन हो गया कि पुलिस उसकी कोई भी मदद नहीं कर सकता है |

अब तो सिर्फ कोर्ट-कचहरी का ही सहारा बच गया है,  ऐसा सोच कर राजेश्वर तेज़ कदमो से चल कर वकील साहब के पास पहुँचा |

उसे घबराया हुआ देख कर, वकील साहब ने पूछा ..क्या बात है, राजेश्वर जी,  आप इतना घबराये हुए क्यों है ?

राजेश्वर गुस्सा प्रकट करते हुए बोला …वो मेरा साहूकार खेतो में खड़ी फसल  काट रहा है और मेरी तीन एकड़ खेत को भी  कब्ज़े में ले रहा है | और मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा हूँ | .मैं तो बर्बाद ही हो जाऊंगा | पुलिस की मिली भगत की पूरी कहानी भी उसने वकील साहब को बताई  |

मुझे तो पहले से ही पता था कि पुलिस उस सेठ का ही पक्ष लेगा | इसके बदले  उसने मोटी  रकम  जो लिया होगा |

अब  तो कानून का ही सहारा लेना पड़ेगा | आप बैठिये मैं फाइल निकाल  कर लाता हूँ.. . वकील साहब अपने कुर्सी से उठते हुए बोले |

जैसे भी हो, मेरी खेत को बचा लीजिये वकील साहेब ..राजेश्वर के  आँखों में आँसू आ गए | उसने गमछे से अपनी आँसूं पोछते हुए कहा …यह पुरखो की निशानी है और किसी भी कीमत पर मैं इसे खोना नहीं चाहता हूँ |

देखिया यह कोर्ट-कचहरी का मामला है | कितना समय लगेगा, कहा नहीं जा सकता है | मैं आज ही नोटिस बना कर सेठ को भिजवा देता हूँ और एक नोटिस आपके छोटे भाई को भी भिजवा देता हूँ .ताकि वो बाद में यह ना कह सके कि आपने उसे इस बात की जानकारी नहीं दी थी  |….(क्रमश)

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