# एक अधूरी प्रेम कहानी #..19

क्या हूआ इश्क़ में , तूमसे मुलाक़ात एक दफा
लोग चरित्र को भी ग़लत मेरे कहने लगे हैं ।

इश्क़ में खूदा है ये सूना तो था हमने बहुत
इस हकीकत से रूबरू अब तो होने लगे हैं

जब से हूआ है मूझे दिदार उसकी सूरत का
उसकी झलक के खातिर हम तरसने लगे हैं।

अब क्या होगा

सुमन पलट कर देखी तो पहचान ही नहीं पायी | वह आश्चर्य से रघु की ओर देख कर बोली ….अरे रघु, तुम हो ?… तुम तो बिलकुल ही पहचान में नहीं आ रहे हो |   लेकिन आज यह मुस्लिम वाला गेट – अप क्यों किया है ?

मेरा गेट- अप ठीक नहीं लगा क्या ? रघु सुमन की ओर देखते हुए बोला |

नहीं- नहीं, ऐसी बात नहीं है , तुम तो बिलकुल पठान लग रहे हो..|

देखो सुमन, हमने “धारावी” में  सर्वे के दौरान पाया कि वहाँ मुस्लिम जन समूह ज्यादा है और अगर उनके ज़रूरत के हिसाब से अपने गारमेंट डिजाईन किये जाएँ तो सफलता मिलने की गारंटी है | लेकिन इसके लिए सही ढंग से प्रचार –प्रसार किया जाना चाहिए |

उसी बात को ध्यान में रख कर काफी मेहनत  कर यह गेट अप बनाया है | इसका फोटो शूट होने दो |  देखना, इसे सेठ जी ज़रूर पसंद करेंगे … रघु समझाते हुए सुमन से कहा /

बिलकुल सही सोच है तुम्हारी…. सुमन ने कहा और टोपी की  जगह पगड़ी  पहनने  को दिया  ताकि वह पूरा पठान लगे क्योकि ड्रेस भी  उसी तरह का था |

सुमन आज रघु को सामने देख कर बहुत खुश थी | लेकिन रघु को देख कर सुमन को ऐसा महसूस हो रहा था कि वह कुछ डरा- डरा सा नज़र आ रहा है |

थोड़ी देर में दोनों शूटिंग में व्यस्त हो गए और इधर रामवती कुछ दूर पर सोफे में  बैठ कर शूटिंग देख कर खुश हो रही थी |

हालाँकि , रामवती को तो पहले से ही शक हो गया था | , माना कि रघु कपडे और चेहरे से मुसलमान लग रहा था , लेकिन उसके हाव – भाव से बिलकुल रघु ही लग रहा था …..रामवती मन ही मन सोच रही थी |

लेकिन जब  वो मेरे सामने आएगा तो मेरी पैनी  निगाहों से बच नहीं पायेगा | मैं तो उसकी  आँखे ही देख कर पहचान सकती हूँ ..उसकी नशीली आँखे और उसमे ऐसा जादू है कि ..उस में फंस के ना जाने उसके कितने गुनाहों को माफ़ किया है मैंने …..सुमन मन ही मन सोच रही थी |

आज थोडा ही काम कर के सुमन थक जा रही थी और रघु भी अभी बीमारी से उठा था, |  इसलिए सुमन बोली ……..आज का काम जल्दी समाप्त कर लेंगे  और बाकी का काम  कल करेंगे | मेरी भी तबियत कुछ ठीक नहीं लग रही है |

अच्छा तो तुम्हारी तबियत ख़राब थी और तुमने यह बात मुझसे छुपाई थी … रघु नाराज़ होते हुए सुमन से बोला |

अरे नहीं रघु , ऐसी बताने वाली कोई बात नहीं थी ….. सुमन हँसते हुए बोली |

अच्छा ठीक है, आज का काम समाप्त करते है | बाकी का काम अगले दिन किया जायेगा …रघु सुमन से सहमती लेने हेतु बोला |

ठीक है, जरा देखो, फोटो सब तैयार हो गए क्या ? रघु को बोल कर  सुमन वहाँ से आकर रामवती के पास बैठ गई  और आँखे बंद कर आराम करने लगी |

बीमारी की वजह से तुम्हे कमजोरी बहुत हो गई है, सुमन | ,इसीलिए थोड़ी सी मेहनत  करने पर थकान हो जा रही है……रामवती सुमन के माथे पर आये पसीने को पोछते हुए बोली |

तब तक “स्पॉट बॉय”  चाय ले कर आ गया और दोनों चाय पीने लगे | तभी सुमन को ध्यान आया कि  रघु अभी तक फोटो लेकर नहीं आया है और  रामवती  का परिचय भी तो करवाना है |

सुमन चाय समाप्त कर जल्दी से स्टेज पर जाकर रघु को खोजने लगी | लेकिन वह कहीं दिखाई नहीं दे रहा था | सुमन परेशान होकर स्पॉट बॉय से पूछी …अरे रामू,  तूने रघु को देखा है क्या ?

रघु जी तो अभी अभी चले गए … रामू ने सुमन को बताया |

सुमन को बड़ा आश्चर्य हुआ कि बिना मुझे बोले रघु जा कैसे सकता है ?  मुझे तो पहले से ही उसका व्यवहार बदला बदला सा महसूस हो रहा है | वजह क्या हो सकता है … सुमन वहाँ एक कुर्सी पर बैठ कर सोचने लगी |

सुमन को रघु के ऐसे व्यवहार पर बहुत जोर का गुस्सा आया  और उसी गुस्से में उसने रघु को फ़ोन मिला दिया | काफी देर रिंग होने के बाद रघु अन्ततः फ़ोन उठाया और हेल्लो बोला |

सुमन आश्चर्य प्रकट करते हुए रघु से बोली ….अरे रघु, , तुम अचानक बिना बताये चले गए ?

हाँ सुमन, कुछ ज़रूरी काम आ गया था, इसलिए वहाँ से अचानक आना पड़ा …रघु अपने सफाई में कहा |

ऐसी कौन सी ज़रूरी काम थी तुम्हारी, कि मुझे बताना भी उचित नहीं समझा …सुमन नाराजगी प्रकट करते हुए बोली |

नहीं सुमन,  ऐसी कोई बात नहीं है | मैंने आज तक कोई भी बात तुमसे नहीं छुपाया है ….सुमन के गुस्से को शांत करने के लिए रघु बोला |

नहीं,  पहले तुम बताओ कि वो ज़रूरी काम क्या था कि अचानक तुम्हे जाना पड़ा …सुमन जोर देकर पूछने लगी |

तुम तो बेकार में परेशान हो रही हो / दरअसल बात यह है कि अभी अभी  हरिया का फ़ोन आया था कि  उसे पुलिस ने  पकड़ लिया है और थाना ले जाने की धमकी दे रही है | ,

इसीलिए उसी के पास जाने के लिए जल्दीबाजी में तुम से बिना पूछे निकल गया … रघु घबरा कर एक ही सांस में सारी बातें कह दी |

अगर मुझे बता दिए  होते तो मैं भी चलती तुम्हारे साथ … सुमन नाराज़ होते हुए बोली |

नहीं सुमन, मैं तुम्हे पुलिस के लफड़े से दूर ही रखना चाहता हूँ  और जैसा होगा मैं तुन्हें खबर करता हूँ. … रघु  बोल कर फ़ोन काट दिया |

अब सुमन को रघु की बात सुन कर विश्वास करना पड़ा | फिर भी उसके मन में एक शंका तो घर कर ही गयी थी |

वो चुप चाप रामवती के पास आयी और बोली … दीदी, आपको  आज जिससे  मिलवाना चाहती थी वो एक बहुत ज़रूरी काम से चला गया है इसीलिए अगली बार जब भी शूटिंग होगी तो तुम्हे साथ लेती आउंगी | तुम शूटिंग देखना और उससे मिल भी लेना |

कोई बात नहीं सुमन, फिर कभी मिल लेंगे | अब घर चलते है, तुझे थकान हो रही है …रामवती ने कहा |

ठीक है दीदी,  ड्राईवर को बोल कर सामान गाड़ी में रखवा लो, तब तक फोटो सभी लेकर आती हूँ |

रामवती  सामान रख कर गाड़ी में बैठ सुमन का इंतज़ार करने लगी | उसका दिमाग आज के पुरे घटनाक्रम पर टिक गया |

उसे बहुत कुछ समझ में आ गया था  और उसके दिमाग में पूरा तस्वीर साफ़ हो चुकी  थी | …, कहीं मैं उसे पहचान नहीं जाऊं  इसीलिए  वो अपना हुलिया बदल कर आया था |

लेकिन चेहरा बदल लेने से क्या होता है / उसकी चाल – ढाल तो बिलकुल रघु जैसे ही थी | वह  और कोई नहीं बल्कि रघु ही है …मुझे पक्का यकीन हो रहा है …रामवती मन ही मन आँखे बंद कर सोच रही थी |

कार तेज़ गति से चल रही थी और  सुमन भी आँखे बंद किये रघु के बारे में ही सोच  रही थी,… ,कि आखिर ऐसी क्या बात है कि  पिछले कुछ दिनों से वह परेशान और घबराया हुआ सा रहता है और हमसे आज कल बात भी बहुत कम करता है |

अचानक गाड़ी ब्रेक के साथ रुक गई और दोनों ने आँखे खोल कर देखा तो घर आ चूका था | 

कार से उतर कर सुमन घर के अंदर आयी और एक तरफ सोफे पर बैठ कर आराम करने लगी  |

दीदी, रात के दस बज चुके है और भूख भी लगी है ….सुमन बोली |

तुन चिंता मत करो मैं बस थोड़ी देर में खाना तैयार कर लेती हूँ, फिर हमलोग साथ खाना खायेंगे …रामवती समझाते हुए बोली |

नहीं दीदी, पहले राजू के लिए दूध और मेरे लिए एक कप चाय बना दो …सुमन विनती करते हुए बोली |

ठीक है, मैं अभी चाय लेकर आती हूँ | तुम्हे अभी दवा भी खानी है …रामवती ने याद दिलाया |

खाना खाने के बाद, रामवती सुमन को लेकर बिस्तर पर आयी और बोली…चलो सुमन, तुम्हारे बदन को दबा देती हूँ, थकान  थोड़ी कम हो जाएगी |

नहीं मेरी दीदी, मैं बिलकुल ठीक हूँ | तुम भी तो  जाने आने में थक गई होगी | चलो तुम्हारी  गोद में ही सो जाती हूँ, तुम्हारी थपकी से मुझे तुरंत नींद आ जाती है… . सुमन रामवती को पकड़  कर बोली |

अच्छा , थोड़ी देर ठहरो मैं किचन का काम पूरा करके आती हूँ…रामवती बोलते हुए किचन में चली गई |

लो , यह गिलास का दूध पी लो और दवा भी ले लो ..दवा देते हुए रामवती बोली |

दवा खा कर सुमन रामवती की गोद में ही सोने का प्रयास करने लगी ..तभी रामवती बोल पड़ी… |

आज तो शूटिंग देख कर मजा आया | राजू भी बड़ी बड़ी आँखे करके शूटिंग  देख रहा था | कितना तरह का लाइट होता है |

अरे सुमन, उसका क्या हुआ  जिसको पुलिस पकड़ कर ले गई थी | पुलिस ने उसको छोड़ा कि नहीं |

अरे हाँ दीदी …मैं तो पूछना ही  भूल गई …यहाँ की पुलिस बहुत  बदतमीज़  होती है | एक बार पीछे पड़ जाये तो जल्दी छोडती नहीं है …सुमन ने कहा | और लेटे लेटे ही हरिया को फ़ोन मिलाया ……

हेल्लो ,मैं हरिया बोल रहा हूँ….उधर से आवाज़ आयी | 

मैं सुमन बोल रही हूँ…और बताओ,  पुलिस तुम्हे क्यूँ पकड़ कर ले गई थी | और अभी तुम छूटे कि  नहीं |

पुलिस ..? …हरिया आश्चर्य प्रकट करते हुए से बोला | .. मुझे क्यों पुलिस पकड़ कर ले जाएगी  ?

लेकिन कोई लफड़ा तो हुआ था ना ,,,सुमन जिज्ञासा से बोली |

नहीं मैडम,  मैं तो सुबह से खोली में ही हूँ | आज तो बाहर  निकला ही नहीं …हरिया अपनी बात को बताया |

सुनकर सुमन को घोर आश्चर्य हुआ और उसे कुछ समझ में नहीं आया |

अच्छा, ठीक है …सुमन बोल कर फ़ोन काट दी |

सुमन  फ़ोन काट कर सोचने लगी.. कोई तो बात है, इसलिए रघु बार बार हमसे झूठ बोलता है | और इतने दिनों से रघु का हाव – भाव भी बदला हुआ है | इसका पता अब तो लगाना ही पड़ेगा … |

रामवती सुमन की सारी  बात ध्यान से सुन रही थी और अब उसके सामने पूरी तस्वीर साफ़ हो चुकी थी कि  रघु उसका पति ही है और वो हरिया के साथ ही रहता है |

मुझे लगता है कि विकास भी वहीँ रहता होगा | अब हकीकत जानने से कोई रोक नहीं सकता  लेकिन सच्चाई का पर्दाफाश  कैसे किया जाये… रामवती मन ही मन सोच रही थी. | (क्रमशः )

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